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महाशिवरात्रि: जाने यहां के भक्त शिव के दर्शन को पैदल निकल पड़ते है एक दिन पहले

locationरतलामPublished: Mar 03, 2019 06:06:38 pm

Submitted by:

Yggyadutt Parale

महाशिवरात्रि: जाने यहां के भक्त शिव के दर्शन को पैदल निकल पड़ते है एक दिन पहले

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महाशिवरात्रि: जाने यहां के भक्त शिव के दर्शन को पैदल निकल पड़ते है एक दिन पहले

रतलाम। शिवशक्ति की आराधना का पर्व महाशिवरात्रि ४ मार्च को भक्तिभाव के साथ मनाई जाएगी। शिवरात्रि को लेकर शहर के शिवालयों पर आकर्षक विद्युत सज्जा की जाकर कहीं दो- तो कहीं तीन दिवसीय उत्सव मनाया जा रहा है। शनिवार को गढ़कैलाश महादेव मंदिर आकर्ष विद्युत सज्जा से जगमगा उठा, तो सुंदरकांड की चौपाईयों से पूरा वातावरण शिवभोलेमय हो गया। रविवार की रात भजन संध्या का आयोजन मंदिर प्रांगण में रात्रि ८ बजे से किया जाकर सोमवार सुबह रूद्राभिषेक महाशिवरात्रि पर भक्तों द्वारा किया जाएगा।

३ मार्च को महाशिवरात्रि के अन्तर्गत शहर के भक्तन की बावड़ी से दोपहर १ बजे यात्रा प्रारंभ होकर श्रीराम मंदिर सज्जनमिल पहुंचेगी। राम मंदिर से दोपहर २ बजे बरवड़ हनुमान मंदिर पर भक्तों का स्वागत किया जाएगा। धामनोद कालिका माता मंदिर पहुंचकर भोजन भंडारे का आयोजन होगा। यहां से रात्रि २ बजे यात्रा प्रारंभ होकर सैलाना में गणेश मंदिर पर विश्राम के बाद महाशिवरात्रि को ब्रह्ममुहूर्त में केदारेश्वर महादेव पहुंचकर अभिषेक आरती के साथ विसर्जित होगी। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की ८३वीं शिव जयंती के अवसर पर दिव्य दर्शन भवन डोंगरे नगर केंद्र पर ३ मार्च को महाशिवरात्रि पर्व सुबह ११ बजे अनोखा रूद्राभिषेक कर मनाया जाएगा। केंद्र संचालिका बीके सविता ने बताया कि ४ मार्च को महाशिवरात्रि पर्व पर अमृतसागर गढ़कैलाश महादेव मंदिर प्रांगण के पास आध्यात्मिक चित्र प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है। जो सुबह ८.३० से रात्रि ९ बजे तक शिवभक्तों को दर्शनार्थ रहेगी।

मैं तो नहीं पढ़ पाई, पर बच्चे पढे़ं इसके लिए मेरी देहदान करना
रतलाम। सुनो, आपको पता है, अब स्वास्थ्य साथ नहीं दे रहा। किसी भी दिन कुछ हो सकता है। मैं तो अधिक नहीं पढ़ पाई, पर नहीं रहूं तब मेरी देह उस अस्पताल को दान करना, जहां बच्चे पढ़कर ज्ञान ले सके। ये बात शुक्रवार रात को बोलने के बाद पत्नी शनिवार दोपहर को चल बसी। पति ने अपनी पत्नी की इस अंतिम इच्छा को पूरा किया। परिवार के सदस्यो से सहमति ली व इसके बाद पत्नी की देहदान का कर्म किया।

पीएंडटी कॉलोनी में रहने वाले राजधानी ट्रेन के सेवानिवृत चालक हरगोविंद बैरागी ने बताया कि उनकी पत्नी की उम्र ६५ वर्ष की थी। करीब चार माह से पेट में जो जाए वो पच नहीं रहा था व उल्टी की समस्या हो रही थी। बड़ोदरा में इलाज के लिए गए, लेकिन उम्र का तकाजा देखते हुए चिकित्सकों ने ऑपरेशन करने से इंकार कर दिया। इसके बाद पत्नी को घर लेकर आ गए व यही पर इलाज चलता रहा।

रात को अचानक इच्छा प्रकट की
बैरागी ने बताया कि रात में अचानक पत्नी ने कमजोरी की हालात में भी बोलना शुरू किया। जब बोली तो बस सिर्फ इतना ही कहा कि वे तो अधिक पढ़ नहीं पाई, लेकिन बच्चे बताते है कि शहर में नया स्कूल (मेडिकल कॉलेज) ख्ुाला है, जहां डॉक्टर बनाए जाएंगे। यहां पर मेरे शरीर को मरने के बाद दे देना। क्या पता कुछ पढ़कर इनको लाभ हो जाए। ये बात पत्नी मंजूला देवी ने शुक्रवार रात करीब ९ बजे बाद बोली। इसके बाद सुबह फिर कुछ तबीयत खराब हुई। दोपहर करीब २ बजे उन्होने अंतिम सांस ली।

चिकित्सकों से साधा संपर्क

इसके बाद परिवार के सदस्य पुत्र राजू, बहु मोनिका, बेटी ज्योति आदि ने शासकीय स्वशासी चिकित्सा शिक्षा महाविद्यालय मे संपर्क साधा। यहां पर परिवार को मेडिकल कॉलेज के डीन से मिलवाया गया। इसके बाद शुरुआती औचपारिकता के बाद हरगोविंद ने अपनी पत्नी मंजूला की देहदान कर दी।

अंतिम इच्छा पूरी की खुशी है
पति-पत्नी का साथ सात जन्मों का माना जाता है। पत्नी के जाने का दु:ख तो है, लेकिन साथ में इस बात की प्रसन्नता की है कि पूरे जीवन जिसने कुछ नहीं मांगा, उसकी अंतिम इच्छा मैं पूरी कर पाया हूं।

– हरगोविंद बैरागी, पत्नी का देहदान करने वाले पति

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