इन तीन बड़े कारणों से तप रहे मालवा के शहर
मौसम केन्द्र उज्जैन और विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की पर्यावरण प्रबंधन कार्यशाला की टीमों ने बढ़ते तापमान पर अपनी रिपोट्र्स जारी की है। केन्द्र की रिपोर्ट ने उज्जैन संभाग में घटते वन क्षेत्र, वाहनों के कारण प्रदूषण में बढ़ोतरी और पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5 व पीएम 10 को भी तापमान में बढ़ोतरी का अहम कारण बताया है। आंचलिक अनुसंधान केन्द्र कालूखेड़ा रतलाम की एक रिसर्च में भी तापमान में होते बदलाव को लेकर नरवाई जलाने और भूमि सुधार में रसायनों के अधिक उपयोग को प्रमुख कारण बताया गया है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुधाशु मित्तल ने बताया कि शहरों में बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, प्री-मानसून और पोस्ट मानसून के कारण जलवायु बदलाव के हालात का सामना करना पड़ रहा है।
मौसम केन्द्र उज्जैन और विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की पर्यावरण प्रबंधन कार्यशाला की टीमों ने बढ़ते तापमान पर अपनी रिपोट्र्स जारी की है। केन्द्र की रिपोर्ट ने उज्जैन संभाग में घटते वन क्षेत्र, वाहनों के कारण प्रदूषण में बढ़ोतरी और पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5 व पीएम 10 को भी तापमान में बढ़ोतरी का अहम कारण बताया है। आंचलिक अनुसंधान केन्द्र कालूखेड़ा रतलाम की एक रिसर्च में भी तापमान में होते बदलाव को लेकर नरवाई जलाने और भूमि सुधार में रसायनों के अधिक उपयोग को प्रमुख कारण बताया गया है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुधाशु मित्तल ने बताया कि शहरों में बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, प्री-मानसून और पोस्ट मानसून के कारण जलवायु बदलाव के हालात का सामना करना पड़ रहा है।
शिप्रा के तट से लेकर शिवना के संगम तक तपन
मालवांचल में प्रदेश की 5 छोटी-बड़ी नदियां बहती हैं और पूर्व में इनकी शितलता का प्रभाव हवाओं पर भी होता था, लेकिन अब ज्यादातर नदियां अनदेखी की मार झेल रही है। निर्मल शिवना जन अभियान के डॉ. देवेन्द्र पौराणिक ने बताया कि पर्यावरण सुधार नहीं होने से उज्जैन की शिप्रा नदी से लेकर मंदसौर में शिवना नदी के संगम तक नदियां पोखर में बदल गई है। पहले वर्षभर बहाव के कारण भूमिगत जलस्तर ठीक रहता था और इससे वातावरण में भी नमी के कारण हवाओं में ठंडक थी, लेकिन कुछ वर्षो में अब सबकुछ बदल सा गया है।
मालवांचल में प्रदेश की 5 छोटी-बड़ी नदियां बहती हैं और पूर्व में इनकी शितलता का प्रभाव हवाओं पर भी होता था, लेकिन अब ज्यादातर नदियां अनदेखी की मार झेल रही है। निर्मल शिवना जन अभियान के डॉ. देवेन्द्र पौराणिक ने बताया कि पर्यावरण सुधार नहीं होने से उज्जैन की शिप्रा नदी से लेकर मंदसौर में शिवना नदी के संगम तक नदियां पोखर में बदल गई है। पहले वर्षभर बहाव के कारण भूमिगत जलस्तर ठीक रहता था और इससे वातावरण में भी नमी के कारण हवाओं में ठंडक थी, लेकिन कुछ वर्षो में अब सबकुछ बदल सा गया है।
आंकड़ों में पसीना छोड़ते छोटे-बड़े शहर
उज्जैन....12 मई 2022...44.5 डिग्री सर्वाधिक तापमान
रतलाम....09 मई 2022...46 डिग्री सर्वाधिक तापमान
मंदसौर...12 मई 2022...45 डिग्री सर्वाधिक तापमान
नीमच...10 मई 2022...44.5 डिगी सर्वाधिक तापमान
शाजापुर....11 मई 2022...44.6 डिग्री सर्वाधिक तापमान
एक्सपर्ट व्यू...
