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निर्माण कार्य धीमी गति से होने के कारण नौनिहाल भाड़े के भवन में

locationरतलामPublished: Dec 09, 2018 05:38:28 pm

Submitted by:

Akram Khan

निर्माण कार्य धीमी गति से होने के कारण नौनिहाल भाड़े के भवन में

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निर्माण कार्य धीमी गति से होने के कारण नौनिहाल भाड़े के भवन में

रतलाम। (सुखेड़ा) सुखेड़ा ग्राम पंचायत एजेंंसी शासन की योजना के प्रति कितनी निष्ठावान है। इसका जीता जागता उदाहरण गांव में देखा जा सकता है। रतलाम जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत सुखेड़ा के अन्तर्गत आंगनवाड़ी क्रमांक 4 किरपुरा के छोटे-छोटे बच्चे शासकीय भवन के अभाव में आज भी किराये के भवन में अध्ययन कर रहे हैं।
इन नौनिहालों के लिए शासन द्वारा दो वर्ष पूर्व ही आंगनवाड़ी केन्द्र के लिए 7 लाख 84 हजार रुपए स्वीकृत करवाया भवन बनाने के लिए किरपूरा में ही आबादी क्षेत्र में सर्वे नंबर 1682 पर भूमी चयनित कर ली गई। इस चयनित भूमी पर पंचायत एजेंसी द्वारा 6 माह पूर्व नरेगा के अन्तर्गत भवन बनाने का काम भी प्रारंभ कर दिया, किन्तु चिटी की चाल चल रहा इस आंगनवाड़ी भवन के कार्य को लगता है, पूर्ण होने में बरसों लग जाएंगे। आंगनवाड़ी क्रमांक ४ के करीब 150 बच्चों को अब भी किराए के जर्जर भवन में ही अध्ययन करना होगा। यह कैसी विडम्बना है कि ग्राम पंचायत की लापरवाही के कारण जहां एक और आंगनवाड़ी भवन का काम अधूरा बडा़ है, वहीं क्षेत्रवासी इस भवन के आसपास गंदगी फेल रही है तो पालतु पशु भी भवन में बांधे जा रहे हैं। आंगनवाडी भवन की जहां बाऊण्ड्रीवाल बनाई जाना है। उस स्थान पर रसूखदार व्यक्तियों ने कब्जा कर उखेडा बना कर गांव में गन्दगी फैला रहे है।
भवन का काम जल्द शुरू होगा
आंगनवाड़ी अधूरे भवन का काम जल्द ही चालू हो जाएगा। भवन बनाने वाले मिस्त्री से बात हो चुकी है। रहा सवाल उखेडें के अतिक्रमण का तो संबंधित मालिक को नोटिस जारी किया गया है।
जगदीश पांचाल, सचिव ग्राम पंचायत सुखेडा
वरिष्ठ अधिकारियों को बता दिया
ग्राम पंचायत द्वारा अभी तक भवन निर्माण नहीं किया गया है। हमने उच्चअधिकारियों को अवगत करवा दिया है।
प्रेमलता चौहान,सेक्टर सुपरवाइजऱ आंगनवाड़ी सुखेडा
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ट्रांसफार्मर के करंट की चपेट में आने से मोर की मौत
मावता। गांव मावता में ट्रांसफॉर्मर पर करंट लगने से राष्ट्रीय पक्षी मोर की मौत हो गई जिसे पड़े हुए 4-5 दिन हो गए। पुलिस चौकी पर गांव वालों ने फोन कर सूचना दी तो चोकी प्रभारी ने कहा की ये मामला वन विभाग वाले का है। वन विभाग को सूचना देने पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई है। पहले भी कई बार मोर के करंट लगने से मौत हुई है। लगभग 7 से 8 मोर मर चुके है। पहले जब घटना घटी तक मप्रविवि कम्पनी द्वारा वायर पर कवर लगाया गया था, जिससे उस ट्रांसफॉर्मर पर कोई घटना नहीं हुई, लेकिन वह घटना दूसरे ट्रांसफॉर्मर पर हो गई है। यह घटना अंग्रेजी शराब की दुकान के पास लगे ट्रांसफॉर्मर की है।
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