scriptये है 146 प्रकार के गायत्री मंत्र, आपको देंगे हर वक्त लाभ | Gayatri Jaynti 2018 Mantra | Patrika News

ये है 146 प्रकार के गायत्री मंत्र, आपको देंगे हर वक्त लाभ

locationरतलामPublished: May 23, 2018 01:22:44 pm

Submitted by:

Ashish Pathak

ये है 146 प्रकार के गायत्री मंत्र, आपको देंगे हर वक्त लाभ

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रतलाम। गायत्री का संसार में बड़ा महत्व है। गायत्री उर्जा का संकेत है। जो व्यक्ति प्रतिदिन गायत्री स्तुती करता है, वह कभी भी किसी प्रकार की परेशानी में नहीं आता है। गायत्री का मुख्य मंत्री के अलावा विभिन्न प्रकार के देवताओं व ग्रह के लिए अलग-अलग गायत्री दी गई है। ये बात रतलाम के वरिष्ठ ज्योतिषी एनके आनंद ने गायत्री जयंती के पूर्व भक्तों को कही।
ज्योतिषी आनंद ने बताया कि सूर्य से लेकर लक्ष्मी व गरुड़ से लेकर महादेव व रुद्र तक की गायत्री संसार में है। जरुरत इन गायत्री मंत्र के सही उच्चारण की है। इसके लिए ये बेहद जरूरी है कि जब भी मंत्र का उच्चारण करें, वो स्पष्ट हो। किसी भी प्रकार के गायत्री मंत्र का जप जोर से आवाज करके न करें। गायत्री मंत्र का जप सिर्फ मंत्र में होता है।
रतलाम में होंगे ये आयोजन

गायत्री परिवार गायत्री जयंती और गंगा दशहरा जल संरक्षण का संकल्प लेकर मनाएंगे। 24 मई को शहर सहित जिले के गायत्री माता के मंदिरों पर सुबह-साधना उपासना के साथ यज्ञ का आयोजन होगा। साथ ही इस दिन जहां भी आयोजन होंगे वहां गायत्री परिवार जन सहित उपस्थित नागरिकों द्वारा जल संरक्षण, जल का अपव्यय ना करे, अधिक से अधिक पौधारोपण किया जाकर उनका संरक्षण करने के लिए संकल्पित होंगे। गायत्री परिवार प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ के विवेक चौधरी ने बताया कि शहर काटजूनगर, मोतीनगर स्थित शंकरगढ़ मंदिर के अलावा जिले के सागोद ग्राम, सैलाना, जावरा, आलोट, उपलई आदि स्थानों पर भी मां गायत्री के मंदिर पर आयोजन होंगे। विधि विधान से साधना उपासना कर यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद भोजन प्रसादी होगी।
ये है विभिन्न गायत्री मंत्र


1 सूर्य ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ॥

2 ऊं आदित्याय विद्महे सहस्रकिरणाय धीमहि तन्नो भानु: प्रचोदयात् ॥

3 ऊं प्रभाकराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात् ॥
4 ऊं अश्वध्वजाय विद्महे पाशहस्ताय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात् ॥

5 ऊं भास्कराय विद्महे महद्द्युतिकराय धीमहि तन्न आदित्य: प्रचोदयात् ॥

6 ऊं आदित्याय विद्महे सहस्रकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात् ॥

7 ऊं भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात् ॥
8 ऊं भास्कराय विद्महे महाद्द्युतिकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात् ॥

9 चन्द्र ऊं क्षीरपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि तन्नश्चन्द्र: प्रचोदयात् ॥

10 ऊं क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्वाय धीमहि तन्नश्चन्द्र: प्रचोदयात् ॥

11 ऊं निशाकराय विद्महे कलानाथाय धीमहि तन्न: सोम: प्रचोदयात् ॥
12 अङ्गारक, भौम, मङ्गल, कुज ऊं वीरध्वजाय विद्महे विघ्नहस्ताय धीमहि तन्नो भौम: प्रचोदयात् ॥

