संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव ने बताया कि, पूर्व में जो मांग की गई उसको पूरा करना तो दूर इसके बदले कर्मचारियों को ही पद से हटा दिया गया। जबकि, उर्जा मंत्री ने ये भरोसा दिया था कि, मांग पर विचार किया जाएगा और कर्मचारियों को पद से नहीं हटाया जाएगा।
पढ़ें ये खास खबर- वन मंत्री विजय शाह को हर शहर में चाहिए बंगला, तीन जगह कर रखा है ‘कब्जा’
कहां कितने करम्चारी हटाए
संगठन के भार्गव के अनुसार, उज्जैन में 5, रतलाम में 21, जावद में 10, मनासा में 11, नीचम में 9, दतिया में 2, अशोक नगर से 1 कर्मचारी की सेवाएं समाप्त कर दी गई। अब इनमें से कुछ को वापस लिया गया, लेकिन रतलाम में भरोसा देने के बाद भी कर्मचारियों को काम पर नहीं लिया जा रहा है। इसलिए ही आंदोलन जारी है।
इसलिए किया आंदोलन
राज्य की छह बिजली कंपनी से जुड़े करीब 35 हजार आउटसोर्स कर्मचारी विभिन्न मांग को लेकर आंदोलन पर रहे। यह आंदोलन 27 सितंबर से 30 सितंबर तक चला। राज्यभर में अधिकांश कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई, जिनको बाद में काम पर रख लिया गया, लेकिन रतलाम, नीमच सहित अन्य दो स्थान पर अब तक कर्मचारियों को काम पर नहीं लिया गया। ऐसे में अब कर्मचारी फिर से आंदोलन की राह पर है।
पढ़ें ये खास खबर- पहली बार आमने सामने होंगे शिवराज और कमलनाथ, ये है भाजपा-कांग्रेस की रणनीति
कुछ को रखा कुछ शेष
मनोज भार्गव ने बताया कि, रतलाम जिले में 32 कर्मचारियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया था। अब तक 10 को रखा है शेष 21 अब तक नौकरी से बाहर ही है। इसलिए प्रदर्शन करके इनको नौकरी पर रखने की मांग की गई है।