भक्तों की दौलत से होता है मां लक्ष्मी का श्रंगार
रतलाम में वैसे तो श्री महालक्ष्मी मंदिर के कुल पांच मंदिर हैं लेकिन सबसे अधिक आस्था के साथ दर्शन के लिए भीड़ रियासत काल के समय बने माणकचौक मंदिर में होती है। रतलाम का महालक्ष्मी ऐसे विशेष मंदिरों में शामिल है, जहां एक मान्यता के चलते भक्त अपना सोना-चांदी लेकर आते हैं और हफ्ते भर के लिए मां महालक्ष्मी के चरणों में रख कर चले जाते हैं। मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा लाया जाने वाले धन उन्हें पांच दिन बाद वापस लौटा दिया जाता है। लोगों द्वारा जमा किए गए कैश की एंट्री होती है और टोकन भी दिया जाता है। 5 दिन बाद श्रद्धालु टोकन देकर अपना कैश और ज्वेलरी वापस प्राप्त लेते हैं। भक्तों द्वारा मंदिर में रखी गई ज्वैलरी और कैश ही मां लक्ष्मी का श्रंगार किया जाता है और मंदिर की सजावट की जाती है। कैश व ज्वेलरी की सुरक्षा के लिए प्रशानिक व्यवस्था की जाती है। वहीं मंदिर की विशेष सुरक्षा व्यवस्था के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं और पुलिसकर्मियों की तैनाती भी की जाती है। धनतेरस से पांच दिन के दीपावली उत्सव के मौके पर इस मंदिर की सजावट आंखें चौंधिया देने वाली है। सजावट के लिए नोटों और करोड़ों रुपयों के गहनों का उपयोग किया गया है।
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पुलिस के सख्त पहरे में मंदिर
रतलाम के माणक चौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर में पांच दिन के दीपोत्सव से पहले ही भव्य सजावट का सिलसिला शुरू हो गया था। मंदिर को करोड़ों रुपये के नोट से सजाया गया है। दीवार से लेकर मंदिर के खंभे, छत, झूमर जैसी तमाम चीजें नोटों से सजाई गई हैं। इसके अलावा महालक्ष्मी का श्रृंगार करोड़ों रुपये के हीरे, मोती-जवाहरातों के आभूषणों से किया गया है। इस दौरान यह मंदिर पुलिस के सख्त पहरे में है। इस साल भी मंदिर की नोटों से सजावट का सिलसिला सोमवार देर रात तक चलता रहा । अब मंदिर को धनतेरस के दिन सुबह 4 बजे से सजावट के साथ खोल दिया जाएगा व दीपोत्सव के पांच दिन तक भक्तों को रात 11 बजे तक दर्शन की सुविधा रहेगी । दीपावली की पूरी रात मंदिर के पट भक्तों के लिए खुले रहेंगे।
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