13 ऊं अङ्गारकाय विद्महे भूमिपालाय धीमहि तन्न: कुज: प्रचोदयात् ॥

14 ऊं चित्रिपुत्राय विद्महे लोहिताङ्गाय धीमहि तन्नो भौम: प्रचोदयात् ॥
15 ऊं अङ्गारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो भौम: प्रचोदयात् ॥

16 बुध ऊं गजध्वजाय विद्महे सुखहस्ताय धीमहि तन्नो बुध: प्रचोदयात् ॥

17 ऊं चन्द्रपुत्राय विद्महे रोहिणी प्रियाय धीमहि तन्नो बुध:

प्रचोदयात् ॥
18 ऊं सौम्यरूपाय विद्महे वाणेशाय धीमहि तन्नो बुध: प्रचोदयात् ॥

19 गुरु ऊं वृषभध्वजाय विद्महे क्रुनिहस्ताय धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात् ॥

20 ऊं सुराचार्याय विद्महे सुरश्रेष्ठाय धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात् ॥

21 शुक्र ऊं अश्वध्वजाय विद्महे धनुर्हस्ताय धीमहि तन्न: शुक्र: प्रचोदयात् ॥
22 ऊं रजदाभाय विद्महे भृगुसुताय धीमहि तन्न: शुक्र: प्रचोदयात् ॥

23 ऊं भृगुसुताय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्न: शुक्र: प्रचोदयात् ॥

24 शनीश्वर, शनैश्चर, शनी ऊं काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मन्द: प्रचोदयात् ॥
25 ऊं शनैश्चराय विद्महे सूर्यपुत्राय धीमहि तन्नो मन्द: प्रचोदयात् ॥

26 ऊं सूर्यपुत्राय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्न: सौरि: प्रचोदयात् ॥

27 राहु ऊं नाकध्वजाय विद्महे पद्महस्ताय धीमहि तन्नो राहु: प्रचोदयात् ॥

28 ऊं शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु: प्रचोदयात् ॥
29 केतु ऊं अश्वध्वजाय विद्महे शूलहस्ताय धीमहि तन्न: केतु: प्रचोदयात् ॥

30 ऊं चित्रवर्णाय विद्महे सर्परूपाय धीमहि तन्न: केतु: प्रचोदयात् ॥

31 ऊं गदाहस्ताय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्न: केतु: प्रचोदयात् ॥

32 पृथ्वी ऊं पृथ्वी देव्यै विद्महे सहस्रमर्त्यै च धीमहि तन्न: पृथ्वी प्रचोदयात् ॥
33 ब्रह्मा ऊं चतुर्मुखाय विद्महे हंसारूढाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ॥

34 ऊं वेदात्मनाय विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ॥

35 ऊं चतुर्मुखाय विद्महे कमण्डलुधराय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ॥

36 ऊं परमेश्वराय विद्महे परमतत्त्वाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ॥
37 विष्णु ऊं नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात् ॥

38 नारायण ऊं नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात् ॥

39 वेङ्कटेश्वर ऊं निरञ्जनाय विद्महे निरपाशाय (?) धीमहि तन्न: श्रीनिवास: प्रचोदयात् ॥
40 राम ऊं रघुवंश्याय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात् ॥

41 ऊं दाशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात् ॥

42 ऊं भरताग्रजाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात् ॥

43 ऊं भरताग्रजाय विद्महे रघुनन्दनाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात् ॥
44 कृष्ण ऊं देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्न: कृष्ण: प्रचोदयात् ॥

45 ऊं दामोदराय विद्महे रुक्मिणीवल्लभाय धीमहि तन्न: कृष्ण: प्रचोदयात् ॥

46 ऊं गोविन्दाय विद्महे गोपीवल्लभाय धीमहि तन्न: कृष्ण: प्रचोदयात् ।

47 गोपाल ऊं गोपालाय विद्महे गोपीजनवल्लभाय धीमहि तन्नो गोपाल: प्रचोदयात् ॥
48 पाण्डुरङ्ग ऊं भक्तवरदाय विद्महे पाण्डुरङ्गाय धीमहि तन्न: कृष्ण: प्रचोदयात् ॥

