हजारों विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़
प्रदेश में बीएससी नर्सिंग और पोस्ट बेसिक के हजारों विद्यार्थी इस समय पढ़ाई कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में करीब साढ़े चार सौ नर्सिंग कॉलेज हैं जिनमें हर एक में दो सौ से चार सौ विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। हर साल प्रवेश के बाद अगले वर्ष सितंबर माह में परीक्षाएं आयोजित हो जाना चाहिए किंतु सितंबर माह निकलने के बाद मार्च माह आधा हो चुका है। अब भी परीक्षाएं नहीं होती है तो माना जा सकता है कि ये परीक्षाएं और अधिक देरी से होगी।
दो साल की जमा हो गई फीस
नर्सिंग कॉलेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों में से पहले वर्ष के विद्यार्थियों को एक साल से ज्यादा समय हो चुका है और उनकी परीक्षाएं नहीं हो पाई है। उन्होंने दूसरे साल की न केवल पढ़ाई शुरू कर दी वरन कॉलेजों में तय फीस भी जमा कराई जा चुकी है। ऐसे में संकट यह है कि समय पर परीक्षा नहीं होती है तो उनका पूरा साल खराब हो सकता है। गौर करने वाली बात यह है कि पहले साल की परीक्षा ही नहीं हो पाई है और दूसरे साल की पढ़ाई शुरू हो गई है।
प्रदेश में बीएससी नर्सिंग और पोस्ट बेसिक के हजारों विद्यार्थी इस समय पढ़ाई कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में करीब साढ़े चार सौ नर्सिंग कॉलेज हैं जिनमें हर एक में दो सौ से चार सौ विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। हर साल प्रवेश के बाद अगले वर्ष सितंबर माह में परीक्षाएं आयोजित हो जाना चाहिए किंतु सितंबर माह निकलने के बाद मार्च माह आधा हो चुका है। अब भी परीक्षाएं नहीं होती है तो माना जा सकता है कि ये परीक्षाएं और अधिक देरी से होगी।
दो साल की जमा हो गई फीस
नर्सिंग कॉलेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों में से पहले वर्ष के विद्यार्थियों को एक साल से ज्यादा समय हो चुका है और उनकी परीक्षाएं नहीं हो पाई है। उन्होंने दूसरे साल की न केवल पढ़ाई शुरू कर दी वरन कॉलेजों में तय फीस भी जमा कराई जा चुकी है। ऐसे में संकट यह है कि समय पर परीक्षा नहीं होती है तो उनका पूरा साल खराब हो सकता है। गौर करने वाली बात यह है कि पहले साल की परीक्षा ही नहीं हो पाई है और दूसरे साल की पढ़ाई शुरू हो गई है।
यह है नियम
बीएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक या फिर जीएनएम कोर्स करने वाले विद्यार्थियों की संख्या बहुत अधिक होती है। ऐसे में इनकी परीक्षा लेने के लिए जिले के सरकारी कॉलेजों को केंद्र बनाया जाता है। हर जिले में सैंकड़ों विद्यार्थी होते हैं और नियमानुुसार निजी कॉलेजों में परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जा सकता है। सरकारी कॉलेजों को केंद्र बनाए जाने के लिए उनकी अनुमति लेना जरुरी होता है। कॉलेजों के इनकार के बाद अभी एमपीएमएसयू ने कदम पीछे खींच लिए हैं।
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कॉलेजों ने मना कर दिया
प्रदेश के लगभग सभी सरकारी कॉलेजों ने बीएससी नर्सिंग और पोस्ट बेसिक की परीक्षाएं लेने से मना कर दिया है। उन्होंने लिखित में दे दिया कि वे परीक्षाएं आयोजित नहीं कर सकते हैं। इसलिए परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाने के सिवाय कोई और चारा नहीं है। फिर भी कोशिश कर रहे हैं कि चुनाव के पहले परीक्षाएं ली जाए जिससे बच्चों का अहित नहीं हो।
आरएस शर्मा, कुलपति, एमपीएमएसयू जबलपुर
बीएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक या फिर जीएनएम कोर्स करने वाले विद्यार्थियों की संख्या बहुत अधिक होती है। ऐसे में इनकी परीक्षा लेने के लिए जिले के सरकारी कॉलेजों को केंद्र बनाया जाता है। हर जिले में सैंकड़ों विद्यार्थी होते हैं और नियमानुुसार निजी कॉलेजों में परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जा सकता है। सरकारी कॉलेजों को केंद्र बनाए जाने के लिए उनकी अनुमति लेना जरुरी होता है। कॉलेजों के इनकार के बाद अभी एमपीएमएसयू ने कदम पीछे खींच लिए हैं।
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कॉलेजों ने मना कर दिया
प्रदेश के लगभग सभी सरकारी कॉलेजों ने बीएससी नर्सिंग और पोस्ट बेसिक की परीक्षाएं लेने से मना कर दिया है। उन्होंने लिखित में दे दिया कि वे परीक्षाएं आयोजित नहीं कर सकते हैं। इसलिए परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाने के सिवाय कोई और चारा नहीं है। फिर भी कोशिश कर रहे हैं कि चुनाव के पहले परीक्षाएं ली जाए जिससे बच्चों का अहित नहीं हो।
आरएस शर्मा, कुलपति, एमपीएमएसयू जबलपुर