निगम आयुक्त यहां से सीधे संपत्तिकर विभाग पहुंचे। यहां संपत्तिकर जमा होने के साथ ही भवन, भूखंडों का नामांतरण भी होता है। यहां आए एक नागरिक से पूछ लिया आप क्यों आए हैं। उसका कहना था कि उनके मकान का नामांतरण प्रकरण है। रसीदें दिखाई तो उस पर मंजू पति प्रकाशचंद्र शर्मा लिखा था और २८ जनवरी को संपत्तिकर की रसीद कट चुकी थी। आयुक्त विभाग के प्रभारी अधिकारी से पूछा कितने दिनों में नामांतरण होता है। उनका कहना था कि एक माह का समय लगता है। इस दौरान विज्ञप्ति जारी होती है और दावे-आपत्ति ली जाती है। किसी को कोई आपत्ति नहीं होने पर नामांतरण कर दिया जाता है। रसीद लेकर आए व्यक्ति से निगम आयुक्त ने कहा आप जल्दी क्यों आ गए। एक माह का समय पूरा होने दो तो उनका कहना था कि वह जानकारी लेने आया था कि क्या प्रगति है।
ऑनलाइन परमिशन की बात पर संतोष जताया
नगर निगम से ऑनलाइन भवन निर्माण अनुमति मिलने की प्रक्रिया के बारे में सुनकर निगम आयुक्त ने संतोष जाहिर करते हुए कहा कि कितने समय में परमिशन जारी कर दी जाती है। लोनिवि के सिटी इंजीनियर जीके जायसवाल ने बताया कोई आपत्ति या कमी नहीं हो तो एक माह के भीतर अनुमति जारी कर दी जाती है। उन्होंने बताया कि हर एक अनुमति के लिए नगर तथा ग्राम निवेश से अनुमति लेने की जरुरत नही है। कोई बड़ा प्रोजेक्ट हो या अवैध कॉलोनी हो तो उसमें लेना पड़ती है। निगम को हैंडओवर हो चुकी कॉलोनियों के लिए इसकी जरुरत नहीं पड़ती है। निरीक्षण के दौरान वे स्वास्थ्य विभाग, कर्मशाला, लेखा, स्थापना, कार्यालय अधीक्षक कक्ष आदि में भी गए और संबंधित विभाग प्रमुखों के साथ ही लिपिकों से परिचय प्राप्त किया। सभी को ठीक से काम करने की सलाह भी दी।