रतलाम

Election 2018 : ये हैं सैलाना के चेंजमेकर और पार्टियों के दावेदार

Election 2018 : ये हैं सैलाना के चेंजमेकर और पार्टियों के दावेदार

रतलामOct 13, 2018 / 08:26 pm

harinath dwivedi

Election 2018 : ये हैं सैलाना के चेंजमेकर और पार्टियों के दावेदार

रतलाम। रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। यहां से भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों के कई नेता विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। क्षेत्र पूरी तरह आदिवासी होने से इसमें रोजगार और पलायन के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल की समस्या सबसे गंभीर मु²ा रहा है। यह मु²ा आज भी बना हुआ है क्योंकि क्षेत्र में चाहे भाजपा या कांग्रेस दोनों के विधायक रहे हों किंतु उतना विकास नहीं हो पाया जो होना चाहिए। पत्रिका के चेंजमेकर अभियान के अंतर्गत चेंजमेकर और भाजपा तथा कांग्रेस के दावेदारों की क्षेत्र को लेकर जो प्राथमिकताएं हैं उनके बारे में उनका दावा क्या है यह देखिये।
 

ये हैं पत्रिका के चेंजमेकर

चेतनकुमार माल

सैलाना विधानसभा का पूरा क्षेत्र आदिवासी बहुल होने से यहां सरकार योजनाएं भी बड़ी संख्या में चलती है, किंतु वास्तव में इन योजनाओं का लाभ आम जनता को नहीं मिल पा रहा है। योजनाएं आती है और लागू हो रही है किंतु कुछ ही लोग इसका लाभ ले लेते हैं और एक बड़ा वर्ग इससे वंचित रह जाता है। यह आज की नहीं शुरू से ही हालत है। दूसरी बात यह है कि क्षेत्र में सिंचाई और बिजली का समुचित अभाव बना हुआ है। कहीं भी इतनी पर्याप्त मात्रा में बिजली और पानी की उपलब्धता नहीं है कि सालभर लोग अपने गांव में ही रहकर खेती कर सके। इस वजह से रोजगार की तलाश में गांवों से गर्मी में बड़ी मात्रा में पलायन होता है।
 

दिलीपसिंह गौड़

पत्रिका चेंजमेकर दिलीपसिंह गौड़ का भी मानना है कि क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना पहली प्राथमिकता होना ही चाहिए। क्योंकि हर साल गर्मी में जब क्षेत्र में रोजगार नहीं होता है तो बड़ी संख्या में लोग यहां से पलायन करके दूसरे प्रदेशों और जिलों में चले जाते हैं। इन्हें अपने ही क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उद्योग लगाना जरुरी है।
 

ये हैं भाजपा से टिकट के दावेदार

संगीता चारेल

सैलाना विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की वर्तमान विधायक संगीता चारेल इस सीट पर दोबारा अपनी ताल ठोक रही है। उनका मानना है कि पिछले कार्यकाल में उन्होंंने क्षेत्र के विकास के लिए काफी काम किया है। अब बचे हुए कार्य पूरा करने के लिए फिर से मैदान में उतर रही है। चारेल ने बताया अब उनकी पहली प्राथमिकता में क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा सिंचाई तालाबों का निर्माण करना और लघु उद्योगों की स्थापना करना है। आदिवासी अंचल में पैदा होने वाली बालम ककड़ी को राज्य और राष्ट्रीय पर पहचान दिलाने के लिए प्रदेश सरकार के माध्यम से बड़ा प्रोजेक्ट तैयार कराकर लागू कराएंगी। क्षेत्र में बड़ी सड़कें लगभग बन चुकी है और अब हमारा उ²ेश्य छोटे गांवो को जोडऩे की है।
 

