प्रदेश स्तरीय राशन घोटाला उजागर के पहले ही राशन माफियाओं ने बड़ी संख्या में फर्जी कार्ड के आधार पर पात्रता पर्चियां बनवा ली थी, लेकिन शासन से आवंटन पर लगी रोक के चलते इन पर्चियों अब तक पर राशन मिलना शुरू नहीं हो सका था। हालही में शासन से लगी रोक हटी तो यहां भी फर्जीवाडे़ की आशंका में कलेक्टर तन्वी सुंद्रियाल ने इनके सत्यापन के निर्देश जारी कर दिए। सत्यापन की प्रक्रिया से जब कुछ कर्मचारी अनजान बने तो, कलेक्टर ही कम्प्यूटर पर बैठी और कर्मचारियों को सत्यापन की प्रक्रिया समझाई। इसके बाद पात्रता पर्चियों की जांच के लिए डेड लाइन भी तय कर दी थी, बुधवार को उसका अंतिम दिन था, जांच अभी पूरी नहीं हुई, इसके बाद नगर निगम ने तीन के समय की और मांग की थी।
एक हजार मिले पात्र
नगर निगम व प्रशासनिक अमले द्वारा शुरू की गई पात्रता पर्चियों की जांच में महज एक हजार पात्रता पर्चियां ही सही पाई गई है। कलेक्टर की माने तो ऑनलाइन सत्यापन में कई नाम पात्रता पर्चियों से मिल नहीं रहे है। फिलहाल जांच के लिए कुछ दिन का समय और दिया है, पर्चियां फर्जी पाए जाने की संभावना अधिक है।
करीब २५ हजार नाम है शामिल
सूत्रों की माने तो करीब छह हजार पात्रता पर्चियों में २५ हजार से अधिक लोगों के नाम शामिल है। यदि बिना जांच के इन पर्चियों पर राशन मिलना शुरू हो जाता तो राशन माफियाओं की फिर से चांदी हो जाती। शहर में घोटाला उजागर होने के पहले राशन माफियाओं की मिलीभगत से यह पर्चियां तैयार की गई थी, लेकिन शासन स्तर से आवंटन पर रोक लगी होने के चलते अब तक इन पर्चियों पर राशन जारी नहीं हो सका था।
भोपाल में भी जांच
रतलाम में राशन की कालाबाजारी का खेल उजागर होने के बाद अब इस मामले में प्रदेश स्तर पर जांच शुरू हो चुकी है। इसकी जांच का जिम्मा रतलाम कलेक्टर रहे बी. चंद्रशेखर के पास है। उनके द्वारा एक विशेष टीम गठित कर पूरे प्रदेश में चल रहे राशन के इस खेल को उजागर किए जाने को लेकर जांच भी शुरू कर दी गई है।
प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट नगर निगम से आ चुकी है। इनमें करीब एक हजार पात्रता पर्चियां सहीं पाई गई है। वहीं अधिकांश पर्चियां फर्जी होने की जानकारी मिलने पर उन्हें निरस्त भी किया गया है। कुछ पर्चियों की जांच शेष होने पर उसकी जांच के लिए निगम ने समय मांगा है, जिस पर तीन दिन का समय और दिया गया है।
तन्वी सुंद्रियाल, कलेक्टर