हल्दी का संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से है इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ाई जाती है। शास्त्रों में भी इसे शिव से दूर रखने को कहा गया है। तुलसी पत्ता:
जलंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंश से तुलसी का जन्म हुआ था जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है। इसलिए तुलसी से भी शिव जी की पूजा नहीं होती है।
यह भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ मान जाता है इसलिए इसे भगवान शिव को नहीं अर्पित किया जाना चाहिए। टूटे हुए चावल:
भगवान शिव को अक्षत यानी साबूत चावल अर्पित किए जाने के बारे में शास्त्रों में लिखा है। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है इसलिए यह शिव जी को नही चढ़ता।
यह सौभाग्य का प्रतीक है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ता। शिवलिंग पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है
समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला तो पूरी पृथ्वी पर विष की घातकता के कारण व्याकुलता छा गयी। ऐसे में सभी देवों ने भगवान् शिव से विषपान करने की प्रार्थना की, भगवान् शिव ने जब विषपान किया तो विष के कारण उनका गला नीला होने लगा ऐसे में सभी देवों ने उनसे विष की घातकता को कम करने के लिए शीतल दूध का पान करने के लिए कहा- इसपर भी भोलेनाथ ने दूध से उनका सेवन करने की अनुमति मांगी, दूध से सहमति मिलने के बाद शिव ने उसका सेवन किया, जिससे विष का असर काफ़ी कम हो गया। बाकी बचे विष को सर्पों ने पिया. इस तरह समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष से सृष्टि की रक्षा की जा सकी।