यह बात चातुर्मासिक धर्मसभा ममें विरागदर्शनश्री महाराज ने नीमचौक स्थानक पर कही। इस मौके पर धर्मसभा में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थेे। महाराज श्री ने कहा कि अपनी शब्दावली को सुन्दर करने का प्रयास करो, वचन लब्धि की कीमत को पहचानों, प्रमाणिक बनो, नहीं तो जिस जिव्हा से हम इतना झूठ बोल रहे है। उस जिव्हा को फिर से पाने के लिए हमें असंख्य जन्मों जन्म लग जाएंगे। मृषावाद पर ये प्रवचन गुरुदेव प्रियदर्शन महाराज ने नीमचौक की धर्मसभा में प्रदान किए।
महाराजश्री ने कहा कि हमें स्वयं से प्रश्न करना चाहिए की हम प्रमाणिक है या अप्रमाणिक, अप्रमाणिक व्यक्ति अभी वीतराग का साधक नहीं हो सकता है। व्यक्ति 4 कारणों से झूठ बोलता है, क्रोध, लोभ, भय और हंसी मजाक में। क्रोध के वक्त सही शब्दावली का प्रयोग नहीं हो सकता है, क्योंकि क्रोध में स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता है। संज्ञाशून्य हो जाता है, बेभान हो जाता है, क्रोध के अवस्था में सत्य की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
सौम्यदर्शनश्री महाराज ने फरमाया कि अगर घर में तीन रोटी है और खाने वाले 4 हो तो माँ सबसे पहले कहती है की मुझे भूख नहीं है । माँ ने हमारे लिए सब कुछ त्यागा हमनें माँ के लिए क्या त्यागा। मदर्स डे पर प्रत्येक के मोबाइल में माँ के फोटो और स्टेटस देखने को मिल जाएंगे तो वृद्धाश्रम में किसकी माँ होती है। दोस्तों को पार्टी देने का समय है पत्नी की फरमाइश पूरी करने का समय है, लेकिन कभी माँ से पूछा की खाना खाया की नहीं तुझे कुछ जरूरत है या नहीं। पत्नी की खातिर लोग अपनी माँ का त्याग कर देते है, लेकिन याद रखो पत्नी आपकी पसंद है, लेकिन माँ आपकी पुण्याई है। माता-पिता है देवी देवता से बढ़ कर इनको धोग लगाए, पत्नी से बढ़कर है माता इसका मान बढाओ, 9 महीनों तक पेट में रखकर सब सुखों को भुलाए और हमारा जीवन धन्य बनाए।