49 नृसिंह ऊं वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्णदंष्ट्राय धीमहि तन्नो नारसिꣳह: प्रचोदयात् ॥

50 ऊं नृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि तन्न: सिंह: प्रचोदयात् ॥
51 परशुराम ऊं जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्न: परशुराम: प्रचोदयात् ॥

52 इन्द्र ऊं सहस्रनेत्राय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि तन्न इन्द्र: प्रचोदयात् ॥

53 हनुमान ऊं आञ्जनेयाय विद्महे महाबलाय धीमहि तन्नो हनूमान् प्रचोदयात् ॥
54 ऊं आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनूमान् प्रचोदयात् ॥

55 मारुती ऊं मरुत्पुत्राय विद्महे आञ्जनेयाय धीमहि तन्नो मारुति: प्रचोदयात् ॥

56 दुर्गा ऊं कात्यायनाय विद्महे कन्यकुमारी च धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ॥
57 ऊं महाशूलिन्यै विद्महे महादुर्गायै धीमहि तन्नो भगवती प्रचोदयात् ॥

58 ऊं गिरिजायै च विद्महे शिवप्रियायै च धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ॥

59 शक्ति ऊं सर्वसंमोहिन्यै विद्महे विश्वजनन्यै च धीमहि तन्न: शक्ति: प्रचोदयात् ॥
60 काली ऊं कालिकाये च विद्महे श्मशानवासिन्यै च धीमहि तन्न अघोरा प्रचोदयात् ॥

61 ऊं आद्यायै च विद्महे परमेश्वर्यै च धीमहि तन्न: काली: प्रचोदयात् ॥

62 देवी ऊं महाशूलिन्यै च विद्महे महादुर्गायै धीमहि तन्नो भगवती प्रचोदयात् ॥
63 ऊं वाग्देव्यै च विद्महे कामराज्ञै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥

64 गौरी ऊं सुभगायै च विद्महे काममालिन्यै च धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात् ॥

65 लक्ष्मी ऊं महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नीश्च धीमहि तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात् ॥
66 ऊं महादेव्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात् ॥

67 सरस्वती ऊं वाग्देव्यै च विद्महे विरिञ्चिपत्न्यै च धीमहि तन्नो वाणी प्रचोदयात् ॥

68 सीता ऊं जनकनन्दिन्यै विद्महे भूमिजायै च धीमहि तन्न: सीता प्रचोदयात् ॥
69 राधा ऊं वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात् ॥

70 अन्नपूर्णा ऊं भगवत्यै च विद्महे माहेश्वर्यै च धीमहि तन्न अन्नपूर्णा प्रचोदयात् ॥

71 तुलसी ऊं तुलसीदेव्यै च विद्महे विष्णुप्रियायै च धीमहि तन्नो बृन्द: प्रचोदयात् ॥
72 महादेव ऊं तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ॥

73 रुद्र ऊं पुरुषस्य विद्महे सहस्राक्षस्य धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ॥

74 ऊं तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ॥
75 शङ्कर ऊं सदाशिवाय विद्महे सहस्राक्ष्याय धीमहि तन्न: साम्ब: प्रचोदयात् ॥

76 नन्दिकेश्वर ऊं तत्पुरुषाय विद्महे नन्दिकेश्वराय धीमहि तन्नो वृषभ: प्रचोदयात् ॥

77 गणेश ऊं तत्कराटाय विद्महे हस्तिमुखाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥
78 ऊं तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति: प्रचोदयात् ॥

79 ऊं तत्पुरुषाय विद्महे हस्तिमुखाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥

