यह विचार महामंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती ने ब्रह्मलीन स्वामी ज्ञानानन्द महाराज के 28वे पुण्य स्मृति महोत्सव के दुसरे दिन अखंड ज्ञान आश्रम में व्यक्त किए। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में देशभर से भक्त बड़ी संख्या में धर्म लाभ लेने पहुंच रहे है। महामंडलेश्वर स्वामी स्वरूपानन्द महाराज के सानिध्य में य।जमान वीणा अशोक गोयल परिवार ने पोथी पूजन किया। आश्रम सहसंचालक स्वामी देवस्वरूपानन्द महाराज सहित गणमान्यजनों ने स्वागत कर आशीर्वाद लिया।
कथा से दूर होगी व्यथा
स्वामीश्री ने बताया कि कलियुग के प्रभाव में ज्ञान, वैराग्य, विचार, आचरण प्रभावित हुए है। सोचने समझने की शक्ति कमजोर हुई है, लेकिन इससे निराश होने की जरूरत नहीं है। कथा श्रवण से जीवन की हर व्यथा का अंत होता है। इसलिए प्रयत्नशील रहकर कथा का श्रवण करना चाहिए। गंगा स्नान, तीर्थ दर्शन और कथा श्रवण से अमित पुण्य होता है। इनका जीवन में लाभ लेने वाले कभी हताशा, निराशा के शिकार नहीं होते बल्कि उत्साह और उमंग से मानव जन्म के लक्ष्य पूर्ण करते है, कथा-सत्संग हमारा पथ प्रदर्शन कर जीने की राह दिखाती है।
स्वामीश्री ने बताया कि कलियुग के प्रभाव में ज्ञान, वैराग्य, विचार, आचरण प्रभावित हुए है। सोचने समझने की शक्ति कमजोर हुई है, लेकिन इससे निराश होने की जरूरत नहीं है। कथा श्रवण से जीवन की हर व्यथा का अंत होता है। इसलिए प्रयत्नशील रहकर कथा का श्रवण करना चाहिए। गंगा स्नान, तीर्थ दर्शन और कथा श्रवण से अमित पुण्य होता है। इनका जीवन में लाभ लेने वाले कभी हताशा, निराशा के शिकार नहीं होते बल्कि उत्साह और उमंग से मानव जन्म के लक्ष्य पूर्ण करते है, कथा-सत्संग हमारा पथ प्रदर्शन कर जीने की राह दिखाती है।
शुभ संकल्प की परीक्षा, शास्त्र-संत का आश्रय
स्वामीश्री ने कहा कि जो लोग सेवा, सत्संग और सद कार्यों के लिए समय नहीं होने का बहाना करते है, वे बड़े अभागे है, यदि आपका संकल्प शुभ हो तो प्रकृति भी आपका सहयोग करने के लिए तत्पर रहती है। हमेशा यद् रखो, शुभ कार्य में विघ्न आकर हमारी परीक्षा लेते है, जो इनसे घबरा जाते है वे हार जाते है जो इन्हें कुचल देते है वे दुनिया में अपना नाम कर जाते है, इसलिए शुभ संकल्प को पूरा करने के लिए संकल्पित रहे। आपने कहा कि हर व्यक्ति को अपने किये कर्म का फल भोगना ही पड़ता है, ये सिधांत अटल है। इसलिए कर्म करते समय बहुत सावधान रहे, जिनके जीवन में मार्गदर्शन के लिए गुरु नहीं होते है, वे भटक जाते है। अपनी किस्मत का रोना मत रोओ, शास्त्र और संत का आश्रय लेकर श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ से जीवन को सफल बनाइए। संचालन आचार्य उदित नारायण ने किया।
स्वामीश्री ने कहा कि जो लोग सेवा, सत्संग और सद कार्यों के लिए समय नहीं होने का बहाना करते है, वे बड़े अभागे है, यदि आपका संकल्प शुभ हो तो प्रकृति भी आपका सहयोग करने के लिए तत्पर रहती है। हमेशा यद् रखो, शुभ कार्य में विघ्न आकर हमारी परीक्षा लेते है, जो इनसे घबरा जाते है वे हार जाते है जो इन्हें कुचल देते है वे दुनिया में अपना नाम कर जाते है, इसलिए शुभ संकल्प को पूरा करने के लिए संकल्पित रहे। आपने कहा कि हर व्यक्ति को अपने किये कर्म का फल भोगना ही पड़ता है, ये सिधांत अटल है। इसलिए कर्म करते समय बहुत सावधान रहे, जिनके जीवन में मार्गदर्शन के लिए गुरु नहीं होते है, वे भटक जाते है। अपनी किस्मत का रोना मत रोओ, शास्त्र और संत का आश्रय लेकर श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ से जीवन को सफल बनाइए। संचालन आचार्य उदित नारायण ने किया।