script#Ratlam मासूमों में ये लक्षण है तो हो जाए सावधान, हो सकती है यह बीमारी | If there is this symptom in the innocent, then be careful | Patrika News

#Ratlam मासूमों में ये लक्षण है तो हो जाए सावधान, हो सकती है यह बीमारी

locationरतलामPublished: Nov 26, 2022 11:47:16 am

Submitted by:

Kamal Singh

स्वास्थ्य – अस्वच्छ खान-पान, पीने का प्रदूषित पानी होना और असावधानी इसका प्रमुख कारण

#Ratlam मासूमों में ये लक्षण है तो हो जाए सावधान, हो सकती है यह बीमारी

#Ratlam मासूमों में ये लक्षण है तो हो जाए सावधान, हो सकती है यह बीमारी

रतलाम. पिछले साल जिले को डेंगू ने कहर बरपाया था तो इस बार मासूमों को पीलिया रोग ने जकड़ लिया है। अप्रेल से अब तक करीब तीन सौ बच्चे इससे पीडि़त हो चुके तो अक्टूबर और नवंबर के महज 55 दिन में 60 बच्चे इसके शिकार हो चुके हैं। कोई आश्चर्य नहीं होगा कि सर्दी के मौसम में इनकी संख्या और बढ़ जाए।

दो से दस साल की उम्र के बच्चे
बाल चिकित्सालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार जो बच्चे पीलिया रोग से पीडि़त होकर भर्ती हुए हैं उनकी उम्र दो से दस साल के बीच की ही रही है। इनमें भी पांच से सात साल की उम्र के बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा सामने आई है।

बच्चों में तेजी से होता असर
लीवर से जुड़ी यह बीमारी हर उम्र के लोगों के लिए घातक होती है और समय पर इलाज नहीं मिलने पर जान तक जा सकती है। बच्चों का लीवर कमजोर होता है और उनमें यह बहुत तेजी से अपना असर दिखाती है।

10 बच्चों को तो रैफर करना पड़ा
बाल चिकित्सालय में अप्रेल माह से अब तक करीब तीन सौ बच्चे पीलिया रोग से पीडि़त होकर भर्ती हुए हैं। इनमें से ज्यादातर का इलाज तो यहीं पर डॉक्टरों ने कर दिया किंतु 10 बच्चे थे जिनका इलाज नहीं हो पाया। इन बच्चों को मेडिकल कॉलेज रेफर करना पड़ गया। कुछ बच्चों को बाहर भी ले जाया गया।

यह वजह मानते हैं डॉक्टर
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आरसी डामोर का कहना है कि बच्चों का बाहरी खान-पान, अस्वच्छ पानी का सेवन इसकी सबसे प्रमुख वजह होती है। छोटे बच्चों को बाहरी खाना जैसे पिज्जा, बर्गर, गोलगप्पे खिलाना हानिकारक हो सकता है। घरों में आने वाले पानी की भी नियमित जांच नहीं होना एक बड़ी वजह है।

इन क्षेत्रों में ज्यादा असर
अस्पताल सूत्र बताते हैं कि जिन क्षेत्रों में बच्चे पीलिया रोग से ज्यादा पीडि़त पाए गए हैं उनमें मोचीपुरा, सुभाषनगर, हाट की चौकी क्षेत्र के साथ ही झुग्गी बस्तियों के बच्चे शामिल हैं। इन क्षेत्रों में गंदगी, पानी का प्रदूषित पाया जाना इसकी वजह हो सकती है। वातावरण से भी वस्तुएं दूषित होकर नुकसान पहुंचाती है।

फैक्ट फाइल
अप्रेल से नवंबर तक रोगी – 290
नवंबर में अब तक – 24
अक्टूबर में आए – 35
सितंबर में आए – 27

बच्चों के खानपान पर रखें नियंत्रण
बच्चों के खानपान पर अभिभावकों को नियंत्रण रखना जरुरी है। बाजार की वस्तुएं जैसे पिज्जा- गोलगप्पे या ऐसी ही चीजें खिलाने से उनके लीवर पर असर पड़ता है और बीमारी फैलती है। दूसरा पानी की स्वच्छता पर ध्यान देना जरुरी है। सबसे बड़ी वजह यही रहती है। अगस्त के बाद मरीजों की संख्या इस बार काफी बढ़ी थी। अब कुछ कम हुई है।
डॉ. आरसी डामोर, बाल चिकित्सालय प्रभारी व शिशु रोग विशेषज्ञ
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो