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पांच साल से फाइलों में घुम रही जबाली योजना

locationरतलामPublished: May 16, 2022 06:01:41 pm

Submitted by:

Yggyadutt Parale

आश्वासन तो सभी देते, बस बेटियों के लिए मैदान में काम से कतरा रहे

पांच साल से फाइलों में घुम रही जबाली योजना

पांच साल से फाइलों में घुम रही जबाली योजना

रतलाम/ढोढर. रतलाम रेंज के तीन जिले रतलाम, मंदसौर व नीमच के 66 गांव में रहने वाले बाछड़ा समुदाय की बेटियों के उत्थान के लिए पांच साल पहले जबाली योजना बनाई गई। जब योजना बनी, तब दावा किया की इस समुदाय की बेटियां जल्दी ही समाज के उस विकृत कार्य से बाहर आ जाएगी, जिससे दूर करने इनके लिए योजना बनी। पांच साल से योजना फाइलों में तो घुम रही है, बस उससे बाहर मैदान में नहीं आ पाई। बेटियों के लिए आश्वासन तो हर अधिकारी ने दिया, बस मैदान में काम का अभाव साफ नजर आ रहा है।
बाछड़ा समुदाय को समाज की मुख्य धारा से जोडऩे का राज्य की सरकार भले ही ढिंढोरा पीट रही है, लेकिन मैदान पर इनका उत्थान नहीं हो पा रहा है। अब तक इस समुदाय को बेहतर जिंदगी देने का जिम्मा एनजीओ के भरोसे ही है। समाज के उत्थान के लिए पांच साल पूर्व तत्कालीन कलेक्टर बी. चंद्रशेखर ने जबाली योजना बनाई गई थी, उनके तबादले के बाद यह योजना फाइलों से बाहर नहीं आ पाई है। हाल यह कि अब पदस्थ अधिकारियों को इस योजना की जानकारी नहीं है।
एनजीओ के भरोसे इनका उत्थान
बाछडा समुदाय के लोग रतलाम, मंदसौर व नीमच जिले के करीब 66 गांवों में निवास करते हैं । वर्तमान में यह समुदाय रूढ़ीवादिता को छोड़कर समाज की मुख्य धारा से जुडऩे का प्रयास कर रहा है। यह समुदाय शिक्षित होकर अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा पर ध्यान दे रहा है, लेकिन अधिकारियों के उपेक्षित रवैये के कारण पढ़े-लिखे युवा वर्ग का उत्थान नहीं हो रहा है। आला अधिकारी एनजीओ के भरोसे इनका उत्थान बता रहे हैं। इस समुदाय के उत्थान का जिम्मा पहले आदिम जाति कल्याण विभाग के पास था। इसके बाद इसे पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक विभाग को सौंप दिया है।
न परिचय पत्र बने न आदेश का पालन हुआ
जिला न्यायालय के न्यायाधीश राजेशकुमार गुप्ता ने परवलिया में अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि इस समुदाय के जो बच्चे पढऩे जा रहे हैं या पढऩे जाने वाले है उनकी धरपकड़ नहीं करें। इनके परिचय पत्र बनाने के साथ कम्प्यूटर शिक्षा, कोचिंग आदि पर ध्यान दिया जाए। उक्त निर्देश का पालन नहीं हो पाया है।
युवाओं को नौकरी धंधे के लिए मिले सहायता
हमारे समुदाय के पढ़े लिखे युवा-युवतियों को शिक्षा, नौकरी व कारोबार के लिए लोन की व्यवस्था की जाए। ताकि समुदाय मुख्यधारा में शामिल हो सके। हमें अपनी बात कहने का मौका दिया जाना चाहिए।
अरविंद चौहान, संस्थापक, बाछड़ा नवयुवक समुदाय, ढोढर।
घुमक्कड़ जाति की योजना का लाभ मिले
शासन ने इस समुदाय को घुमक्कड़ जाति में शामिल कर रखा है लेकिन घुमक्कड़ जाति की एक भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। इस समुदाय की जिस विभाग को जिम्मेदारी दी। उसने सुध नहीं ली।
राकेश चौहान, पूर्व जिलाध्यक्ष, बाछड़ा समुदाय।
जबाली योजना नहीं चल रही
जिले में बाछड़ा समुदाय के लिए जबाली योजना शुरू नहीं हुई है। सामान्य लोगों के लिए जो योजना है। वह इनके लिए भी है।
रजनीश सिन्हा, डीपीओ, महिला बाल विकास विभाग, रतलाम।
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