बांसवाड़ा के रास्ते 188.85 किलोमीटर लम्बी रतलाम-डंूगरपुर नई रेलवे लाइन को वर्ष 2011-12 में इस प्रावधान के साथ स्वीकृत किया गया था कि इस परियोजना की अंतिम निर्माण लागत की 50 फीसदी लागत राजस्थान सरकार की ओर से वहन की जाएगी। परियोजना के लिए भूमि भी राजस्थान सरकार की ओर से नि:शुल्क मुहैया कराई जाएगी। योजना की शुरुआत में इसकी लागत 1200 करोड़ रुपए थी जो वर्ष 2015-16 में बढ़कर 2562 करोड़ व अब 4 हजार करोड़ रुपए हो गई थी।
1736 हैक्टेयर भूमि की जरुरत
परियोजना पर 31 मार्च 2019 तक 184.21 करोड़ व्यय किए जा चुके थे। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में बताया था कि 1736 हैक्टेयर भूमि की जरूरत है। इसमें से केवल 646 हैक्टेयर भूमि ही रेलवे को सौंपी गई है। इसी प्रकार का भुगतान मध्यप्रदेश की तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान सरकार ने भी बाजना, शिवगढ़, सैलाना आदि क्षेत्र में भूमि के अधिग्रहण के लिए किया।
परियोजना पर 31 मार्च 2019 तक 184.21 करोड़ व्यय किए जा चुके थे। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में बताया था कि 1736 हैक्टेयर भूमि की जरूरत है। इसमें से केवल 646 हैक्टेयर भूमि ही रेलवे को सौंपी गई है। इसी प्रकार का भुगतान मध्यप्रदेश की तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान सरकार ने भी बाजना, शिवगढ़, सैलाना आदि क्षेत्र में भूमि के अधिग्रहण के लिए किया।
184 करोड़ से अधिक व्यय
रेलवे के अनुसार परियोजना पर 31 मार्च 2019 तक 184.21 करोड़ रुपए व्यय किए जा चुके थे। इस परियोजना के लिए 1736 हैक्टेयर भूमि की अब भी राजस्थान में जरूरत है। इसमें से केवल 646 हैक्टेयर भूमि ही रेलवे को सौंपी गई है। जमीन मालिकों को भी मुआवजे के रूप में राजस्थान सरकार की ओर से 62.71 करोड़ रुपए भुगतान किया गया है।
रेलवे के अनुसार परियोजना पर 31 मार्च 2019 तक 184.21 करोड़ रुपए व्यय किए जा चुके थे। इस परियोजना के लिए 1736 हैक्टेयर भूमि की अब भी राजस्थान में जरूरत है। इसमें से केवल 646 हैक्टेयर भूमि ही रेलवे को सौंपी गई है। जमीन मालिकों को भी मुआवजे के रूप में राजस्थान सरकार की ओर से 62.71 करोड़ रुपए भुगतान किया गया है।
वैकल्पिक योजना बने इस बारे में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को एक सवाल के जवाब में कहा है कि फिलहाल इस योजना को स्थगित किया गया है। इसके लिए राजस्थान सरकार दोषी है, क्योकि वो समय पर भूमि का अधिग्रहण नहीं कर पा रही है, फिर भी हम प्रयास करेंगे कि आदिवासी क्षेत्र की इस सुविधा को मद्देनजर रखते हुए वैकल्पिक योजना बने।
– जीएस डामोर, संसद सदस्य, रतलाम संसदीय क्षेत्र
– जीएस डामोर, संसद सदस्य, रतलाम संसदीय क्षेत्र