चातुर्मास संयोजक महेंद्र गादिया ने बताया कि समता कुंज रतलाम में 22 अक्टूबर को दीक्षा दानेश्वरी आचार्यश्री रामेश के मुखारविंद से सोमेश्वर की मुमुक्षु निर्मला दुग्गढ़ एवं रूपाली सोलंकी जैन भागवती दीक्षा ग्रहण करेगी। उनके दीक्षा महोत्सव के तहत 21 अक्टूबर को सुबह 7.45 बजे घांस बाजार स्थित समता अतिथि भवन से वरघोड़ा निकलेगा। इसमें दीक्षार्थी के साथ बाल मुमुक्षु नीरज एवं समता मालू तथा मुमुक्ष करिश्मा भी शामिल होंगी। वरघोड़ा नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए समता कुंज पहुंचकर व्याख्यान में परिवर्तित होगा। संघ द्वारा दोपहर 1.30 बजे गोपाल नगर के सांस्कृतिक मंच पर अभिनंदन समारोह सभी मुमुक्षुगण एवं उनके परिवारजन का अभिनंदन किया जाएगा। समारोह में वीर परिवार के रूप में इंदरमल कांठेड़ परिवार रतलाम एवं बाबुलाल संघवी परिवार इंदौर का भी अभिनंदन होगा। श्री संघ ने समाजजनों से सभी कार्यक्रमों में अधिक से अधिक उपस्थित होकर दीक्षा अनुमोदना में सहभागी बनने का आव्हान किया है।
हमारा मन ही हमें बचाने में समर्थ है, इसे आत्मानुशासन में रखे
आचार्यश्री रामेश नेे समता कुंज में अमृत देशना के दौरान कहा अच्छे का नतीजा अच्छा और बुरे का नतीजा बुरा होता है। घड़ी में जिस प्रकार तीन प्रकार के कांटे अपने हिसाब से चलते है। उसी प्रकार कर्मों का खेल है। घड़ी के कांटो के पीछे मशीन होती है, तो कर्मों के पीछे मन होता है। रावण जब सीता का अपहरण करके लाया, तो विभीषण ने उसे सीता को वापिस लोटाने को कहा था। रावण ने विभीषण की बात मान ली होती, तो उसका इतना बुरा हश्र नहीं होता। हमारा मन ही हमें बचाने में समर्थ है। इसे आत्मानुशासन में रखे। शासन प्रभावक धर्मेशमुनि ने राम और रावण के अंतर पर प्रकाश डाला। पंथकमुनि ने भी संबोधित किया। संचालन बाबूलाल सेठिया ने किया।
बुरे व्यक्ति का बहिष्कार न कर, उसमें संस्कार जगाओं
लोकेन्द्र भवन में धर्मसभा में मुनिश्री प्रमाणसागर महाराज ने गुरुभक्तों को जीवन में गिरकर संभलने और गिरे हुए लोगों के प्रति सहानुभूति के सूत्र समझाए
रतलाम। घर, परिवार और समाज में कोई व्यक्ति कमजोर है। किन्ही कारणों से कोई गलती कर बैठा हो या उसके हाथ से कुछ बुरा हो गया हो तो उसे नजरों से गिरा कर उसका बहिष्कार मत करो। आपकी नजरों से गिरे हुए उस व्यक्ति को उठाओं, उसमें धर्म और संस्कार जगाओं। दुत्कारने, धिक्कारने की प्रवृति को त्याग कर उसे संभालों और संभलने का मौका दो। गिरे हुए व्यक्ति को वही उठा सकता है जो खुद दुनिया की नजरों में उठा हुआ हो। हमारे शरीर में अगर फोड़ा हो जाता है तो हम उसका उपचार कराते हुए इसी तरह परिवार और समाज का हर व्यक्ति हमारे शरीर का एक अंग है अगर वो किन्ही कारणों से मुसीबत में उलझा है तो उसे उबारने का प्रयास करे आपका भी जीवन संवर जाएगा।
चातुर्मास धर्मप्रभावना समिति द्वारा लोकेन्द्र भवन में आयोजित चातुर्मास के दौरान मंगल प्रवचन में मुनिश्री प्रमाणसागर महाराज ने शुक्रवार को गुरुभक्तों को गिरना, गिराना, संभलना, संभालना सूत्र समझाते हुए उद्गार प्रकट किए है कि जीवन में कभी गिरना नहीं, गिर जाओं तो संभल जाओं और अगर कोई दूसरा भी गिर गया हो तो उसे भी संभालना मानव धर्म है। दुत्कारने की बजाय पुचकारने का काम करो। सम्पन्न परिवार किसी एक को सक्षम बनाने का संकल्प ले।
प्रसाद सांस्कृतिक साहित्य मंडल ने मनाया स्थापना दिवस
रतलाम। प्रसाद सांस्कृतिक साहित्य मण्डल का 57 वां स्थापना दिवस दशहरे के अवसर पर दो बत्ती स्थित डॉ. डीएन पचौरी के निवास पर मुख्य अतिथि जीडी अंकलेसरिया एवं कार्यक्रम अध्यक्षा हांसी शिवानी की उपस्थिति में मनाया गया। साथ ही संस्था के संस्थापक स्व. मार्तण्डराव पंवार को पदधिकारीयों व सदस्यों द्वारा पुष्प अर्पित कर श्रद्घाजंलि अर्पित की गई। मुख्य अतिथि अंकलेसरिया ने संस्था की गतिविधियों की प्रशंसा करते हुए हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया। डॉ डीएन पचौरीने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्था आने वाले वर्षो में भी साहित्य जगत पर कार्य करते हुए स्व. पंवार के स्वनों का साकार करेगी। मण्डल के संयोजक डॉ. हरिप्रसाद श्रीवास्तव ने संस्था की गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए मण्डल के सह.संयोजक पद पर राजेन्द्र जाधव को नियुक्त किए जाने की घोषणा की। साथ ही उन्होने स्व. पंवार की स्मृति में एक स्मारिका का विमोचन करने की घोषणा की। कवि रामचन्द्र फुहार और राम दिवे ने कविता पाठ किया। इस अवसर पर महेश दशोत्तर, घनश्याम शर्मा, धन्नालाल लुहार, नारायण भटेवरा, श्यामसुन्दर राठौर, सुमति जाधव, मंजुदेवी, कुमारी पूजा, सीमा कदम, कमल शिन्दे, आजाद भारती, सुरेन्द्र सुरेका, गुमानमल नाहर, विरेन्द्र पाफगांवकर, डॉ. रघुनाथराव नवले, डॉ.डीसी राठौर आदि उपस्थित थे।