रतलाम

8 लेन एक्सप्रेस में अधिग्रहित भूमि से जुड़े किसान बोले दो नहीं चार गुना मिले मुआवजा

– सैलाना विधायक के साथ विकासखंड के किसान पहुंचे कलेक्टर कार्यालय, नहरों से सिंचित क्षेत्र को भी बता दिया असिंचित

रतलामOct 22, 2019 / 10:56 pm

Sourabh Pathak

8 लेन एक्सप्रेस में अधिग्रहित भूमि से जुड़े किसान बोले दो नहीं चार गुना मिले मुआवजा

रतलाम। दिल्ली-मुंबई 8 लेन एक्सप्रेस वे के लिए अधिग्रहित किसानों की भूमि का मुआवजा दो की जगह चार गुना दिए जाने की मांग को लेकर मंगलवार सैलाना विधायक की मौजूदगी में सैकड़ों किसान कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। यहां पर किसानों ने जमकर प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार से अन्य राज्यों की तर्ज पर उन्हे भी चार से छह गुना तक मुआवजा दिए जाने की मांग की। इस संबंध में उनके द्वारा प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा गया।
किसान सैलाना विधायक हर्ष विजय गेहलोत को साथ लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे। इसकी जानकारी मिलने पर कांग्रेस नेता पारस सकलेचा भी यहां पहुंचे और प्रदर्शनकारियों के साथ मिलकर जमकर नारेबाजी की। बाद में कलेक्टर रुचिका चौहान को मांगों के संबंध में ज्ञापन दिया। विधायक ने बात-बात में यह भी कह दिया कि यदि ज्ञापन में उल्लेखित अन्य मामलों में भी उनकी सुनवाई नहीं होती है तो फिर उन्हे आंदोलन की राह अपनाना पडेग़ी।
छह से आठ गुना है मुआवजा
ज्ञापन में बताया कि प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र की हजारों एकड़ भूमि का अधिग्रहण एक्सप्रेस वे के लिए किया जा रहा है। केंद्र शासन द्वारा इसके लिए शासकीय दर का मात्र दो गुना मुआवजा दिया जा रहा है। जबकि उक्त जमीन का बाजार भाव शासकीय दर से छह से आठ गुना है। सैकड़ों वर्षों से भूमि सीचने वाले हजारों किसानों का आर्थिक एवं मानसिक शोषण विकास के नाम पर होने जा रहा है। किसानों को जमीन की कीमत के साथ परंपरागत भूमि से बेदखली का हर्जाना भी देना चाहिए।
अन्य राज्य ज्यादा दे रहे
सैलाना विधायक ने बताया कि अन्य राज्य इसी राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए चार से छह गुना मुआवजा दे रहे है। हमारी मांग है कि जमीन का मुआवजा मप्र के किसानों को भी चार गुना दिया जाए। कम मुआवजे से आदिवासियों में काफी आक्रोश है। एेसे में उक्त प्रोजेक्ट में रूकावट न आए उसके लिए आदिवासी को उनका हक मिले एेसे निर्देश दिए जाए। वहीं सिंचित क्षेत्र की असिंचित मानने व दो गुना मुआवजे के स्थान पर चार गुना मुआवजा नहीं मिलने पर संघर्ष जारी रहने की बात कही।
सिंचित को बता रहे असिंचित
नहरों से सिंचित आदिवासी गांव सैलाना क्षेत्र के बावड़ी, नाल, सागला खो, खेरखूंटा, पुनापाड़ा, कारोलिया व रावटी क्षेत्र के डूंडी, हाड़ाखो, मौलावा, बीड़, भीमपुरा, भेतिया, खेरिया, रुंडी, खेड़ी, देवपाड़ा, सांगला का माल, गंगाय का पाड़ा, महुड़ी का माल, मरगुल को असिंचित मानकर शासकीय दर तय की जा रही है, जबकि इन सारे गांव की भूमि सिंचित है। कलेक्टर ने ज्ञापन लेने के दौरान सिंचित को असिंचित बताने के मामले की जांच की बात कही है।
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