scriptJain saint told what is the biggest sacrifice | जैन संत ने बताया क्या है सबसे बड़ा त्याग | Patrika News

जैन संत ने बताया क्या है सबसे बड़ा त्याग

locationरतलामPublished: Aug 27, 2023 12:45:54 pm

Submitted by:

Gourishankar Jodha

रतलाम। वक्त का कोई भरोसा नहीं है, वह कब किस करवट बैठता है, इसका अंदाजा किसी को नहीं रहता, इसलिए अभिमान नहीं करना चाहिए। संसार में अहंकार धिक्कार है और विनम्रता संस्कार है। सम्यक ज्ञान की प्राप्ति विनम्रता ही कराती है, इसलिए सबका लक्ष्य अहंकारी नहीं विनम्र बनने का होना चाहिए। यह विचार शनिवार सुबह आचार्यश्री विजयराज महाराज ने छोटू भाई की बगीची में चातुर्मासिक प्रवचन में कही।

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महाराजश्री ने कहा कि मनुष्य को थोड़ा ज्ञान होने पर ही सर्वज्ञानी होने का अभिमान हो जाता है। जीवन में यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि दुर्योधन, कंस और रावण जैसे सर्व शक्ति शालियों का अभिमान भी नहीं रहा, तो हमारा कहां से रहेगा? महाराजश्री ने सन्मति के गुण सम्यक ज्ञान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि महापुरुषों के अनुसार देने के लिए दान, लेने के लिए ज्ञान और त्यागने के लिए अभिमान होता है। दान केवल वस्तु का ही नहीं होता, अपितु अनुमोदना करके भी व्यक्ति महादानी बन सकता है। ज्ञान यदि विनम्र होकर प्राप्त किया जाता है, तो वह व्यक्ति को महान बना देता हैं। इसी प्रकार यदि अभिमान त्यागने के लिए है, ये किसी ने समझ लिया तो समझो कि उसे सम्यक ज्ञान का मर्म समझ में आ गया है।
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