यह बात रविवार को लोकेंद्र भवन में मनाए गए मातृ-पितृ महोत्सव के अन्तर्गत उपस्थित सैकड़ों की संख्या में धर्मालुओं को संबोधित करते हुए मुनिश्री प्रमाणसागर महाराज ने गुरुभक्तों को चार बातों के रुप में कृपा, कृत्यघ्यता, कर्ज और फर्ज के सूत्र समझाते हुए कही।
मातृ-पितृ वंदन में गुरुभक्त हुए भाव विभोर
लोकेन्द्र भवन में आयोजित चातुर्मास के दौरान शुरू हुए सात दिवसीय दिव्य सत्संग के दौरान रविवार का दिन उस समय यादगार पल बन गया। जब सैकड़ों माता-पिताओं का पूजन पूरे विधि-विधान से उनका परिवार कर रहा था। मुनिश्री प्रमाणसागर महाराज और आचार्यश्री हेमेन्द्रसागर महाराज ‘बंधु-बेलड़ीÓ के सानिध्य में तीन और चार पीढियों वाले 100 से अधिक परिवारों ने किया, मातृ-पितृ वंदन तो पांडाल में मौजूद गुरुभक्त भाव विभोर हो गए। नमकीन के रुप में समूचे देश में पहचान रखने वाले रतलाम शहर में रिश्तों में घुलती मिठास देख पांडाल में मौजूद गुरुभक्त भाव विभोर नजर आ रहे थे।
लोकेन्द्र भवन में आयोजित चातुर्मास के दौरान शुरू हुए सात दिवसीय दिव्य सत्संग के दौरान रविवार का दिन उस समय यादगार पल बन गया। जब सैकड़ों माता-पिताओं का पूजन पूरे विधि-विधान से उनका परिवार कर रहा था। मुनिश्री प्रमाणसागर महाराज और आचार्यश्री हेमेन्द्रसागर महाराज ‘बंधु-बेलड़ीÓ के सानिध्य में तीन और चार पीढियों वाले 100 से अधिक परिवारों ने किया, मातृ-पितृ वंदन तो पांडाल में मौजूद गुरुभक्त भाव विभोर हो गए। नमकीन के रुप में समूचे देश में पहचान रखने वाले रतलाम शहर में रिश्तों में घुलती मिठास देख पांडाल में मौजूद गुरुभक्त भाव विभोर नजर आ रहे थे।
.ये तो सच है कि भगवान है…
चातुर्मास धर्म प्रभावना समिति के तत्वावधान में लोकेन्द्र भवन में आयोजित मातृ-पितृ वंदन महोत्सव की शुरुवात अनिरुद्व मुरारी के मंगलगीत ओ माता-पिता तुम्हे वंदन…ये तो सच है कि भगवान है…धरती पर रूप मां-बाप का उस विधाता की पहचान है…के साथ हुई। इसके पश्चात कुछ समाजसेवियों ने महोत्सव की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए माता-पिता के महत्व समझाए। इस मौके पर 25 से अधिक चार पीढिय़ों वाले और 7० से अधिक तीन पीढियों वाले परिवार ने माता-पिता का वंदन पूरे विधि विधान से किया। माता-पिता पूजन के दौरान कई परिवारों के सदस्यों को भाव विभोर होते हुए देखा गया।
चातुर्मास धर्म प्रभावना समिति के तत्वावधान में लोकेन्द्र भवन में आयोजित मातृ-पितृ वंदन महोत्सव की शुरुवात अनिरुद्व मुरारी के मंगलगीत ओ माता-पिता तुम्हे वंदन…ये तो सच है कि भगवान है…धरती पर रूप मां-बाप का उस विधाता की पहचान है…के साथ हुई। इसके पश्चात कुछ समाजसेवियों ने महोत्सव की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए माता-पिता के महत्व समझाए। इस मौके पर 25 से अधिक चार पीढिय़ों वाले और 7० से अधिक तीन पीढियों वाले परिवार ने माता-पिता का वंदन पूरे विधि विधान से किया। माता-पिता पूजन के दौरान कई परिवारों के सदस्यों को भाव विभोर होते हुए देखा गया।
लोकप्रिय होगे तो ही परिवार सलामत रहेगा
इस पावन अवसर आचार्यश्री हेमेन्द्रसागर महाराज बंधु-बेलड़ी ने उद्गार प्रकट किए है कि भारतीय संस्कृति में माता-पिता का विशेष महत्व है। मगर पाश्चात्य संस्कृति की हवा के कारण हमारी संस्कृति पर आक्रमण हो रहा है जिसका असर रिश्तों पर भी पड़ा है। अगर समय रहते ऐसे आक्रमणों को मिटाया नहीं गया तो परीणाम गंभीर हो सकते है। हमें धर्मप्रिय के साथ लोकप्रिय भी बनना होगा, क्योंकि लोकप्रिय होगे तो ही परिवार सलामत रहेगा। मतदान से देश चलता है और मनदान से परिवार बनता है। आपने परिवार की सलामती के लिए अनादर, आलस्य, अनाचार और अभिमान को त्यागने के सूत्र गुरुभक्तों को समझाए है। धर्म की शुरुवात परिवार से होती है। इसलिए परिवार की एकजुटता और परिवार के हर एक सदस्य के सम्मान की शुरुवात आज से ही करना शुरु कर दो।
इस पावन अवसर आचार्यश्री हेमेन्द्रसागर महाराज बंधु-बेलड़ी ने उद्गार प्रकट किए है कि भारतीय संस्कृति में माता-पिता का विशेष महत्व है। मगर पाश्चात्य संस्कृति की हवा के कारण हमारी संस्कृति पर आक्रमण हो रहा है जिसका असर रिश्तों पर भी पड़ा है। अगर समय रहते ऐसे आक्रमणों को मिटाया नहीं गया तो परीणाम गंभीर हो सकते है। हमें धर्मप्रिय के साथ लोकप्रिय भी बनना होगा, क्योंकि लोकप्रिय होगे तो ही परिवार सलामत रहेगा। मतदान से देश चलता है और मनदान से परिवार बनता है। आपने परिवार की सलामती के लिए अनादर, आलस्य, अनाचार और अभिमान को त्यागने के सूत्र गुरुभक्तों को समझाए है। धर्म की शुरुवात परिवार से होती है। इसलिए परिवार की एकजुटता और परिवार के हर एक सदस्य के सम्मान की शुरुवात आज से ही करना शुरु कर दो।