रतलाम को संभाग बनाने की बहुप्रतिक्षित मांग पर वर्ष २०१७ की समाप्ति तक सरकार की ओर से कोई बड़ा निर्णय सामने नहीं आएगा। हाल ही में मंदसौर और नीमच के विधायकों ने मंदसौर को संभाग बनाने की मांग का नया प्रस्ताव राजधानी भेज दिया है। ऐसे में सरकार अपनी ही पार्टी के विधायकों के दो अलग अगल प्रस्तावों पर अब एक पक्षीय निर्णय करने की स्थिति में नहीं है। सरकार की ओर से नए वर्ष में संभाग बनाने के लिए आवश्यक फीडबैक हासिल करने के लिए आधा दर्जन आंतरिक सर्वे कराए जाएंगे। इसमें सबसे पहले क्षेत्रफल-सीमा संबंधी सर्वे जनवरी मेंं कराया जा सकता है। इससे मिलने वाले आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद ही अगली प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। साथ ही यह भी तय हो जाएगा कि संभाग का दावा रतलाम का भारी है या मंदसौर का।
वर्ष २०१४ से रतलाम संभाग की मांग
रतलाम को संभाग बनाने की मांग वर्ष २०१४ से ही प्रमुखता से उठाई जा रही है। पहली बार इसे अधिकृत तौर पर नगर निगम ने अपने एक प्रस्ताव के जरिए उठाया। पूर्व महापौर शैलेन्द्र डागा के कार्यकाल के दौरान संभाग बनाने की मांग का प्रस्ताव बनाया गया था। इसके बाद रतलाम-झाबुआ के सांसद रहे स्व. दिलीपसिंह भूरिया ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर रतलाम के संभाग बनने की मांग का समर्थन किया था। जब मांग ने जोर पकडऩा शुरू किया तो रतलाम विधायक चेतन्य काश्यप ने अपनी पार्टी के अन्य विधायकों रतलाम ग्रामीण से मथुरलाल डामर, सैलाना से संगीता चारेल, आलोट से जितेन्द्र गेहलोत और जावरा से डॉ. राजेन्द्र पांडेय के सहयोग से इस मसले पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बकायदा एक प्रस्ताव भी तैयार कर भेजा गया। वर्ष २०१४-१५ के दौरान ही पहली बार सार्वजनिक तौर पर मुख्यमंत्री ने भी मांग पर आश्वासन दिया था। वर्ष २०१६ के दौरान भी संभाग की मांग सभाओं में आश्वासन के आसपास बनी रही।
उज्जैन संभाग में शामिल है तथा रतलाम के साथ ही मंदसौर और नीमच भी इसी संभाग का हिस्सा है। रतलाम को उज्जैन संभाग का दूसरा सबसे बड़ा शहर होने का दर्जा है।
नए रतलाम संभाग के संभावित जिले
नया संभाग बनाने की मांग के प्रस्ताव मेंं रतलाम को केन्द्र में रखकर मंदसौर, नीमच, झाबुआ और आलीराजपुर को शामिल किया गया है। फिलहाल ये जिले दो संभाग में है।
इस तरह आया मंदसौर संभाग का पेंच
रतलाम संभाग की मांग पर निर्णय होने से पहले ही मंदसौर को संभाग बनाने का नया पेंच सामने आ गया है। इस प्रस्ताव का समर्थन नीमच विधायक की ओर से हो रहा है।
– १०५ किमी रतलाम से
– १४५ किमी मंदसौर से
– १९५ किमी नीमच से
(तीन जिले रतलाम, मंदसौर और नीमच के लिए उज्जैन संभाग)
२. अभी संभागीय मुख्यालय इंदौर की स्थिति
– १५० किमी झाबुआ से
– १९० किमी आलीराजपुर से
(दो जिले झाबुआ, आलीराजपुर के लिए इंदौर संभाग)
३. रतलाम संभाग बना तो ये दूरी
– ९० किमी मंदसौर और १४५ किमी नीमच के लिए
– १०० किमी झाबुआ और १९५ किमी आलीराजपुर के लिए
(रतलाम संभाग बनने पर प्रस्तावित दूरी ४ प्रमुख जिलों के लिए)
ये होगा प्राथमिक सर्वे का खाका
– रतलाम संभाग बने इसके लिए सबसे पहले क्षेत्रफल-सीमा सर्वे होगा।
– जनसंख्या घनत्व एवं शामिल जिलों की आबादी व संसाधनों का सर्वे।
– प्रशासनिक कामकाज की दृष्टि से शामिल जिलों की सहुलियत का सर्वे।
– नए संभाग पर होने वाला संभावित व्यय, व्यवस्थाओं का खर्च व बुनियादी जरूरत।
– संभाग बनने की दिशा में संभागीय कार्यालयों की स्थिति, मैन पॉवर और बजट।
यह है अहम
– राजनीतिक इच्छाशक्ति, सभी शामिल जिलों से समन्वय व मांग पर भरपुर समर्थन।
रतलाम संभाग बनने की दिशा में बेहतर स्थिति में है। प्रदेश में कई संभाग कम आबादी व छोटे क्षेत्रफल के साथ बनाए गए है। सरकार के समक्ष हमारा प्रयास जारी है और आने वाले वक्त में रतलाम की बेहतरी का निर्णय आ सकता है। मांग सभी स्तरों पर होती है, लेकिन विभिन्न सर्वे और शासन की अपनी प्रक्रिया के बाद गठन पर सहमति होती है।
– चेतन्य काश्यप, उपाध्यक्ष राज्य योजना आयोग व विधायक रतलाम
मंदसौर क्षेत्रफल की दृष्टि से काफी बड़ा जिला है और कई विधानसभाओं की मंदसौर संभाग बनने पर दूरी कम होगी और लोगों को सहुलियत भी होगी। इसे ध्यान में रखते हुए जनमांग पर हमने इस संबंध में मुख्यमंत्री को अवगत कराते हुए प्रस्ताव भी दिया है।
– यशपालसिंह सिसोदिया, विधायक मंदसौर