संसार में व्यक्ति खाए बिना रह सकता है, लेकिन बोले बिना नहीं रह सकता
वे नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक पर धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने गुरुवार सुबह सेवाभावी राजेंद्रमुनि के साथ नजरबाग कालोनी स्थित अमृतलाल, विनोद कुमार मूणत के निवास से विहार कर शहर में मंगल प्रवेश किया। नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए मुनिद्वय नोलाईपुरा स्थानक पहुंचे। यहां धर्मसभा में राजेशमुनि ने कहा कि अपनी बात किसी को कहना हो, तो पहले सामने वाले की प्रशंसा करो, फिर देखो अपना अधिकार उसमें कितना है। सामने वाला पात्र है अथवा अपात्र है। यदि वह पात्र हो, तो ही उसे आदेश दे, अन्यथा अपात्र को आदेश देने पर कार्य बिगड़ेगा और स्वयं पर भी गुस्सा आएगा। संसार में व्यक्ति खाए बिना रह सकता है, लेकिन बोले बिना नहीं रह सकता। यदि कोई व्यक्ति सबकुछ जानकर व सुनकर आवश्यकता अनुसार बोलता है, तो उसकी जय-जयकार होती है।
वे नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक पर धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने गुरुवार सुबह सेवाभावी राजेंद्रमुनि के साथ नजरबाग कालोनी स्थित अमृतलाल, विनोद कुमार मूणत के निवास से विहार कर शहर में मंगल प्रवेश किया। नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए मुनिद्वय नोलाईपुरा स्थानक पहुंचे। यहां धर्मसभा में राजेशमुनि ने कहा कि अपनी बात किसी को कहना हो, तो पहले सामने वाले की प्रशंसा करो, फिर देखो अपना अधिकार उसमें कितना है। सामने वाला पात्र है अथवा अपात्र है। यदि वह पात्र हो, तो ही उसे आदेश दे, अन्यथा अपात्र को आदेश देने पर कार्य बिगड़ेगा और स्वयं पर भी गुस्सा आएगा। संसार में व्यक्ति खाए बिना रह सकता है, लेकिन बोले बिना नहीं रह सकता। यदि कोई व्यक्ति सबकुछ जानकर व सुनकर आवश्यकता अनुसार बोलता है, तो उसकी जय-जयकार होती है।
वचनों से ही होती है रामायण और महाभारत
राजेंद्र मुनि ने सोच-समझकर वचनों का उपयोग करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जुबान में हड्डी नहीं होती। वह तीन इंच की होती है, पर एक शब्द से 6 फीट के आदमी को हिलाकर रख देती है। तिजोरी में दो-चार ताले होते है, जबकि जुबान के तो 32 ताले है। यह सोने-चांदी और नकदी आदि से ज्यादा महत्वपूर्ण है। मंथरा से शब्द और कैकेयी के कान से रामायण बन गई और द्रोपदी के शब्द और दुर्योधन के कान से महाभारत हो गई। वचनों से ही रामायण और महाभारत होती है। इसलिए इनके उपयोग में सावधानी अति आवश्यक है। धर्मसभा का संचालन संदीप चौरडिया ने किया। इस दौरान कई संघों के सदस्यगण मौजूद थे। श्री सौभाग्य जैन नवयुवक मंडल के निलेश मेहता एवं राजेश बोरदिया ने बताया कि नौलाईपुरा स्थानक पर प्रतिदिन सुबह 9 बजे मुनिश्री के प्रवचन होंगे। 28 अप्रैल को श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल ट्रस्ट बोर्ड, श्री सौभाग्य जैन नवयुवक मंडल एवं नवकार गु्रप के तत्वावधान में सागौद रोड स्थित श्री सौभाग्य जैन साधना परिसर में मालव केसरी श्री सौभाग्यमल महाराज की मासिक पुण्यतिथि मनाई जाएगी।
राजेंद्र मुनि ने सोच-समझकर वचनों का उपयोग करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जुबान में हड्डी नहीं होती। वह तीन इंच की होती है, पर एक शब्द से 6 फीट के आदमी को हिलाकर रख देती है। तिजोरी में दो-चार ताले होते है, जबकि जुबान के तो 32 ताले है। यह सोने-चांदी और नकदी आदि से ज्यादा महत्वपूर्ण है। मंथरा से शब्द और कैकेयी के कान से रामायण बन गई और द्रोपदी के शब्द और दुर्योधन के कान से महाभारत हो गई। वचनों से ही रामायण और महाभारत होती है। इसलिए इनके उपयोग में सावधानी अति आवश्यक है। धर्मसभा का संचालन संदीप चौरडिया ने किया। इस दौरान कई संघों के सदस्यगण मौजूद थे। श्री सौभाग्य जैन नवयुवक मंडल के निलेश मेहता एवं राजेश बोरदिया ने बताया कि नौलाईपुरा स्थानक पर प्रतिदिन सुबह 9 बजे मुनिश्री के प्रवचन होंगे। 28 अप्रैल को श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल ट्रस्ट बोर्ड, श्री सौभाग्य जैन नवयुवक मंडल एवं नवकार गु्रप के तत्वावधान में सागौद रोड स्थित श्री सौभाग्य जैन साधना परिसर में मालव केसरी श्री सौभाग्यमल महाराज की मासिक पुण्यतिथि मनाई जाएगी।