मूसले ने अपने आवेदन में बताया था कि रतलाम राज्य के अंतिम शासक महाराज लोकेंद्रसिंह की मृत्यु वर्ष १९९१ व भूतपूर्व महारानी प्रभाराज्य लक्ष्मी की मृत्यु वर्ष १९९३ में निसंतान व बिना वसीयत के हुई थी। उस समय स्टेशन रोड थाना पुलिस ने राजवंश की चल-अचल संपत्तियों के आधिपत्य को लेकर विवाद पैदा होने के कारण जनशांति भंग होने की आशंका को देखते हुए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १४५ जा.फो. अतंर्गत इस्तगासा २० जून १९९३ में एसडीएम न्यायालय में पेश कर संपत्तियों को शासकीय आधिपत्य में लेकर रिसीवर नियुक्त करने के निवेदन के साथ प्रस्तुत किया था।
इस मामले में एसडीएम न्यायालय रतलाम ने प्रकरण महेंद्र कुमारी व आदि व महावीरसिंह व अन्य के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन पीठासीन अधिकारी ने धारा १४६ (१) के तहत संपत्ति कुर्क कर तहसीलदार व मैनेजर कोर्ट ऑफ वार्डस रतलाम व थाना प्रभारी स्टेशन रोड को रिसीवर नियुक्त किया गया था।
एसडीएम न्यायालय द्वारा ११ दिसंबर १९९५ को पक्ष क्रमांक एक व दो द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्त्ुत राजीनामे के आधार पर आदेश पारित कर विभिन्न पक्षकारों को संपत्तियां इस शर्त में सुपुर्दगी पर दी गई थी कि जब तक विवादित संपत्तियों के नामांतरण का निराकरण नहीं हो जाता तब तक कोई भी पक्ष इनकी चल-अचल संपत्तियों का विक्रय नहीं करेगा और न विक्रय करने का अनुबंध करेगा।
प्रकरण बाद में उच्चतम न्यायालय में पहुंचने के बाद तहसीलदार, कोर्ट ऑफ वार्डस, स्टेशन रोड थाना प्रभारी द्वारा वर्ष १९९७-९८ में एसडीएम न्यायालय द्वारा पारित आदेश का पालन कर आदेशानुसार उल्लेखित शर्तों के अधिन पक्षकारों को संपत्तियां सुपुर्दगी में देकर कार्रवाई का पालन-प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था।
आवेदक ने शिकायत में बताया था कि ३१ जुलाई २००७ को राजवंश की संपत्ति से संबंधित लोकेंद्र भवन व आस -पास की संपत्ति का विक्रय सुवी इंफोकंसलटेंस को किया जा चुका है व परिसर में बने गैरेज तोड़कर भूमि को सुभाष चंडालिया नाम के व्यक्ति को बेचा व स्वरूप में परिवर्तन किया है। वहीं प्रभाराज्य लक्ष्मी की डोसी गांव स्थित भूमि को अवैध कब्जेधारियों रामसिंह राठौर व नरेंद्र शक्तावत के नाम दर्ज हो चुकी है। इन सब बातों को लेकर मूसले ने संबंधितों पर केस दर्ज किए जाने की मांग की थी।
फैसले के खिलाफ करूंगा अपील
– फैसला न्याय संगत नहीं हुआ है, इसके खिलाफ मैं उच्च स्तर पर अपील करूंगा। मुझे विश्वास है कि फैसला पक्ष में होगा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
संजय मूसले, सामाजिक कार्यकर्ता