scriptमहाशिवरात्रि: भक्त रखे ध्यान, ये चीज चढ़ाने से शिव होते हैं नाराज | mahashivratri 2019: shiv ko nahi pasand ye | Patrika News

महाशिवरात्रि: भक्त रखे ध्यान, ये चीज चढ़ाने से शिव होते हैं नाराज

locationरतलामPublished: Feb 28, 2019 08:44:08 pm

Submitted by:

Yggyadutt Parale

महाशिवरात्रि: भक्त रखे ध्यान, ये चीज चढ़ाने से शिव होते हैं नाराज

patrika

महाशिवरात्रि: भक्त रखे ध्यान, ये चीज चढ़ाने से शिव होते हैं नाराज

रतलाम. भगवान शिव के भक्तों को शिवरात्रि का इंतजार रहता है। इस पर्व को भगवान शिव का हर भक्त बड़ी ही धूमधाम से मनाता है। 4 मार्च के दिन पडऩे वाली इस महाशिवरात्रि की तैयारियां भक्तों ने अभी से शुरू कर दी हैं। कहते हैं इस दिन भगवान शिव की साधना-आराधना करने से जीवन में चल रही सारी परेशानियों का निवारण होता है। महाशिवरात्रि के दिन मंदिरों में पहुंचे शिवभक्त शिवजी को खुश करने के लिए शिवलिंग पर कई चीजें अर्पित करते हैंए लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई बार आप भूलवश ऐसी चीजें चढ़ाने लगते हैं जिन्हें शास्त्रों में वर्जित माना जाता है। शिवलिंग पर इन चीजों को अर्पित करने से भोले बाबा खुश होने की जगह नाराज हो सकते हैं। पं. वीरेंद्र रावल के अनुसार आइए जानते हैं आखिर कौन सी हैं वो 5 चीजें, जिनसे शिव नाराज हो जाते हैं।

हल्दी:
हल्दी का संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से है इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ाई जाती है। शास्त्रों में भी इसे शिव से दूर रखने को कहा गया है।

patrika
तुलसी पत्ता:
जलंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंश से तुलसी का जन्म हुआ था जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है। इसलिए तुलसी से भी शिव जी की पूजा नहीं होती है।
patrika
तिल:
यह भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ मान जाता है इसलिए इसे भगवान शिव को नहीं अर्पित किया जाना चाहिए।

patrika
टूटे हुए चावल:
भगवान शिव को अक्षत यानी साबूत चावल अर्पित किए जाने के बारे में शास्त्रों में लिखा है। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है इसलिए यह शिव जी को नही चढ़ता।
patrika
कुमकुम:
यह सौभाग्य का प्रतीक है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ता।

patrika
शिवलिंग पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है
समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला तो पूरी पृथ्वी पर विष की घातकता के कारण व्याकुलता छा गयी। ऐसे में सभी देवों ने भगवान् शिव से विषपान करने की प्रार्थना की, भगवान् शिव ने जब विषपान किया तो विष के कारण उनका गला नीला होने लगा ऐसे में सभी देवों ने उनसे विष की घातकता को कम करने के लिए शीतल दूध का पान करने के लिए कहा- इसपर भी भोलेनाथ ने दूध से उनका सेवन करने की अनुमति मांगी, दूध से सहमति मिलने के बाद शिव ने उसका सेवन किया, जिससे विष का असर काफ़ी कम हो गया। बाकी बचे विष को सर्पों ने पिया. इस तरह समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष से सृष्टि की रक्षा की जा सकी।
patrika
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो