अभ्यारण में दुर्लभ प्रजातिक के खरमौर को देखने को यहां वन विभाग ने अपने चौकीदार की नियुक्ति भी कर रखी है। इसके साथ ही विभाग का अमला भी अभ्यारण में होने वाली हर हरकत पर नजर रखता है लेकिन इस वर्ष जिले और क्षेत्र में बेहतर बारिश होने के बाद एक भी पक्षी का नहीं आना चिंता का विषय है। सामान्य तौर पर बारिश के शुरुआत के महीने में जुलाई-अगस्त माह तक एक दर्जन खरमौर क्षेत्र में देखे जा चुके है लेकिन इस वर्ष अब तक उक्त पक्षी की किसी प्रकार की हलचल का आभास भी नहीं हुआ है।
तीन वर्ष से कम हुई संख्या
शिकारवाड़ी और आंबा के खरमौर अभयारण्य में बीते तीन वर्ष से खरमौर के आने की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। इसके पीछे एक कारण यहां का वातावरण अब इनके अनुकूल कम होना बताया जा रहा है। इनके कम आने के कारण ही क्षेत्र में खनन को वन विभाग ने पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। बीते कुछ वर्षों में क्षेत्र में अवैध खनन के बढऩे से जलवायु परिवर्तन होना और पवन चक्कियों का बढ़ी मात्रा में लगना भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है।
पिछली बार भी देरी से आए थे
शिकारवाड़ी और आंबा स्थित खरमौर अभयारण्य में पिछली बार भी खरमौर अगस्त माह के आखिर समय में आए थे। इस बार भी अगस्त के बाद सितंबर बीत गया और अक्टूबर माह भी आधा बीतने को आया है और अब तक एक भी पक्षी यहां नजर नहीं आया है। साल दर साल लगातार पक्षियों के आने की संख्या घटते हुए स्थिति अब ये आ पहुंची है कि इस बार एक भी खरमौर यहां नहीं आया है। खरमौर को लेकर उसे देखकर उसकी सूचना देने वाले के लिए सरकार ने ईनाम देने की घोषणा भी कर रखी है।
नहीं आए मेहमान
– सैलाना के शिकारवाड़ी व आंबा स्थित खरमौर अभयारण्य में अब तक खरमौर नहीं देखे गए है। उनके नहीं आने के कारणों का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। बीते दस वर्ष में यह पहला मौका है, जब एक भी पक्षी यहां नहीं आया।
रतन सिंगाड़, डिप्टी रेंजर, सैलाना