scriptलाभ लेेना हो तो भावांतर पंजीयन के ७ दिन शेष | If you want to take advantage then 7 days of continuous registration | Patrika News

लाभ लेेना हो तो भावांतर पंजीयन के ७ दिन शेष

locationरतलामPublished: Mar 05, 2018 11:30:08 am

Submitted by:

harinath dwivedi

जिले की २८ सोसायटी और कृषि उपज मंडी के पांच केंद्रों पर हो रहे किसानों को पंजीयन, १२ मार्च तक होंगे पंजीयन

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रतलाम। मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना अन्तर्गत पंजीयन की अंतिम तारिख १२ मार्च है, तो २८ सोसायटी केंद्र के अलावा पांच कृषि उपज मंडी केंद्रों पर भी पंजीयन किए जा रहे हैं। किसानों के योजना अन्तर्गत अधिक से अधिक पंजीयन हो इसलिए शासन के निर्देशानुसार रविवार को भी पंजीयन केंद्र खुले रहे। क्योंकि अब मात्र सात दिन शेष रह गए पंजीयन के लिए।
महूृ-नीमच रोड स्थित कृषि उपज मंडी परिसर में धराड़ सोसायटी केंद्र पर सुबह से रात ९ बजे तक पंजीयन किए गए, मंडी केंद्र पर भी पंजीयन पूरे दिन हुए। किसानों ने भी कतार में खड़े होकर पंजीयन करवाए। धराड़ सोसायटी केंद्र मंडी के विशाल शर्मा ने बताया कि अब तक भावांतर में करीब ३०० पंजीयन हो चुके हैं, रविवार को भी ४०-५० पंजीयन रात नौ बजे तक किए गए। एक-एक किसान करीब चार-चार, पांच-पांच पंजीयन लेकर आ रहा है।

मंड़ी केंद्र पर १०० से अधिक पंजीयन
कृषि उपज मंडी सचिव एमएल बारसे ने बताया कि भावांतर पंजीयन रविवार को भी किए, ताकि किसान अधिक से अधिक योजना का लाभ ले सके। पूरे दिन तीन कम्प्यूटर ऑपरेटर मंडी केंद्र पर पंजीयन के लिए नियुक्त किए थे। काफी किसानों ने आसानी से पंजीयन करवाए। भावांतर पंजीयन की अंतिम तारिख १२ मार्च है, किसान भाईयों से आग्रह है कि असुविधा से बचने के लिए जल्द से जल्द पंजीयन केंद्रों पर पहुंचकर करवाए। वैसे मंडी केंद्र पर रविवार को ३६ से अधिक पंजीयन हुए और अब तक १०० के करीब पंजीयन हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री से पाटीदार ने कहा लहसुन को भावांतर में करंे शामिल
लहसुन के कम होते भाव से चिंतित किसानों की परेशानी लेकर लहसुन को भी भावांतर में शामिल करने की मांग को लेकर राज्य कृषक आयोग के अध्यक्ष ईश्वरलाल पाटीदार मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से मिले। पाटीदार ने मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए मांग पत्र सौपते हुए बताया कि मेरे द्वारा भ्रमण में पाया गया है कि किसानों को पिछले साल जो लहसुन का मूल्य इस समय में ८ से १० हजार रुपए प्रति क्विंटल था, वह इस वर्ष ५०० से १२०० रुपए क्विंटल बिक रहा है। किसानों को लागत मूल्य तो ठीक मजदूरी भी नहीं मिल रही है, किसान भारी घाटे में है। इसलिए लहसुन को भावांतर योजना में जुड़वाने का कष्ट करे, ताकि किसानों को लहसुन का सही मूल्य मिल सके।
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