राज्य में कमलनाथ सरकार बनने के बाद बड़ा आंदोलन होने जा रहा है। 30 सितंबर को प्रदेशभर के 3300 चिकित्सक सौंपेंगे इस्तीफे। त्यागपत्र दिया तो मध्यप्रदेश में चिकित्सा सेवा में बड़ी परेशानी आएगी।
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रतलाम। राज्य में कमलनाथ सरकार बनने के बाद बड़ा आंदोलन होने जा रहा है। इस आंदोलन का सीधा असर आमजन के स्वास्थ्य से जुड़ा है। बेहतर इलाज के लिए जो लोग मेडिकल कॉलेज जाते है, उनको ये सेवा अगले महिने से मिलना बंद हो सकती है। मप्र मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर से आंदोलन का ऐलान कर दिया है। तीन चरणों में किए जाने वाले इस आंदोलन के अंतिम चरण में प्रदेश के सभी 13 चिकित्सा शिक्षा महाविद्यालयों के ३३०० चिकित्सक सामूहिक रूप से इस्तीफे सौंपेंगे। इसका पहला चरण 11 सितंबर से शुरू होगा। इस दौरान मेडिकल कॉलेज परिसर में ही धरना आंदोलन किया जाएगा।
मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन की रतलाम इकाइ के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप मिश्रा और सचिव डॉ. अनिल मीणा ने बताया मांगों को लेकर पूर्व में भी चेतावनी दी जा चुकी है किंतु सरकार ने मांगे मानने के लिए समय मांगा था। यह समय भी अब पूरा हो चुका है किंतु सरकार मांगों की तरफ ध्यान नहीं दे रही है। इससे एसोसिएशन को फिर से आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ रहा है। पहला चरण 11 सितंबर से शुरू होगा जिसमें मेडिकल कॉलेज का कोई भी डॉक्टर सुबह 11 से दोपहर एक बजे दो घंटे तक कोई काम नहीं करेगा। ड्यूटी पर रहेंगे किंतु असहयोग करेंगे। इस दौरान इमरजेंसी में आने वाले मामलों में डॉक्टर सेवाएं देंगे। इसे लेकर रतलाम की इकाई की बैठक मेडिकल कॉलेज परिसर में हुई। जिसमें आंदोलन में शामिल होने का निर्णय किया गया है।
IMAGE CREDIT: patrikaयह हैं इनकी मांगें – चिकित्सा शिक्षकों को 1 जुनवरी 2016 से सातवां वेतनमान और भत्ते दिया जाए। – समयबद्ध क्रमिक उच्चतर वेतनमान प्रदान किया जाए। – पूर्व की 13 सूत्रीय विभागीय विसंगतियों का त्वरित रूप से निराकरण किया जाए।
इस तरह होगा आंदोलन – 11 सितंबर को सामूहिक रूप से धरना प्रदर्शन। – इमरजेंसी सेवा के समय ही उपलब्ध रहेगा। – 17 को मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सक भोपाल में सामूहिक रैली निकालेंगे। – 29 को मांगे नहीं मानी तो 30 को सामूहिक रूप से इस्तीफे सौंपेंगे।