न्यायमूर्ति आर्य ने कहा कि अभिभाषकों में कानून को पढऩे और समझने का धैर्य होना चाहिए। कानून से कभी खिलवाड़ नहीं करे और उसे अनुशासन में रहकर समझे। यह कला रातोंरात नहीं आती अपितु अनुभव से मिलती है। अनुभव हमेशा काम करने से होता है। वकालात को रोजगार नहीं, अपितु पेशा समझना चाहिए। इस पेशे में पैसे के पीछे भागने के बजाए मेहनत करें, तो पैसा खुद.ब खुद पास आएगा। उन्होंने कहा कि अभिभाषक वर्ग समाज की बुराइयों को दूर कर उसे नई दिशा प्रदान कर सकता है। इसलिए इस वर्ग को अलग ही छवि बनाना चाहिए।
हमेशा सीखने की ललक होना चाहिए
न्यायमूर्ति आर्य ने न्यायाधीशों से कहा कि अभिभाषकों के बिना न्यायाधीश और न्यायाधीश के बिना अभिभाषक काम नहीं कर सकते। इसलिए दोनों वर्ग में सीखने की ललक हमेशा रहना चाहिए। हमारा कानून समाज की जरूरतों के अनुसार होता है। उसे जितना पढ़ा जाएगा और समझा जाएगा उतना ही अच्छा काम होगा। वकालात के पेशे में डरने की जरूरत नहीं है। यह भोले बाबा जैसा है जो सबको स्वीकार कर लेता है। इस पेशे में मेहनत और जज्बे की आवश्यकता होती है। यदि ईमानदारी से प्रयास हो, तो आपको बुलंदियां छूने से कोई रोक नहीं सकता।
युवाओं को अच्छे मार्गदर्शन की जरुरत
अध्यक्षीय भाषण में सत्र न्यायाधीश शोभा पोरवाल ने कहा कि युवाओं को अच्छे मार्गदर्शन की जरूरत होती है। उन्होंने वरिष्ठ अभिभाषकों से आह्वान किया कि वे नई पीढ़ी को ऐसा मार्गदर्शन दे कि वह व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग बन सके। न्यायाधीश भी ज्ञान के प्रति सदैव जिज्ञासु रहे। ज्ञान कहीं से भी मिलने पर लाभदायी होता है। जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष दशरथ पाटीदार ने स्वागत भाषण दिया। अभिभाषकों की तरफ से बीएस जोशी ने विचार रखे। जिला अभिभाषक संघ ने मुख्य अतिथि आर्य का शाल-श्रीफल से सम्मान किया।
न्यायमूर्ति आर्य ने न्यायाधीशों से कहा कि अभिभाषकों के बिना न्यायाधीश और न्यायाधीश के बिना अभिभाषक काम नहीं कर सकते। इसलिए दोनों वर्ग में सीखने की ललक हमेशा रहना चाहिए। हमारा कानून समाज की जरूरतों के अनुसार होता है। उसे जितना पढ़ा जाएगा और समझा जाएगा उतना ही अच्छा काम होगा। वकालात के पेशे में डरने की जरूरत नहीं है। यह भोले बाबा जैसा है जो सबको स्वीकार कर लेता है। इस पेशे में मेहनत और जज्बे की आवश्यकता होती है। यदि ईमानदारी से प्रयास हो, तो आपको बुलंदियां छूने से कोई रोक नहीं सकता।
युवाओं को अच्छे मार्गदर्शन की जरुरत
अध्यक्षीय भाषण में सत्र न्यायाधीश शोभा पोरवाल ने कहा कि युवाओं को अच्छे मार्गदर्शन की जरूरत होती है। उन्होंने वरिष्ठ अभिभाषकों से आह्वान किया कि वे नई पीढ़ी को ऐसा मार्गदर्शन दे कि वह व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग बन सके। न्यायाधीश भी ज्ञान के प्रति सदैव जिज्ञासु रहे। ज्ञान कहीं से भी मिलने पर लाभदायी होता है। जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष दशरथ पाटीदार ने स्वागत भाषण दिया। अभिभाषकों की तरफ से बीएस जोशी ने विचार रखे। जिला अभिभाषक संघ ने मुख्य अतिथि आर्य का शाल-श्रीफल से सम्मान किया।
इन्होंने किया स्वागत
अतिथियों का स्वागत जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष पाटीदार, उपाध्यक्ष राजीव ऊबी, सचिव प्रकाशराव पंवार, सह सचिव विकास पुरोहित, कोषाध्यक्ष राजेन्द्रसिंह पंवार, कार्यकारिणी सदस्यों एवं वरिष्ठ अभिभाषकगण ने किया। संचालन पूर्व उप संचालक अभियोजन कैलाश व्यास ने किया। आभार संघ के सचिव प्रकाश राव पवार ने माना। इस दौरान जिला न्यायालय के समस्त न्यायाधीशगणए वरिष्ठ अधिवक्ता एवं अभिभाषक संघ के सदस्यगण उपस्थित थे।
इनका हुआ सम्मान
जिला अभिभाषक संघ ने समारोह में 17 अभिभाषकों का सम्मान किया। दो अभिभाकों का उनके परिजनों ने सम्मान प्राप्त किया। संघ ने चंद्रसिंह पंवार, पूनमचंद पाटीदार, सुरेशचंद्र केलवा, बाबूलाल मेहता, विजय स्टीफन, भेरूलाल शर्मा, बीएस जोशी, घनश्याम लश्करी, चांद खा मोयल, लालचंद ऊबी, एमए खान, यशवंत सिंह सिसोदिया, पारसमल भरगट. जमीरउद्दीन फारूकी, बद्रीलाल रावतिया, रतिचंद्र चौहान एवं मदनसिंह चौहान का सम्मान किया गया।
अतिथियों का स्वागत जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष पाटीदार, उपाध्यक्ष राजीव ऊबी, सचिव प्रकाशराव पंवार, सह सचिव विकास पुरोहित, कोषाध्यक्ष राजेन्द्रसिंह पंवार, कार्यकारिणी सदस्यों एवं वरिष्ठ अभिभाषकगण ने किया। संचालन पूर्व उप संचालक अभियोजन कैलाश व्यास ने किया। आभार संघ के सचिव प्रकाश राव पवार ने माना। इस दौरान जिला न्यायालय के समस्त न्यायाधीशगणए वरिष्ठ अधिवक्ता एवं अभिभाषक संघ के सदस्यगण उपस्थित थे।
इनका हुआ सम्मान
जिला अभिभाषक संघ ने समारोह में 17 अभिभाषकों का सम्मान किया। दो अभिभाकों का उनके परिजनों ने सम्मान प्राप्त किया। संघ ने चंद्रसिंह पंवार, पूनमचंद पाटीदार, सुरेशचंद्र केलवा, बाबूलाल मेहता, विजय स्टीफन, भेरूलाल शर्मा, बीएस जोशी, घनश्याम लश्करी, चांद खा मोयल, लालचंद ऊबी, एमए खान, यशवंत सिंह सिसोदिया, पारसमल भरगट. जमीरउद्दीन फारूकी, बद्रीलाल रावतिया, रतिचंद्र चौहान एवं मदनसिंह चौहान का सम्मान किया गया।