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# मोक्षदायिनी क्षिप्रा को बनाएं शुद्ध

locationरतलामPublished: Nov 09, 2020 07:32:24 pm

Submitted by:

sachin trivedi

क्षिप्रा को निर्माल्य ही नहीं शहर के गंदे नाले भी कर रहे मैली

patrika

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उज्जैन. मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी लोगों द्वारा निर्माल्य और कचरा फैंकने से ही नहीं बल्की नदी में शहर के गंदे नाले मिलने से भी मैली हो रही है। चक्रतीर्थ और ऋण मुक्तेश्वर के यहां नालों को गंदा पानी सीधा नदी में जा रहा है। नाले का गंदा पानी के कारण नदी प्रदूषित तो हो रही है आसपास के क्षेत्र में बदबू भी आ रही है। नदी में मिल रहे नाले को लेकर लोगों ने जिम्मेदार विभागों को शिकायत भी की है लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। लिहाजा पुण्य सलिल क्षिप्रा के प्रदूषित होने का क्रम जारी है। क्षिप्रा नदी को स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त करने के लिए पिछले 25 वर्षांे से संघर्ष जारी है। नदी में एक समय शहर के करीब 11 गंदे नाले मिलते थे। नालों को रोकने के लिए सामजिक संगठनों द्वारा हाइकोर्ट में याचिका तक लगाई। सिंहस्थ 2016 में मंथन परमार्थिक ट्रस्ट की याचिका पर नदी में नाले मिलने से रोकने की कार्रवाई की गई थी। वर्तमान में नदी में अब भी शहर का निकला गंदा पानी मिलना जारी है। चक्रतीर्थ पर ही नाले का पानी घाट से होकर नदी में जा रहा है। ऐसे ही स्थिति ऋण मुक्तेश्वर मंदिर के पास है। यहां भी नाले का पानी सीधे क्षिप्रा में मिल रहा है। पूर्व में भी यहां नाले के पानी रोकने के लिए प्रयास हो चुके है लेकिन कुछ नहीं हो पाया है। ऐसे में नाले का पानी ही नदी में मिलेगा तो क्षिप्रा कैसे स्वच्छ हो सकेगी। लंबे समय से शहरवासी और संत भी मांग कर रहे हैं कि त्रिवेणी से लेकर केडी पैलेस तक सीवरेज पाइप लाइन डाल दी जाए ताकि शहर से निकला गंदा पानी प्रमुख घाटों पर न जाते हुए नाले के माध्यम से आगे मिल सके।
करोड़ों खर्च फिर भी क्षिप्रा न हो सकी निर्मल
क्षिप्रा जल को स्वच्छ बनाने और इसका जल प्रवाहमान बनाने के लिए बीते वर्षों में करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके है। बावजदू इसके क्षिप्रा की हालत सुधर नहीं रही है। कान्ह डायवर्सन योजना में 93 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए किंतु कान्ह का गंदा पानी क्षिप्रा में मिलकर प्रदूषित कर रहा है। शहर के सीवरेज रोकने के लिए नदी जल संरक्षण के तहत करोड़ों रुपए खर्च कर फिल्टर प्लांट और कुएं बनाए गए लेकिन अब भी नाले का पानी मिल रहा। रूद्रसागर से आने वाले गंदे पानी के लिए रामघाट पर करोड़ों रुपए की पाइप लाइन बिछाई गई लेकिन यह चक्रतीर्थ के यहां गंदगी फैल रही है। वहीं नर्मदा जल आने से उम्मीद थी कि क्षिप्रा जल स्वच्छ होगा लेकिन कान्ह का पानी मिलने से वह भी संभव नहीं हो पाया।
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IMAGE CREDIT: patrika
स्वच्छ क्षिप्रा अभियान में बने सहभागी
क्षिप्रा के जल को शुद्ध बनाए रखने के लिए आपको पत्रिका उज्जैन के फेसबुक पेज पर एक समाचार की लिंक मिलेगी, इसे आप अपने सोशल माध्यम से प्रसारित करें। इसमें क्षिप्रा शुद्धिकरण का संदेश है। इसे आप शेयर करेंगे तो यह क्षिप्रा के लिए आपका सहयोग भरा कदम होगा। जैसे जैसे यह लिंक शेयर होती रहेगी, सभी तक यह बड़ा संदेश पहुंचेगा और लोग जागरुक होंगे। इससे हमारी क्षिप्रा के लिए दीपोत्सव का महापर्व किसी बड़ी रोशनी से कम नहीं होगा।
क्षिप्रा को स्वच्छ रखने के लिए यह करें
– नदी में निर्माल्य डालने से बचे।
– घाट-किनारे पूजा-अर्चना के उपरांत सामग्री निर्धारित स्थान पर डाले।
– नदी में साबुन लगाकर न नहाए और नहीं कपड़े धोए।
– नदी में किसी भी तरह को कचरा न डाले।
– घाट किनारे कोई सामग्री न फेंकते हुए कचरा डिब्बे में डाले।

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