असल में रेलवे ट्रैक की जांच बारिश, गर्मी व सर्दी के दिनों में होती है। इसके लिए पेट्रोलिंग करने वाले से लेकर गैंगमैन काम करते हंै। सर्दी व बारिश के दिनों में कर्मचारियों को टॉर्च की जरुरत होती है। एेसे में शिकायत मंडल में गु्रप डी के कर्मचारी कर रहे थे कि उन्हें जो सेल दिए जाते हैं, उनकी गुणवत्ता ठीक नहीं होती है।
लंबी प्रक्रिया इसकी वजह रेलवे के संरक्षा विभाग से जुडे़ अधिकारियों के अनुसार असल में सेल खरीदी की प्रक्रिया लंबी होती थी। इससे जब तक सेल कर्मचारी के टॉर्च में पहुंचते थे, वे या तो निम्नस्तर के हो जाते थे या फिर उनके काम करने की अवधि समाप्त हो जाती थी। एेसे में रेलवे ने ये निर्णय लिया है कि अब कर्मचारियों को गु्रप डी के वे कर्मचारी जो ट्रैक की सुरक्षा से जुडे़ हुए है उनको सेल देने के बजाए १५० रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे। रेलवे के इस निर्णय से मंडल में करीब ३०० कर्मचारियों को लाभ होगा व यात्रियों की सुरक्षा में भी बड़ा असर होगा।
संगठन ने उठाई थी आवाज असल में करीब दो वर्ष पूर्व जब धोंसवास सेक्शन में मानवरहित रेल फाटक पर एक ट्रेन दुर्घटना का मामला हुआ था, तब मंडल में मासिक बैंठक में इस मामले को वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाईज यूनियन ने ताकत के साथ उठाया था। इतना ही नहीं, विभिन्न अंादोलन के दौरान भी इस मांग को कायम रखा था। इसके बाद अब जाकर रेलवे ने ये निर्णय लिया है।
हर कर्मचारी की जीत है ये लंबे समय से इस मामले को उठाया जा रहा था। असल में रोशनी के अभाव में यात्री सुरक्षा से बड़ा खिलवाड़ हो रहा था। रेलवे ने ये आदेश जारी कर दिया है कि टॉर्च में सेल के लिए प्रतिमाह अनिवार्य रुप से १५० रुपए का भुगतान कर देगी।
– एसबी श्रीवास्तव, मंडल मंत्री, वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाईज यूनियन, रतलाम रेल मंडल