समाज के न्यासी विष्णु त्रिपाठी ने बताया कि यह मकान श्री सिखवाल ब्राöम समाज देवस्थान न्यास का है। इस मकान में महावीर एवं ओमप्रकाश आवला अपने जन्मकाल से ही निवास करते रहे हैं। वे यहां करीब लगभग 70 साल से ज्यादा समय से किरायेदार थे। वे हर माह अपने मकान का किराया न्यास को तय समय पर देते रहे हैं। अब इन्होंने स्वैच्छा से यह मकान न्यास को सौंपते हुए न्यासियों का आभार माना कि न्यास ने उन्हें इतने सालों तक बिना किसी कानूनी अड़चन और विवाद के अपने यहां रहने दिया। जब उन्होंने मकान सौंपा तो समाज में एक अनुकरणीय पहल के लिए हर किसी ने उनके इस कदम की प्रशंसा की। त्रिपाठी ने बताया कि न्यास ने मकान का कब्जा प्राप्त करने के बाद महावीर और ओमप्रकाश की इस अनुकरणीय पहल के लिए साफा बांधघकर सम्मान किया जिससे दूसरों को इससे प्रेरणा मिले।
महावीर और ओमप्रकाश ने इतने सालों तक यहां रहने के बाद भी न तो मकान पर अपना कब्जा या अधिकार जताया और न ही किसी तरह का कोई विवाद ही किया। उन्होंने तो उलटे न्यास का आभार माना कि उन्हें यहां रहने दिया। इसके बदले वे मंदिर में भगवान के लिए आधा किलो चांदी, ५१०५ रुपए नकदी, भगवान की वेशभूषा देकर भगवान से आशीर्वाद भी लेकर गए कि उन्हें इस मकान में रहते हुए काफी उन्नति मिली और परिवार सुखी व संपन्न रहा। त्रिपाठी ने बताया कि जब ओमप्रकाश और महावीर ने मकान का कब्जा दिया तो न्यास के अध्यक्ष रणछोड़ लाल व्यास, भेरूलाल व्यास, राजकुमार शर्मा, पूनमचंद व्यास, अनिल पंड्या, राधेश्याम व्यास, गोपाल उपाध्याय, शंकरलाल वोरा, चंद्रप्रकाश पुरोहित, कैलाश उपाध्याय आदि समाज के वरिष्ठजनों की उपस्थिति में मकान का खाली कब्जा प्राप्त किया गया।