शहर को पर्यावरण मुक्त करने के लिए दो युवा इंजीनियरों ने नई पहल शुरू की है। वे पिछले दो साल से ईको फ्रेंडली ईंटों का निर्माण कर रहे हैं।
रतलाम। शहर को पर्यावरण मुक्त करने के लिए दो युवा इंजीनियरों ने नई पहल शुरू की है। वे पिछले दो साल से ईको फ्रेंडली ईंटों का निर्माण कर रहे हैं। वर्तमान में यह उत्पादन ढाई गुना हो गया है। एक समय इंजीनियर की नौकरी करने वाले इन युवाओं ने करीब 40 लोगों को रोजगार से जोड़ा है।
आयुष गुप्ता ने बताया कि उनका उद्देश्य इस काम के साथ पर्यावरण का बचाव करना है। इनको बनाने के लिए बासवाड़ा व नागदा की फैक्ट्री से राख मंगाई जाती है। इसमें सीमेंट व अन्य केमिकल मिलाकर इनका निर्माण किया जाता है। अब यह कार्य दो शिफ्ट में चल रहा है। इससे उत्पादन ढाई गुना बढ़ा है। शुरुआत में प्रतिदिन 10 हजार ईंटे बनती थी। अब दो शिफ्ट में काम होने से उत्पादन 25 हजार प्रतिदिन हो गया है। इस वर्ष मांग भी बढ़ी है।
मेडिकल कॉलेज व पीआईयू में सप्लाई
गुप्ता ने बताया कि रतलाम में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज व पीआईयू शासकीय स्कूलों के बिल्डिंग वक्र्स में सप्लाई इनकी हो रही है। इसके साथ विभिन्न रेसीडेंसी व कॉलोनियों में बनने वाले मकानों में उपयोग हो रहा है।
खनिज माइनिंग व कंसलटेंसी का कार्य करेंगे
गुप्ता ने बताया कि उनका प्लान अब खनिज माइनिंग व कंस्लटेंसी का कार्य भी करने का है। इसके लिए वह योजना बना रहे हैं। उन्होंने इस संबंध के लिए आवेदन दिया है।