दरअसल, अन्य सभी मंदिरों में प्रसाद के रूप में प्रसाद के तौर पर मिठाई या कुछ खाने की वस्तुएं मिलती हैं, किन्तु शहर के माणक में स्थित महालक्ष्मी के दरबार में भक्तों को प्रसाद के तौर पर गहने दिए जाते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु सोने-चांदी के सिक्के लेकर घर जाते हैं। महालक्ष्मी के इस दरबार में सालभर भक्तों की भीड़ लगी रहती है। यहां आने वाले श्रद्धालु माता के चरणों में जेवर और नकदी अर्पित करते हैं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में वितरण कर दिया जाता है। दिवाली के मौके पर इस मंदिर में धनतेरस से लेकर 5 दिनों तक दीपोत्सव का आयोजन होता है।
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गहनों और रुपयों से सजाया
दीपोत्सव के दौरान मंदिर में महालक्ष्मी को फूलों से नहीं, बल्कि भक्तों द्वारा अर्पित किए गए गहनों और रुपयों से सजाया जाता है। इस दौरान मंदिर में कुबेर का दरबार भी लगता है। इस दौरान मां के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में गहने और रुपये-पैसे दिए जाते हैं। मंदिर के कपाट दिवाली के दिन 24 घंटे खुले रहते हैं। इस दौरान यहां आने वाले किसी भी भक्त को खाली हाथ नहीं लौटाया जाता है। धनतेरस के दिन महिला श्रद्धालुओं को कुबेर की पोटली दी जाती है और दिवाली के दिन आने वाले श्रद्धालुओं को कुछ न कुछ जरूर दिया जाएगा।
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ब्रह्म मुहूर्त से होंगे दर्शन
मंदिर में रियासत समय से पांच दिन के दीपोत्सव पर विशेष तैयारी की जाती है। इसके लिए सजावट का दौर अब अंतिम चरण में है। भक्तों को पूरी सजावट व माता के दर्शन ब्रहम मुहूर्त में सुबह 4 बजे से होंगे।
– संजय पुजारी, श्री महालक्ष्मी मंदिर, माणकचौक
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