अमृत देशना में आचार्यश्री ने कहा कि संयमी जीवन प्राप्त करना ही साधु का लक्ष्य नहीं होता। संयमी जीवन की आराधना तथा नियमित रूप से कषायों से दूर रहने का लक्ष्य होना चाहिए। साधु जीवन का मुख्य ध्येय सेवा होना चाहिए। मन, वचन, काया से सभी प्रकार की सेवाएं करने पर शांति एवं समाधि की प्राप्ति होती है। राजेश मुनि महाराज ने कहा कि पहले भी कई दीक्षा के प्रसंग आए है, इनसे हमने क्या ग्रहण किया। गौतममुनि महाराज ने आचार्यश्री नानेश की पुण्यतिथि के अवसर पर 25 से 27 अक्टूबर तक तेले की तप आराधना करने का आव्हान किया। व्याख्यान को निश्चलमुनि, पंथकमुनि, महासतीश्री चिंरजना एवं दीक्षार्थी परिवार के जयेश बोहरा ने भी संबोधित किया। संचालन सुशील गौरेचा एवं महेश नाहटा ने किया। इस अवसर पर विधायक चेतन्य काश्यप सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।
श्री संघ द्वारा मुमुक्षुगणों को समारोह पूर्वक अभिनंदन श्री साधुमार्गी जैन संघ द्वारा दीक्षा महोत्सव से पूर्व सम्मान समारोह आयोजित हुआ। इसमें दीक्षार्थी निर्मला दुग्गढ़, रूपाली सोलंकी, बाल मुमुक्षु नीरज मालू, समता मालू, रतलाम की मुमुक्षु निकिता मूणत तथा उनके परिजनों तथा इंदरमल कांठेड़ व बाबूलाल संघवी परिवार का अभिनंदन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुंदरलाल दुग्गढ़ रहे। राष्ट्रीय महामंत्री धर्मेंद्र आंचलिया, प्रदेश अध्यक्ष राजमल पंवार एवं युवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अतुल पगारिया विशेष अतिथि थे। अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष पुखराज बोथरा ने की। स्वागत भाषण चातुर्मास संयोजक महेंद्र गादिया ने दिया। समारोह को श्री संघ अध्यक्ष मदनलाल कटारिया ने संबोधित किया। संचालन दिव्या मूणत एवं चंदन पिरोदिया ने किया। आभार विनोद मेहता ने किया।