मुआवजे की राशि भले ही पीडि़तों के बैंक खातों में डाली जा चुकी है। वहीं आधे गेहूं के आटे से पीडि़त अपना पेट भी भर लेंगे लेकिन बिना केरोसिन दो दिन चूल्हा किस तरह से जलाएंगे ये उन्हे भी समझ नहीं आ रहा। क्यो कि बारिश की वजह से लकडि़यां भी गिली है, जिन्हे जलाने के लिए केरोसिन तो जरूरी है, एेसे में शनिवार के बाद रविवार को भी केरोसिन के लिए पीडि़तों को इंतजार करना पड़ा जबकि एेसी स्थिति में प्रशासनिक अमले को तत्काल राहत के लिए अवकाश के दिन भी इसकी व्यवस्था कराकर उन्हे राहत देना थी।
प्रशासन द्वारा पीडि़तों की मदद के बाद अब जावरा के व्यापारी भी पिपलिया जोधा, हनुमंतिया, पीपलोदी जाकर जिन लोगों के मकान गिर गए और उनके खाने-पीने के लिए कुछ नहीं बचा, उन्हे 5 किलो शक्कर, 2 किलो तेल व 6 किलो दाल, एक नमक की थैली औ चाय पत्ती की थैलियां वितरीत की। जावरा एसडीएम एमएल आर्य, नायब तहसीलदार बीएल डाबी, पटवारी गोपाल रावत के साथ व्यापारी संघ के अशोक कोठारी, निरंजन भाटी, पवन पाटनी, सुरेंद्र कोचट्टा मौजूद थे। रेड क्रॉस सोसायटी के माध्यम से सभी को उक्त सामग्री वितरित की गई। ग्राम पिपलिया जोधा में 120, हनुमंतिया में 100, पिपलोदी में 60 पैकेट बांटे गए।
आवंटन पूरा किया है
– अतिवृष्टि प्रभावित परिवारों के लिए पचास किलो गेहूं और पांच लीटर केरोसीन का आवंटन किया गया है। पीडि़तों के पास अनाज रखने की जगह की कमी के चलते फिलहाल २५ किलो गेहूं दिए गए है और शेष गेहूं उक्त राशन खत्म होने के बाद वह ले सकते है। वहीं दो गांव में केरोसीन वितरण क्यो नहीं हो पाया इसकी जानकारी ले रहा हूं। यदि किसी स्तर पर गड़बड़ी हुई होगी तो कार्रवाई की जाएगी।
एमएल आर्य, एसडीएम जावरा