इस संबंध ज्योतिषाचार्य पं. सोमेश्वर जोशी ने बताया कि मकर संक्रांति से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाएगा। सूर्य के मकर राशि में आने से मलमास समाप्त होगा। जिससे मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे। सूर्य जब मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृष और मिथुन राशि में सूर्य रहता है, तब ये ग्रह उत्तरायण होता है। जब सूर्य शेष राशियों कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में रहता है, तब दक्षिणायन होता है।
सुख-समृद्धि के लिए मकर संक्रांति पर करें
-मकर संक्रंति पर सुबह जल्दी उठें और स्नान करते समय सभी पवित्र तीर्थों और नदियों के नामों का जाप करें। इससे घर पर तीर्थ स्नान का पुण्य मिल सकता है।
-स्नान के बाद तांबे के लोटे में लाल फूल और चावल डालकर सूर्य को जल चढ़ाएं। सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नमरू का जाप 108 बार करें।
-तुलसी को जल चढ़ाएं और परिक्रमा करें।
-किसी मंदिर में गुड़ और काले तिल का दान करें। भगवान को गुड़.तिल के लड्डू का भोग लगाएं और भक्तों को प्रसाद वितरित करें।
-किसी शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाकर जल अर्पित करें।
-मकर संक्रंति पर सुबह जल्दी उठें और स्नान करते समय सभी पवित्र तीर्थों और नदियों के नामों का जाप करें। इससे घर पर तीर्थ स्नान का पुण्य मिल सकता है।
-स्नान के बाद तांबे के लोटे में लाल फूल और चावल डालकर सूर्य को जल चढ़ाएं। सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नमरू का जाप 108 बार करें।
-तुलसी को जल चढ़ाएं और परिक्रमा करें।
-किसी मंदिर में गुड़ और काले तिल का दान करें। भगवान को गुड़.तिल के लड्डू का भोग लगाएं और भक्तों को प्रसाद वितरित करें।
-किसी शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाकर जल अर्पित करें।
इसलिए बदलती है मकर संक्रांति की तारिखें
ज्योतिषी पं. जोशी ने बताया कि सूर्य के उत्तरायण होने पर भारत सहित सूर्य के उत्तरी गोलार्ध क्षेत्र में सूर्य की किरणें सीधी पडऩे से ऋतु परिवर्तन होता है। ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ होने के साथ ही दिन बड़े व रातें छोटी होती हैं। पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमते हुए 72 से 90 साल के बीच में एक डिग्री पीछे हो जाती है। इस कारण से सूर्य का मकर राशि में प्रवेश का समय व दिन बदलते रहते हैं। वर्ष 2014 से 2016 तक मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई गई, जबकि 2017 व 2018 में यह 15 जनवरी को ही मनी थी।
ज्योतिषी पं. जोशी ने बताया कि सूर्य के उत्तरायण होने पर भारत सहित सूर्य के उत्तरी गोलार्ध क्षेत्र में सूर्य की किरणें सीधी पडऩे से ऋतु परिवर्तन होता है। ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ होने के साथ ही दिन बड़े व रातें छोटी होती हैं। पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमते हुए 72 से 90 साल के बीच में एक डिग्री पीछे हो जाती है। इस कारण से सूर्य का मकर राशि में प्रवेश का समय व दिन बदलते रहते हैं। वर्ष 2014 से 2016 तक मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई गई, जबकि 2017 व 2018 में यह 15 जनवरी को ही मनी थी।