22 मार्च को जनता कफ्र्यू की शुरुआत होने के बाद से जैन हेल्पलाइन की शुरुआत हो गई। पहले मोहन टाकिज क्षेत्र में यहां पर भोजन निर्माण कार्य शुरू किया गया। इसके बाद जब मांग बढ़ी, विभिन्न राज्यों से बाहर से श्रमिकों का आना शुरू हुआ तो काम व अनाज के अभाव में भोजन के पैकेट की मांग में बढ़ोतरी हुई। इसके बाद सुमंगल गार्डन में भी भोजनशाला याने की जैन हेल्पलाइन की अतिरिक्त शाला की शुरुआत हुई। इसमे कई सामाजिक संगठनों ने आगे आकर मदद की।
यह लाभ हुआ इससे – शहर की 100 से अधिक कमजोर बस्तियों में जैन हेल्पलाइन पहुंची।
– इससे लाभ यह हुआ कि समाज के कमजोर वर्ग में भोजन को लेकर कोई अंसतोष नहीं हुआ।
– इससे लाभ यह हुआ कि समाज के कमजोर वर्ग में भोजन को लेकर कोई अंसतोष नहीं हुआ।
– लॉकडाउन में काम के अभाव में रोटी का संकट पैदा शहर में नहीं हुआ।
– कोरोना के वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने में सफलता मिली। कई संगठनों का योगदान जब कोरोना काल शुरू हुआ तो यह विचार आया कि समाज के कमजोर वर्ग के भोजन प्रबंध की जिम्मेदारी समाज की बनती है। इसको देखते हुए जैन हेल्पलाइन की शुरुआत की गई। इसमे कई संगठनों का योगदान रहा। अनेक युवाओं ने स्वेव्छा से आकर भोजन पैकेट निर्माण से लेकर वितरण कार्य में मदद की।
– महेंद्र गादिया, समाजसेवी
– कोरोना के वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने में सफलता मिली। कई संगठनों का योगदान जब कोरोना काल शुरू हुआ तो यह विचार आया कि समाज के कमजोर वर्ग के भोजन प्रबंध की जिम्मेदारी समाज की बनती है। इसको देखते हुए जैन हेल्पलाइन की शुरुआत की गई। इसमे कई संगठनों का योगदान रहा। अनेक युवाओं ने स्वेव्छा से आकर भोजन पैकेट निर्माण से लेकर वितरण कार्य में मदद की।
– महेंद्र गादिया, समाजसेवी