80 ऊं एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति: प्रचोदयात् ॥

81 ऊं लम्बोदराय विद्महे महोदराय धीमहि तन्नो दन्ति: प्रचोदयात् ॥
82 षण्मुख ऊं षण्मुखाय विद्महे महासेनाय धीमहि तन्न: स्कन्द: प्रचोदयात्॥

83 ऊं षण्मुखाय विद्महे महासेनाय धीमहि तन्न: षष्ठ: प्रचोदयात् ॥

84 सुब्रह्मण्य ऊं तत्पुरुषाय विद्महे महासेनाय धीमहि तन्न: षण्मुख: प्रचोदयात् ॥

85 ऊं नारायणाय विद्महे डमरुजातस्य धीमहि! तन्न: प्रणव: प्रचोदयात् ॥
86 अजपा ऊं हंस हंसाय विद्महे सोऽहं हंसाय धीमहि तन्नो हंस: प्रचोदयात् ॥

87 दक्षिणामूर्ति ऊं दक्षिणामूर्तये विद्महे ध्यानस्थाय धीमहि तन्नो धीश: प्रचोदयात् ॥

88 गुरु ऊं गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्मणे धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात् ॥
89 हयग्रीव ऊं वागीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हंस: प्रचोदयात् ॥

90 अग्नि ऊं सप्तजिह्वाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि तन्न अग्नि: प्रचोदयात् ॥

91 ऊं वैश्वानराय विद्महे लालीलाय धीमहि तन्न अग्नि: प्रचोदयात् ॥
92 ऊं महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि तन्नो अग्नि: प्रचोदयात् ॥

93 यम ऊं सूर्यपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि तन्नो यम: प्रचोदयात् ॥

94 वरुण ऊं जलबिम्बाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि तन्नो वरुण: प्रचोदयात् ॥
95 वैश्वानर ॐ पावकाय विद्महे सप्तजिह्वाय धीमहि तन्नो वैश्वानर: प्रचोदयात् ॥

96 मन्मथ ऊं कामदेवाय विद्महे पुष्पवनाय धीमहि तन्न: काम: प्रचोदयात् ॥

97 हंस ऊं हंस हंसाय विद्महे परमहंसाय धीमहि तन्नो हंस: प्रचोदयात् ॥
98 ऊं परमहंसाय विद्महे महत्तत्त्वाय धीमहि तन्नो हंस: प्रचोदयात् ॥

99 नन्दी ऊं तत्पुरुषाय विद्महे चक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो नन्दि: प्रचोदयात् ॥

100 गरुड ऊं तत्पुरुषाय विद्महे सुवर्णपक्षाय धीमहि तन्नो गरुड: प्रचोदयात् ॥
101 सर्प ऊं नवकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्न: सर्प: प्रचोदयात् ॥

102 पाञ्चजन्य ऊं पाञ्चजन्याय विद्महे पावमानाय धीमहि तन्न: शङ्ख: प्रचोदयात् ॥

103 सुदर्शन ऊं सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्नश्चक्र: प्रचोदयात् ॥
104 अग्नि ऊं रुद्रनेत्राय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो वह्नि: प्रचोदयात् ॥

105 ऊं वैश्वानराय विद्महे लाललीलाय धीमहि तन्नोऽग्नि: प्रचोदयात् ॥

106 ऊं महाज्वालाय विद्महे अग्निमथनाय धीमहि तन्नोऽग्नि: प्रचोदयात् ॥

107 आकाश ऊं आकाशाय च विद्महे नभोदेवाय धीमहि तन्नो गगनं प्रचोदयात् ॥
108 अन्नपूर्णा ऊं भगवत्यै च विद्महे माहेश्वर्यै च धीमहि तन्नोऽन्नपूर्णा प्रचोदयात् ॥

109 बगलामुखी ऊं बगलामुख्यै च विद्महे स्तम्भिन्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥

110 बटुकभैरव ऊं तत्पुरुषाय विद्महे आपदुद्धारणाय धीमहि तन्नो बटुक: प्रचोदयात् ॥
111 भैरवी ऊं त्रिपुरायै च विद्महे भैरव्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥

