वहीं नोटिस मिलने के बाद मामले में हर्षविजय ने अपने जवाब में कहा कि भवन उनके पिताजी को १९६९ में जारी हुआ था, तब से उनका परिवार इस आवास में रहता है। इस दौरान वह इसका किराया भी चुकाते है। वर्तमान में सितंबर माह तक का किराया जमा कराया जा चुका है, रही बात चुनावी गतिविधियों के संचालन की तो वे फिलहाल की स्थिति में तो किसी भी पार्टी से उम्मीदार नहीं है। फिर वह यहां से कांग्रेस के लिए कैसे चुनावी गतिविधियां संचालित कर सकते है।
वहीं एक अन्य शिकायत जनजातिय कार्य विभाग में पदस्थ बाबू विजेंद्र मोदी की हुई थी। शिकायत मुबारिक खान नाम के व्यक्ति ने की थी, जिसमें बताय था कि उक्त बाबू लंबे समय से रतलाम में है और वह यहां पर रहकर चुनाव प्रभावित कर सकता है। शिकायत की जांच के लिए संबंधित विभाग को भेजी थी, जहां से बाबू का तबादला रतलाम से सैलाना कर दिया गया है। इसी प्रकार अन्य विभाग से जुड़े कुछ अधिकारी व कर्मचारियों की शिकायतें भी हुई है, जिन्हे जांच के लिए संबंधित विभाग को प्रेषित कर दिया गया है।
आधा दर्जन शिकायते पहुंची
– आचार संहिता लगने के बाद से अब तक करीब आधा दर्जन शिकायतें मिली है। इनमें एक शिकायत सैलाना में हर्षविजय के खिलाफ है, शेष शिकायते कर्मचारियों द्वारा चुनाव प्रभावित करने से जुड़ी है, जिनके संबंध में जांच कर कार्रवाई के लिए उन्हे संबंधित विभाग को भेजा जा चुका है।
रविंद्र जैन, शिकायत निराकरण अधिकारी जिला निर्वाचन