अपने बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले कांग्रेस के जनरल सेकेट्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि देश 1947 में आजाद हो गया। इसके बाद अब न तो कोई राजा है न महाराजा। इस बयान को पार्टी महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिंया के बारे में टिप्पणी माना जा रहा है।
digvijay singh and jyotiraditya scindia VIDEO
रतलाम। अपने बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले कांग्रेस के जनरल सेकेट्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि देश 1947 में आजाद हो गया। इसके बाद अब न तो कोई राजा है न महाराजा। इस बयान को पार्टी महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिंया के बारे में टिप्पणी माना जा रहा है। ये बात दिग्विजय सिंह ने तब कही जब उनसे मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के बारे में सिंधिंया के ट्वीट के बारे में सवाल किए गए। दिग्विजय सिंह रतलाम में बुधवार को मीडिया से बात कर रहे थे।
MUST READ : VIDEO दिग्विजय सिंह ने करवाचौथ के पहले पत्नी अमृता को लेकर दिया ये बड़ा बयान झाबुआ में विधानसभा के हो रहे उपचुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया के प्रचार के लिए आए दिग्विजय सिंह कुछ देर रतलाम रुके थे। इसी दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश में न कोई राजा है और ना ही महाराजा, यह सरकार जनता की सरकार है और पूरे पांच साल तक कार्य करेगी। कर्जामाफी पर कहा कि 50 हजार तक के कर्ज माफ हो गए। 31 मार्च 2017 तक जो बकाया था, उसके दो लाख अब माफ हो रहे हैं। पार्टी ने पांच साल का वचन पत्र दिया है। उसी अनुसार सरकार काम कर रही है। उन्होंने मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ से संवादहिनता के सवाल पर कहा कि वे जनता के मुद्दों को उठाते रहे है, किसी से संवादहिनता नहीं है, सरकार के साथ ही विपक्ष से संवाद करते है।
MUST READ : Political news: राजस्थान से लौटे दिग्विजयसिंह, अब झाबुआ में डालेंगे डेराबेरोजगारी दूर नहीं हो रही केन्द्र की सरकार जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए राज्यों के मसलों पर बात नहीं कर रही है, देश में मंदी के कारण व्यापार घाटा बढ़ रहा है, बेरोजगारी दूर नहीं हो रही है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार इंदौर में समिट कर प्रदेश में निवेश बढ़ाना चाहती है। दिग्विजयसिंह रतलाम से झाबुआ जाएंगे और आज उनकी चुनावी सभा प्रस्तावित है। दिग्विजय सिंह आ तो मंगलवार की रात को गए थे। इसके बाद वे स्थानीय कार्यकर्ताओं के यहां पर भोजन को गए। सुबह वे एक – एक करके बडे़ नेताओं से बंद कमरे में मिले। इसके बाद जब बारी कार्यकताआें की आई तो उन्होंने पहले तो सभी को कमरे में बुलवा लिया। जब भीड़ बढ़ गई तो स्वयं बाहर आ गए। इसके बाद सर्किट हाउस के बाहर गए व दरवाजे पर जाकर खडे़ हो गए।