नारायण मईड़ा

पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू से खड़े हुए नारायण मईड़ा बाद में भाजपा में शामिल हो चुके हैं और अब पार्टी से टिकट के लिए दम ठोक रहे हैं। वर्तमान में जिपं सदस्य मईड़ा का मानना है कि उनकी प्राथमिकता पूरे विधानसभा क्षेत्र में सिंचाई के साधनों का विस्तार करना है। गांवों में बिजली पहुंचाने से सिंचाई के साधन बढ़ेंगे और ज्यादा से ज्यादा तालाबों का निर्माण कराया जाना है। रोजगार की समस्या से निजात दिलाने के लिए लघु उद्योगों की स्थापना पहली प्राथमिकता है। दूसरा क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं जो अब तक बहुत ही कम है उन्हें पूरे क्षेत्र में पहुंचाना है। अंचल में शिक्षा का अभाव है जिसे दूर करने के लिए स्कूलों का विस्तार करना और तकनीकी संस्थाओं को लाना प्राथमिकता में है।
 

ये हैं कांग्रेस से दावेदार

हर्षविजय गेहलोत

पूर्व मंत्री व विधायक पुत्र हर्षविजय गेहलोत पिछले विस में इस सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे। इस बार फिर से उनकी दावेदारी है। उनका मानना है कि क्षेत्र में बहुत समस्याएं हैं इन्हें एक-एक करके पूरी तरह हल किया जाएगा। उनकी नजर में आदिवासी क्षेत्र से मजदूरी के लिए लोगों का पलायन सबसे बड़ी समस्या है। इसे रोकने के लिए क्षेत्र में लघु और कुटीर उद्योग स्थापित किया जाना सबसे पहली जरुरत है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को काम उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा जैसी योजना फिर से चालू की जाए। इससे क्षेत्र के मजदूर वर्ग को रोजगार मिलेगा। विधानसभा के हर गांव में बिजली पहुंचाने को प्राथमिकता में लिया गया है ताकि ग्रामीणों को रात के समय सुविधा मिल सके।
 

कमल देवदा

आदिवासी बहुल क्षेत्र में रोजगार नहीं मिलने से पलायन की समस्या मुखर हो गई है। साल-दर-साल बढ़ती आबादी और घटते रोजगार ने इस समस्या को और विकराल कर दिया है। हमारी प्राथमिकता में यह सबसे ऊपर है कि लोगों को रोजगार से जोड़ें जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो। आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा का अभाव है और यही वजह है कि इस क्षेत्र के बच्चे १०-११ से ज्यादा पढ़ाई नहीं करके शिक्षा से नाता तोड़ लेते हैं। जो पढ़ जाते हैं वे बाहर निकलकर रोजगार पा लेते हैं। हमारा प्रयास होगा कि क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण सेंटर खोले जिसमें युवाओं को रोजगार से जुड़़ा प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जाए।
 

बालू झोडिय़ा
आदिवासी अंचल के ज्यादातर गांवों में सड़कों का अभाव है तो सिंचाई के साधनों का ७५ फीसदी क्षेत्र में अभाव है। ऐसे में इस क्षेत्र की विकास की बात अब तक नहीं हो पाई है। हम कुटीर उद्योगों के माध्यम से रोजगार बढ़ाएंगे और लोगों को सिंचाई के साधन उपलब्ध कराएंगे जिससे वे सालभर कृषि कर सके और पलायन से मुक्ति मिले। गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं अब तक नहीं पहुंच पाई है। गांवों में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए छोटे-छोटे सेंटर खुलवाएंगे जहां मरीजों को लाभ मिल सके।
अन्य दावेदार
पवन डोडियार

आप पार्टी से क्षेत्र में दावेदारी करने आए पवन डोडियार का मानना है कि क्षेत्र में जो भी जनप्रतिनिधि रहे हैं उन्होंने आज तक जनता के लिए कुछ नहीं किया है। विधानसभा क्षेत्र के लोगों की सबसे बड़ी समस्या रोजगार और शिक्षा तथा स्वास्थ्य हैं। मेरी प्राथमिकता में माही नदी का पानी लाकर पूरे आदिवासी अंचल को सिंचाई और पेयजल के लिए पानी उपलब्ध कराएं। इतना बड़ा क्षेत्र है जहां लोगों का जीवनस्तर काफी नीचा है। इसे उठाने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य की उपलब्धता सुनिश्चित करना पहली प्राथमिकता है। व्यक्ति शिक्षित और स्वस्थ है तो वह दूसरी सुविधाएं आसानी से जुटा सकता है।
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