112 भुवनेश्वरी ऊं नारायण्यै च विद्महे भुवनेश्वर्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥

113 ब्रह्मा ऊं पद्मोद्भवाय विद्महे देववक्त्राय धीमहि तन्न: स्रष्टा प्रचोदयात् ॥
114 ऊं वेदात्मने च विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ॥

115 ऊं परमेश्वराय विद्महे परतत्त्वाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ॥

116 चन्द्र ऊं क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्त्वाय धीमहि तन्नश्चन्द्र: प्रचोदयात् ॥

117 छिन्नमस्ता ऊं वैरोचन्यै च विद्महे छिन्नमस्तायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥
118 दक्षिणामूर्ति ऊं दक्षिणामूर्तये विद्महे ध्यानस्थाय धीमहि तन्नो धीश: प्रचोदयात् ॥

119 देवी ऊं देव्यैब्रह्माण्यै विद्महे महाशक्त्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥

120 धूमावती ऊं धूमावत्यै च विद्महे संहारिण्यै च धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात् ॥
121 दुर्गा ऊं कात्यायन्यै विद्महे कन्याकुमार्यै धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ॥

122 ऊं महादेव्यै च विद्महे दुर्गायै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥

123 गणेश ऊं तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥
124 ऊं एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥

125 गरुड ऊं वैनतेयाय विद्महे सुवर्णपक्षाय धीमहि तन्नो गरुड: प्रचोदयात् ॥

126 ऊं तत्पुरुषाय विद्महे सुवर्णपर्णाय (सुवर्णपक्षाय) धीमहि तन्नो गरुड: प्रचोदयात् ॥
127 गौरी ऊं गणाम्बिकायै विद्महे कर्मसिद्ध्यै च धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात् ॥

128 ऊं सुभगायै च विद्महे काममालायै धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात् ॥

129 गोपाल ऊं गोपालाय विद्महे गोपीजनवल्लभाय धीमहि तन्नो गोपाल: प्रचोदयात् ॥
130 गुरु ऊं गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्माय धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात् ॥

131 हनुमत् ऊं रामदूताय विद्महे कपिराजाय धीमहि तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् ॥

132 ऊं अञ्जनीजाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् ॥
133 हयग्रीव ऊं वागीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हंस: प्रचोदयात् ॥

134 इन्द्र, शुक्र ऊं देवराजाय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि तन्न: शुक्र: प्रचोदयात् ॥

135 ऊं तत्पुरुषाय विद्महे सहस्राक्षाय धीमहि तन्न इन्द्र: प्रचोदयात् ॥
136 जल ऊं ह्रीं जलबिम्बाय विद्महे मीनपुरुषाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात् ॥

137 ऊं जलबिम्बाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि तन्नस्त्वम्बु प्रचोदयात् ॥

138 जानकी ऊं जनकजायै विद्महे रामप्रियायै धीमहि तन्न: सीता प्रचोदयात् ॥
139 जयदुर्गा ऊं नारायण्यै विद्महे दुर्गायै च धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात् ॥

140 काली ऊं कालिकायै विद्महे श्मशानवासिन्यै धीमहि तन्नोऽघोरा प्रचोदयात् ॥

141 काम ऊं मनोभवाय विद्महे कन्दर्पाय धीमहि तन्न: काम: प्रचोदयात् ॥
142 ऊं मन्मथेशाय विद्महे कामदेवाय धीमहि तन्नोऽनङ्ग: प्रचोदयात् ॥

143 ऊं कामदेवाय विद्महे पुष्पबाणाय धीमहि तन्नोऽनङ्ग: प्रचोदयात् ॥

144 ऊं कालिकाय विद्यमहे, श्मशान वासिने धिमही, तन्न च घोरे प्रचोदयात:।।

145 ऊं दामोदराय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्न: कृष्ण: प्रचोदयात् ॥
146 ऊं देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्न: कृष्ण: प्रचोदयात।।

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