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अवसाद ले रहा युवाओं की जिंदगी, 24 घंटे में दो ने फंदा लगाकर गंवाई जान

locationरतलामPublished: May 28, 2022 11:50:09 am

Submitted by:

Kamal Singh

सुभाषनगर निवासी कुलदीप गोसर ने शुक्रवार और नामली के बारोड़ा निवासी आशीष मालवीय ने शनिवार फंदा लगाकर दी जान

अवसाद ले रहा युवाओं की जिंदगी, 24 घंटे में दो ने फंदा लगाकर गंवाई जान

अवसाद ले रहा युवाओं की जिंदगी, 24 घंटे में दो ने फंदा लगाकर गंवाई जान

रतलाम. इन दिनों लोग डिप्रेशन में ज्यादा आ रहे हैं और यही वजह है कि आए दिन आत्महत्या करने के मामले भी सामने आते जा रहे हैं। शुक्रवार और शनिवार को महज 24 घंटे के अंतराल में दो युवकों ने फंदा लगाकर जान दे दी। शनिवार को सुभाषनगर निवासी कुलदीप पिता प्रकाश गोसर 30 ने अपने ही घर में फंदा लगाकर जान दे दी। दूसरी तरफ शनिवार को नामली थाने के बारोड़ा निवासी आशीष पिता रमेश मालवीय ने घर से दूर एक खेत में पेड़ से फंदा लगाकर जान दे दी। आशीष का शव जिला अस्पताल लाकर पोस्टमार्टम कराया जा रहा है।

पति-पत्नी का विवाद


बारोड़ा निवासी आशीष शराब पीने का आदी था और वह आए दिन घर में झगड़़ा करता रहता था। शराब की वजह से पत्नी से उसका विवाद होता रहता था। शुक्रवार की रात भी उसने शराब के नशे में घर में विवाद किया। इसके बाद वह कब और कैसे घर से निकलकर चला गया किसी को पता नहीं। सुबह उसका शव घर से दूर खेत में खड़े पेड़ से लटका हुआ मिला। सूचना मिलने के बाद नामली पुलिस मौके पर पहुंची और शव को बरामद करके जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया।

जीजा ने देखा दरवाजा खुला था


दूसरी तरफ डीडीनगर पुलिस थाने के सब इंस्पेक्टर विनोद कटारा ने बताया शुक्रवार की सुबह सुभाषनगर निवासी नरेंद्र पिता प्रकाश कल्याणे ने सूचना दी कि उसका जीजा फंदे पर लटका हुआ है। नरेंद्र ने पुलिस को बताया कि वह सुबह करीब आठ बजे उठा तो उसके साले कुलदीप के मकान का दरवाजा कुछ खुला और कुछ बंद था। वह पहुंचा और आवाज लगाई तो कोई आवाज अंदर से नहीं आई। वह अंदर पहुंचा और दूसरे कमरे में देखा तो गार्डर फर्शी से कुलदीप रस्सी से फंदा बनाकर उस पर लटका हुआ था। परिजनों को बुलाया और फिर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने शव को उतरवाकर जिला अस्पताल पहुंचाया और पोस्टमार्टम करके परिजनों को सौंप दिया। मृतक कुलदीप अविवाहित था।
ऐसे करे बचाव
– तनावग्रस्त व्यक्ति से ज्यादा से ज्यादा बात करने की कोशिश करें।
– तनावग्रस्त व्यक्ति को फ्री नहीं रहने दें और उसे काम में या बातों में लगाकर रखे जिससे उसका ध्यान उस तरफ नहीं जाए।
– तनावग्रस्त व्यक्ति से उसकी समस्या पूछकर निराकरण करवाएं।
– कोई भी ऐसी समस्या नहीं है जिसका हल नहीं है यह उसे बार-बार समझाएं
– व्यक्ति अकेला रहने लगे तो उसे अकेला नहीं छोड़े
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अवसाद है इसकी वजह
आमतौर पर लोग अवसाद में ऐसे कदम उठाते हैं। इसलिए किसी भी व्यक्ति या परिवारजन को यदि अवसाद में देखें तो उससे संवाद करके उसकी समस्या के निराकरण के लिए आगे आना चाहिए। अकेले-अकेले रहना, किसी से बात नहीं करना, किसी बात को लेकर लगातार टेंशन में रहना। ऐसी घटनाओं के कारण बनते हैं।
डॉ. निर्मल जैन, मनो चिकित्सक, रतलाम
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