रतलाम शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर बिबडोद गांव है, यहां गांव भी सामान्य गांवों की तरह ही है। इस गांव में किसान ही ज्यादा संख्या में रहते है। न ही यह गांव ज्यादा पैसे वाला है और न ही इतना गरीब की लोगों को पैसों की ज्यादा परेशानी हो। बावजूद इसके गांव के लोग हनुमानजी से गांव के लोग उधार लेते है और ब्याज देते ही रहते है।
मंदिर से मिलता है उधार पैसा यह उधार गांव के हनुमानजी से लिया जाता है, गांव में एक प्राचीन हनुमान मंदिर है, जहां गांव के लोगों की समिति है। हर साल इस मंदिर में हवन यज्ञ के लिए राशि एकत्रित होती है। हवन यज्ञ के बाद बची हुई राशि हनुमान मंदिर समिति के खाते में जमा रहती है। इसी राशि को ग्रामीणों को उधार के रुप में दिया जाता है।
मंदिर से जुड़ी है पुरानी प्रथा गांव के इस मंदिर से जुड़ी एक पुरानी प्रथा है. जिसकी शुरूआत हवन यज्ञ के साथ हुई थी। जब भी गांव में हवन होता था तो इसके लिए पैसे एकत्रित किए जाते थे। गांव के लोग हनुमान मंदिर की इसी जमा राशि से उधार लेते है और हर साल होली पर सालाना ब्याज मंदिर को जमा करवाते है। इस परंपरा में आस्था यही है कि जो ब्याज की राशि है उसे मंदिर के निर्माण व अन्य कार्य के अलावा जरूरत पडऩे पर गांव में समाज सेवा के लिए उपयोग किया जाता है। इसी सामाजिक सेवा में खर्च के लिए ग्रामीण हनुमान जी से उधार लेते है लेकिन वापस मूलधन नहीं लौटकर केवल ब्याज ही देते रहते है।
शुभ कार्य के लिए पैसे लेते हैं उधार
इस हनुमान मंदिर से उधार कोई भी अपनी मजबूरी के लिए नही लेता, बल्कि हर शुभ कार्य के लिए लेते हैं। ग्रामीणों की की आस्था है कि हनुमानजी से लिया उधार का पैसा हमारे शुभ कार्य को निर्विघ्न संपन भी करेगा और हमारे व्यवसाय में तरक्की देगा। यहां से केवल डेढ़ हजार से लेकर 3 हजार का ही उधार दिया जाता है, जिसका बाकायदा प्रोमेसरी नॉट लिखवाया जाता है और एक रजिस्टर में इसकी एंट्री भी हो रही है, जो समिति के लोगो की निगरानी में होती है।
इस हनुमान मंदिर से उधार कोई भी अपनी मजबूरी के लिए नही लेता, बल्कि हर शुभ कार्य के लिए लेते हैं। ग्रामीणों की की आस्था है कि हनुमानजी से लिया उधार का पैसा हमारे शुभ कार्य को निर्विघ्न संपन भी करेगा और हमारे व्यवसाय में तरक्की देगा। यहां से केवल डेढ़ हजार से लेकर 3 हजार का ही उधार दिया जाता है, जिसका बाकायदा प्रोमेसरी नॉट लिखवाया जाता है और एक रजिस्टर में इसकी एंट्री भी हो रही है, जो समिति के लोगो की निगरानी में होती है।
मेहनती और सम्प्पन किसान यहां सभी अच्छे मेहनती और सम्प्पन किसान है, लेकिन कोई भी शुभ कार्य करने, नया उपकरण खरीदने, शादी, सभी कार्य के लिए उधार जरूर लेते है और उस कार्य मे सबसे पहली राशि हनुमानजी से ली गयी उधार की ही होती है। बिबडोद गांव का यह मंदिर का निर्माण ग्रामीणों ने इसी ब्याज की राशि से करवाया है पहले यहां सिर्फ हनुमानजी की प्राचीन प्रतिमा थी, फिर यज्ञ हवन के लिए राशि एकत्रित कर यज्ञ हवन शुरू किया और बची हुई राशि को ऐसे ही ग्रामीणों ने उधार लेकर ब्याज देने की परंपरा आस्था के साथ शुरू की और आज यहां इसी आस्था के ब्याज से भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है। इस मंदिर में अब हनुमानजी की प्राचीन प्रतिमा के अलावा नई भोलेनाथ की भी प्रतिमा है।
