बीएससी नर्सिंग के साथ ही जीएनएम और एएनएम के पाठ्यक्रम चलाने वाले नर्सिंग स्कूलों और कॉलेजों के सामने नया संकट खड़ा हो गया है। इंडियन नर्सिंग काउंसिल नई दिल्ली (आईएनसी) के फिलहाल वर्र्किंग नहीं होने का असर यह हो रहा है कि मप्र नर्सिंग काउंसिल अपने स्तर पर नए नियम तय करने के लिए ड्राफ्ट तैयार हो रहा है। इन नियमों में सबसे बड़ा फंदा यह है कि यह लागू हो जाता है तो प्रदेश से नर्सिंग कोर्सेस करने वाले विद्यार्थियों को प्रदेश से बाहर नौकरी नहीं मिल पाएगी। इस बिंदु ने ही नर्सिंग कॉलेज और स्कूल संचालकों की नींद उड़ा दी है। यही नहीं यह नियम लागू होता है तो प्रदेश के लगभग एक लाख विद्यार्थियों के सामने भी संकट खड़ा हो सकता है।
पिछले दिनों ही तैयार किया ड्राफ्ट चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया ने पिछले दिनों ही मप्र उपचारिका, प्रसाविका, सहायी उपचारिका प्रसाविका तथा स्वास्थ्य परिदर्शक रजिस्ट्रीकरण अधिनियम १९७२ (मप्र नर्सिंग अधिनियम) के तहत मप्र राज्य के लिए अलग से नियमावली तैयार करने के लिए ड्राफ्ट तैयार किया है। इस ड्राफ्ट में सबसे अहम बिंदु ही यह है कि मप्र से नर्सिंग करने वाले विद्यार्थियों को दिए जाने वाले प्रमाण पत्र प्रदेश से बाहर अमान्य होंगे यानि कि मान्य नहीं किए जा सकेंगे। इस ड्राफ्ट को विभागीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) से अनुमोदित करवा लिया गया है किंतु अभी तक इसे कैबिनेट में रखा नहीं गया है।
यह भी है कड़े नियम अधिनियम के नियम ११ में बताया गया कि आईएनसी से मान्यता के लिए प्रमाणीकरण की व्यवस्था की गई है। जो संस्था राज्य के बाहर मान्यता के लिए डिग्री देना चाहती है वह इंडियन नर्सिंग काउंसिल से मान्यता लेगी और जो केवल मप्र में नर्स के पंजीयन के लिए शिक्षण/प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाना चाहती है उसके लिए इंडियन नर्सिंग से मान्यता आवश्यक नहीं होगी।
इस पर है संगठन को आपत्ति मप्र प्राइवेट कॉलेज नर्सिंग एसोसिएशन को मप्र नर्सिंग काउंसिल द्वारा तैयार किए गए नए ड्राफ्ट में सबसे बड़ी आपत्ति ही इस बिंदु पर है। इसके अलावा संगठन का कहना है कि आईएनसी को केवल मान्यता देने का अधिकार खत्म किया है जबकि सारे नियम और कानून आईएनसी के ही होते हैं। मप्र इन नियमों से हटकर प्रदेश के नए नियम बनाकर लागू करना चाह रहा है जो गलत है।
यह होगा नए नियम से मप्र एनआरसी द्वारा नए नियम लागू किए जाते हैं तो बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। नर्सिंग संगठन के पदाधिकारियों के अनुसार एक तरफ हम पूरे देश में एक कानून की बात करते हैं और प्रदेश आईएनसी के नियमों को मानने की बजाय अपने नियम लागू कर रहा है जिससे प्रदेश के बच्चे प्रदेश से बाहर लाभ नहीं ले पाएंगे। यह कैसा नियम है जो एकरुपता खत्म कर रहा है।
प्रदेश में ५५० कॉलेज प्रदेश में निजी बीएससी नर्सिंग, जीएनएम, एएनएम स्कूल और कॉलेजों की संख्या ५५० हैं। इनमें प्रत्येक कोर्स में १२० विद्यार्थियों की संख्या मानी जाए तो भी संख्या एक लाख के पार पहुंच रही है। पूर्व से संचालित पाठ्यक्रम को छोड़़कर नए नियम लागू होने के बाद प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों पर ये नियम लागू होते हैं तो भी लाखों विद्यार्थी इससे प्रभावित होना तय है।
नए कानून के ड्राफ्ट में होना चाहिए संशोधन मप्र नर्सिंग काउंसिल ने नए नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया है। यह आईएनसी से हटकर है जो गलत है। मप्र के नए नियमों से प्रदेश के बच्चों को दिए जाने वाले प्रमाण पत्र प्रदेश से बाहर मान्य नहीं होंगे। इससे हमारे प्रदेश के बच्चे प्रदेश से बाहर नौकरी नहीं कर पाएंगे।
नवीन सैनी, प्रदेश उपाध्यक्ष, मप्र प्राइवेट कॉलेज नर्सिंग एसोसिएशन