पीठ पर सामान लादकर रस्सी की मदद
ग्रामीण उपेन्द्रसिंह और भगवानसिंह ने बताया कि नाला पार करने के लिए दो रस्सियां बांध रखी हैं, इन रस्सियों के सहारे ही जान जोखिम में डालकर नाला पार करते हैं। वैकल्पिक मार्ग गांव से तीन किलोमीटर दूर है। कई लोगों के खेत नाले के दूसरी ओर हैं, खेतों में जाने के लिए ग्रामीणों ने नाले पर दो रस्सियों को अस्थायी बांधकर उसे पार करने का मार्ग बना रखा है। लगातार बारिश के दौरान तो हर दिन ये जोखिम लेते है।
ग्रामीण उपेन्द्रसिंह और भगवानसिंह ने बताया कि नाला पार करने के लिए दो रस्सियां बांध रखी हैं, इन रस्सियों के सहारे ही जान जोखिम में डालकर नाला पार करते हैं। वैकल्पिक मार्ग गांव से तीन किलोमीटर दूर है। कई लोगों के खेत नाले के दूसरी ओर हैं, खेतों में जाने के लिए ग्रामीणों ने नाले पर दो रस्सियों को अस्थायी बांधकर उसे पार करने का मार्ग बना रखा है। लगातार बारिश के दौरान तो हर दिन ये जोखिम लेते है।
छोटे बच्चे से लेकर किसान तक ले रहे जोखिम
बाजेड़ा गांव की महिलाओं ने बताया कि छोटे बच्चों की तबीयत खराब होने पर उन्हें पीठ पर बांधकर नाला पार करना पड़ता है। 40 फीट के नाले को रस्सी के सहारे पार कर समय भी बच जाता है, पुलिया न होने के कारण मजबूरी में हमें ऐसा करना पड़ता है। छोटे बच्चे से लेकर किसान दो रस्सी पर झूलकर ही नाला पार करते नजर आते है।
बाजेड़ा गांव की महिलाओं ने बताया कि छोटे बच्चों की तबीयत खराब होने पर उन्हें पीठ पर बांधकर नाला पार करना पड़ता है। 40 फीट के नाले को रस्सी के सहारे पार कर समय भी बच जाता है, पुलिया न होने के कारण मजबूरी में हमें ऐसा करना पड़ता है। छोटे बच्चे से लेकर किसान दो रस्सी पर झूलकर ही नाला पार करते नजर आते है।