scriptइस जिले में मिली कृषि फर्मों पर एक्सपायरी डेट की दवाईयां, मचा हड़कंप | Medicines of expiry date of agricultural firms found in this district | Patrika News

इस जिले में मिली कृषि फर्मों पर एक्सपायरी डेट की दवाईयां, मचा हड़कंप

locationरतलामPublished: Aug 07, 2019 01:17:52 pm

Submitted by:

Gourishankar Jodha

रतलाम। फसलों की जीवन रक्षक खरपतवार नाशक दवाईयों की बिक्री इन दिनों जिले में धड़ल्ले से हो रही है। इसमें कई एक्सपायरी डेट की दवाईयां भी किसानों को थमाई जा रही है। ऐसी ही सूचना पर जिला प्रशासन के साथ ही कृषि विभाग ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए शहर के माणकचौक स्थित तीन कृषि फर्मों पर दबिश दी, संयुक्त कार्रवाई के दौरान कीटनाशक दवाई सेम्पल जांच में दल को किसान एजेंसी कृषि फर्म से 64 पेकेट 100-100 ग्राम एक्सपायरी डेट के मिले। कृषि अधिकारियों ने सेम्पल जब्त कर फर्म के खिलाफ कार्रवाई की। दल द्वारा जांच की सूचना जैसे ही शहर के गायत्री टाकिज, हरमाला रोड, करमदी रोड अन्य क्षेत्रों में व्यापार कर रहे कृषि फर्म पर विक्रेताओं के पास पहुंची, अधिकांश दुकाने के शटर गिर गए। बतां दे कि पिछले साल भी जिला प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई में शहर के पॉवर हाउस रोड एक, गायत्री टॉकीज रोड स्थित दो फर्मों से बड़ी मात्रा में एक्सपायरी डेट की दवाई और बीज मिले थे।

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इस जिले में मिली कृषि फर्मों पर एक्सपायरी डेट की दवाईयां, मचा हड़कंप

माणकचौक क्षेत्र की तीन दुकानों के सेम्पल लिए
मंगलवार को जिला प्रशासन की और से नवीन गुप्ता नायब तहसीलदार, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी ब्रजमोहन सौलंकी, कृषि विकास अधिकारी आरएस शर्मा, आरआई शुभम तिवारी शहर के कीटनाशक दवाई विक्रेताओं के यहां पहुंचे। माणकचौक क्षेत्र की तीन दुकानों सर्वोदय एग्रो एजेंसी, किसान एजेंसी, पोरवाल कृषि सेवा केंद्र पर दबिश देकर कीटनाशक दवाईयों के सेम्पल लिए, इस दौरान जांच में अधिकारियों को किसान एजेंसी से 100-100 ग्राम कीटनाशक दवाईयों के एक 12 और दूसरी दवाई 52 नग बरामद हुए, जिन्हे जब्त कर उक्त फर्म का पंचनामा बनाया।
धड़ल्ले से बेची जा रही कीटनाशक दवाईयां
जिला प्रशासन हुआ या फिर कृषि विभाग के अधिकारियों का जांच दल सीजन निकलने के बाद ही सेम्पलिंग लेने पहुंचता रहा है, हाल यह है कि कृषि विभाग द्वारा पिछले माह बीज के 250 से अधिक नमूने लिए गए, जिनमें से अब तक कई सेम्पल की जांच पूर्ण होकर नहीं आई, जबकि फसलें डेढ़ से दो माह की होने आई है। ऐसे में कैसे इन पर नियंत्रण हो, और किसानों के पास सही गुणवत्ता युक्त खाद-बीज या दवाई पहुंचे। जबकि किसान इनका उपयोग कर चुका होता है। सेम्पल की जांच आने के बाद कृषि विभाग मात्र औपचारिकता मात्र नोटिस देकर मात्र रोक के निर्देश दे देता है, जब तक अधिकांश व्यापारी खाद-बीज या फिर दवाई का विक्रय कर चुके होते हैं।
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