कंधे से लेकर अंगुली तक
मेडिकल कॉलेज में रविवार को दो सत्रों में हुई कार्यशाला का नाम केडेवरिक वर्कशाप दिया गया था। इसमें केवल हाथ के कंथे से लेकर अंगुली तक की नई तकनीक से होने वाली सर्जरी की अत्याधुनिक तकनीक से विशषज्ञ चिकित्सकों को अवगत कराया गया। मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक और एनाटामी डिपार्टमेट हेड डॉ. जितेंद्र गुप्ता और मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक फेकल्टी डॉ. देवेंद्र नायक ने बताया शरीर की जटिल सर्जरियों में हाथ की सर्जरी मानी जाती है। इसी को केडेवर पर लाइव करके सिखाया गया जो काफी महत्वपूर्ण होता है।
मेडिकल कॉलेज में रविवार को दो सत्रों में हुई कार्यशाला का नाम केडेवरिक वर्कशाप दिया गया था। इसमें केवल हाथ के कंथे से लेकर अंगुली तक की नई तकनीक से होने वाली सर्जरी की अत्याधुनिक तकनीक से विशषज्ञ चिकित्सकों को अवगत कराया गया। मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक और एनाटामी डिपार्टमेट हेड डॉ. जितेंद्र गुप्ता और मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक फेकल्टी डॉ. देवेंद्र नायक ने बताया शरीर की जटिल सर्जरियों में हाथ की सर्जरी मानी जाती है। इसी को केडेवर पर लाइव करके सिखाया गया जो काफी महत्वपूर्ण होता है।
पहले लेक्चर और फिर सर्जरी
प्रदेश की पहली अपनी तरह की इस केडेवेरिक कार्यशाला में आर्थोपेडिक सर्जन और आर्थोपेडिक विशेषज्ञों को बुलाया गया था। इन्हें नई तकनीक से अवगत कराने के लिए पांच फेकल्टी डॉ. प्रदीप चौधरी, डॉ. नीरज वालेचा, डॉ. दीपक मंत्री, डॉ. विपिन माहेश्वरी और डॉ. देवेंद्र नायक ने पहले आधे घंटे का लेक्चर फिर उन्हें केडेवर पर प्रैक्टिकल सर्जरी करके बताया गया। इसके लिए एनाटामी डिपार्टमेंट में तीन टेबलों पर तीन केडेवर रखे गए थे और इनकी वास्तविक सर्जरी करके दिखाई गई जिससे डॉक्टरों ने लाइव देखा और लाइव महसूस किया।
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बहुत अच्छी रही कार्यशाला
केडेवरिक कार्यशाला का पहली बार आयोजन हुआ और यह बहुत ही अच्छी रही है। इससे आर्थोपेडिक डॉक्टरों को काफी सीखने को मिला है। उन्होंने अपने अनुभव भी साझा किए हैं।
डॉ. संजय दीक्षित, डीन, मेडिकल कॉलेज, रतलाम
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प्रदेश की पहली अपनी तरह की इस केडेवेरिक कार्यशाला में आर्थोपेडिक सर्जन और आर्थोपेडिक विशेषज्ञों को बुलाया गया था। इन्हें नई तकनीक से अवगत कराने के लिए पांच फेकल्टी डॉ. प्रदीप चौधरी, डॉ. नीरज वालेचा, डॉ. दीपक मंत्री, डॉ. विपिन माहेश्वरी और डॉ. देवेंद्र नायक ने पहले आधे घंटे का लेक्चर फिर उन्हें केडेवर पर प्रैक्टिकल सर्जरी करके बताया गया। इसके लिए एनाटामी डिपार्टमेंट में तीन टेबलों पर तीन केडेवर रखे गए थे और इनकी वास्तविक सर्जरी करके दिखाई गई जिससे डॉक्टरों ने लाइव देखा और लाइव महसूस किया।
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बहुत अच्छी रही कार्यशाला
केडेवरिक कार्यशाला का पहली बार आयोजन हुआ और यह बहुत ही अच्छी रही है। इससे आर्थोपेडिक डॉक्टरों को काफी सीखने को मिला है। उन्होंने अपने अनुभव भी साझा किए हैं।
डॉ. संजय दीक्षित, डीन, मेडिकल कॉलेज, रतलाम
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सुनियोजित हुई वर्कशाप
मेडिकल कॉलेज में केडेवरिक कार्यशाला बहुत ही सुनियोजित तरीके से आयोजित हुई है। कार्यशाला में शामिल होने के बाद लगा कि यह बहुत ही सार्थक प्रयास है और ऐसी कार्यशालाएं होती रहना चाहिए।
डॉ. विपिन माहेश्वरी, आर्थोपेडिक सर्जन
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मरीजों को भी मिलेगा फायदा
कार्यशाला में हमें नई तकनीक से हाथ के जटिल आपरेशन का अनुभव मिला और इसका सीधा सा लाभ मरीजों को भी मिलेगा। कम से कम रतलाम के डॉक्टरों ने जो सीखा है वह काफी फायदेमंद साबित होगा।
डॉ. योगेंद्र चाहर, आर्थोपेडिक सर्जन
मेडिकल कॉलेज में केडेवरिक कार्यशाला बहुत ही सुनियोजित तरीके से आयोजित हुई है। कार्यशाला में शामिल होने के बाद लगा कि यह बहुत ही सार्थक प्रयास है और ऐसी कार्यशालाएं होती रहना चाहिए।
डॉ. विपिन माहेश्वरी, आर्थोपेडिक सर्जन
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मरीजों को भी मिलेगा फायदा
कार्यशाला में हमें नई तकनीक से हाथ के जटिल आपरेशन का अनुभव मिला और इसका सीधा सा लाभ मरीजों को भी मिलेगा। कम से कम रतलाम के डॉक्टरों ने जो सीखा है वह काफी फायदेमंद साबित होगा।
डॉ. योगेंद्र चाहर, आर्थोपेडिक सर्जन