वर्तमान हालात के लिए मानव ज्यादा जिम्मेदार है, लगातार बढ़ते तापमान का कारण हाइड्रोकार्बन का पृथ्वी से परावर्तित विकिरणों को बाहर जाने से रोकना है। तापमान में बढ़ोतरी के कारण मिट्टी कार्बन अवशोषित करने के बजाय छोडऩे लगी है। तापमान में बढ़ोतरी का असर मिट्टी में मौजूद कार्बन भंडार खत्म होने पर होगा और जलवायु पर प्रभाव पड़ेगा। इससे ही तापमान में बढ़ोतरी होती है। साथ ही प्रदूषण भी अहम कारण है, हमें ओजोन परत को बचाने के साथ ही पार्टिकुलेट मैटर जैसे पीएम 2.5 व पीएम 10 को भी नियंत्रित करना पड़ेगा।
- डॉ. देवेन्द्र मोहन कुमावत, मौसम व जलवायु विशेषज्ञ व आचार्य विक्रम विश्वविद्यालय कार्यशाला उज्जैन
लू का असर रहेगा
भीषण गर्मी और लू एंटी साइक्लोन पर भी निर्भर है, जब सतह पर हवा का दबाव अधिक होता तो इससे ऊपर की हवा नीचे आ जाती है। अधिक दबाव के कारण नीचे आने पर यह हवा गर्म हो जाती और गर्म हवाओं का असर लू के रूप में होता है। मई के शुरुआती दिनों में लू का ज्यादा प्रभाव रहा है, 1 से 15 मई के बीच कई शहरों में तापमान सर्वाधिक दर्ज किया गया।
- आरपी गुप्त, अधीक्षक शासकीय जीवाजी वैधशाला उज्जैन
उज्जैन....12 मई 2022...44.5 डिग्री सर्वाधिक तापमान
रतलाम....09 मई 2022...46 डिग्री सर्वाधिक तापमान
मंदसौर...12 मई 2022...45 डिग्री सर्वाधिक तापमान
नीमच...10 मई 2022...44.5 डिगी सर्वाधिक तापमान
शाजापुर....11 मई 2022...44.6 डिग्री सर्वाधिक तापमान
एक्सपर्ट व्यू...
वर्तमान हालात के लिए मानव ज्यादा जिम्मेदार है, लगातार बढ़ते तापमान का कारण हाइड्रोकार्बन का पृथ्वी से परावर्तित विकिरणों को बाहर जाने से रोकना है। तापमान में बढ़ोतरी के कारण मिट्टी कार्बन अवशोषित करने के बजाय छोडऩे लगी है। तापमान में बढ़ोतरी का असर मिट्टी में मौजूद कार्बन भंडार खत्म होने पर होगा और जलवायु पर प्रभाव पड़ेगा। इससे ही तापमान में बढ़ोतरी होती है। साथ ही प्रदूषण भी अहम कारण है, हमें ओजोन परत को बचाने के साथ ही पार्टिकुलेट मैटर जैसे पीएम 2.5 व पीएम 10 को भी नियंत्रित करना पड़ेगा।
- डॉ. देवेन्द्र मोहन कुमावत, मौसम व जलवायु विशेषज्ञ व आचार्य विक्रम विश्वविद्यालय कार्यशाला उज्जैन
लू का असर रहेगा
भीषण गर्मी और लू एंटी साइक्लोन पर भी निर्भर है, जब सतह पर हवा का दबाव अधिक होता तो इससे ऊपर की हवा नीचे आ जाती है। अधिक दबाव के कारण नीचे आने पर यह हवा गर्म हो जाती और गर्म हवाओं का असर लू के रूप में होता है। मई के शुरुआती दिनों में लू का ज्यादा प्रभाव रहा है, 1 से 15 मई के बीच कई शहरों में तापमान सर्वाधिक दर्ज किया गया।
- आरपी गुप्त, अधीक्षक शासकीय जीवाजी वैधशाला उज्जैन