उच्च न्यायालय में 25 फरवरी को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति एससी शर्मा व न्यायमूर्ति शैलेंद्र शुक्ला द्वारा सुनवाई की गई, जिसमें बताया गया कि जो तस्वीरें प्रस्तुत की गई है, वह सड़क की खराब स्थिति को दर्शाती हैं और सड़कें निश्चित रूप से खराब स्थिति में है। एेसे में टोल कंपनी द्वारा 12 फरवरी को सड़कों की मरम्मत को लेकर जो कहा गया उससे स्थिति वर्तमान फ ोटो को देखकर भिन्न लग रही है, एेसे में निश्चित रूप सड़कें खुदी हुई है।
उच्च न्यायालय में टोल कंपनी के अधिवक्ता का कहना था कि सड़क की मरम्मत एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। कंपनी के अधिवक्ता की इस बात पर न्यायालय ने कहा कि यह पिछली पेशी पर कहीं गई बात के विपरीत है। अत: आज की दिनांक से अगली पेशी तक टोल कंपनी वेस्टर्न एमपी इंफ्रास्ट्रक्चर एंड टोल रोड प्राइवेट लिमिटेड को टोल कलेक्शन से रोका जाता है, जब तक की सड़क की मरम्मत पूर्ण नहीं हो जाती है। वहीं कलेक्टर रतलाम को 1 एक सप्ताह के भीतर 3 मार्च को सड़क की स्थिति के संबंध में रोड की स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के लिए आदेशित किया है।
रतलाम से लेबड़ तक सड़क मरम्मत के चलते टोल बंद किए जाने से टोल कंपनी को प्रतिदिन 40 लाख रुपए का अनुमानित नुकसान होना बताया जा रहा है। यदि इसे सात दिन के हिसाब से जोड़े तो दो करोड़ 80 लाख रुपए कंपनी को नुकसान होना माना जा रहा है। उक्त मार्ग पर रतलाम जिले के जावरा क्षेत्र में माननखेड़ा, शहर के समीप चिकलिया व धार जिले के नागदा के पास टोल आता है। एेसे में उक्त सभी टोल पर वसूली बंद कर दी गई है।