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रतलाम में झमाझम बारिश…सोयाबीन-मक्का की फसलें होने लगी खराब

locationरतलामPublished: Jul 23, 2018 12:27:45 pm

Submitted by:

Gourishankar Jodha

रतलाम में झमाझम बारिश…सोयाबीन-मक्का की फसलें होने लगी खराब, लगातार नमी रोक रही पौधा की बढ़वार, कृषि विभाग दे रहा सलाह कृषक पानी निकासी करे व्यवस्था,

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रतलाम में झमाझम बारिश…सोयाबीन-मक्का की फसलें होने लगी खराब

रतलाम। रिमझिम बारिश के साथ आसमान में छाये बादल अब सोयाबीन-मक्का फसल की वृद्धि रोकने के साथ ही पौधे गलना की स्थिति में पहुंचने लगे हैं। हर दिन बारिश हो रही है तो आंकड़ा १७.५ इंच पर पहुंच गया। कहीं-कहीं फंगस के कारण सोयाबीन के पौधे खेतों में सूखने की सूचना भी मिली है। कहीं कहीं हरी ईल्ली तो कहीं पत्ते पिले पडऩे ने लगे हैंं। कनेरी के कृषक राजकुमार गुर्जर ने बताया कि लगातार बारिश से खेतों में फसल पिली पड़ऩे लगी है, सोयाबीन और मक्का की बढ़वार पर भी फर्क पडऩे लगे है। इसी प्रकार तुफानसिंह चोराना ने बताया कि सोयाबीन के फसल अच्छी है, लेकिन कहीं कहीं पौधे पिले पड़कर सुखने लगे हैं।
कृषि विभाग के अनुसार विशेषज्ञों की सलाह अनुसार फसलों में दवाई का छिड़काव करे। वैसे सोयाबीन की फसल १५ से २५ दिन अवस्था की है और जिन क्षेत्रों में बारिश नहीं हो रही है, वहां पर खरपतवार नियंत्रण के लिए डोरा-कुल्पा चलाए। सोयाबीन फसल ३० दिन की होने के बाद फसल में डोरा न चलाए। जिन कृषकों की सोयाबीन फसल १५ से २० दिन की अवस्था की हो एवं बोनी के पूर्व एवं बोनी के तुरंत बाद खरपतवार नाशिकों का प्रयोग नहीं किया गया हो, वह कृषक सोयाबीन की खड़ी फसल में अनुशंसित खरपतवार नाशक जैसे इमाझेथायपर (१.० लीटर प्रति हेक्टेयर चौड़ी एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवार पाए जाते हो वह कृषक क्लोरीम्यूरान मिथाईल (३६ ग्राम प्रति हेक्टेयर) का छिड़काव करे। जिन किसानों के खेतों में केवल सकरी पत्तीवाले खरपतवार की संख्या अधिक हो वे कृषक क्विजालोफाप ईथाइल (१ लीटर प्रति हेक्टेयर) या क्विजालोफाप-पी-टेफुरील (१.० लीटर प्रति हेक्टेयर) में से किसी एक का ५०० लीटर पानी के साथ फ्लड जेट या फ्लेट फेन नोजल का उपयोग कर समान रूप से खेत में छिड़काव करे।
हरी ईल्ली की संभावना, करे उपाय
कृषि उपसंचालक जीएस मोहनिया ने बताया कि वर्तमान में समीलूपर (हरी इल्ली) के प्रकोप की संभावना हो सकती है, इसके नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरीफॉस या क्विनालफॉस १.५ मिली लीटर दवा प्रति लीटर पानी के मान से घोल बनाकर सोयाबीन की फसल पर छिड़काव करें। प्रति हेक्टेयर ५०० लीटर पानी का उपयोग अनिवार्यत: किया जाए।
इसी प्रकार विगत वर्ष में जिन स्थानों पर सोयाबीन की फसल पर व्हाइट ग्रब (सफेद सूंडी) का प्रकोप हुआ था। वहां के किसान व्हाइट ग्रब के व्यस्कों को एकत्र कर नष्ट करने के लिए प्रकाश जाल अथवा फिरोमेन ट्रेप का प्रयोग करें। जिन क्षेत्रों में अधिक वर्षा हो रही है, वहां पर सोयाबीन के खेतों में जल भराव न होने दें एवं जल निकासी की व्यवस्था करें।

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