एक हजार से ज्यादा लोगों से मिलना विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान अब गति पकडऩे लगा है। ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्याशियों के लिए मुश्किल यह है कि उन्हें प्रचार अभियान के दौरान गांवों में हर उस व्यक्ति से मिलना पड़ रहा है जिससे वह वोट की आस रख रहा है। ऐसे में एक से दो हजार लोगों से हर दिन मिलना और 50 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी हर दिन पूरी करना इस समय प्रत्याशियों की दिनचर्या में शुमार हो गया है।
इन विधानसभाओं में है ज्यादा दिक्कत आलोट विधानसभा जिले की दूरस्थ और अंतिम छोर पर आलोट अनुभाग की यह विधानसभा में जिले में सबसे लंबे क्षेत्र वाली विधानसभा कही जा सकती है। विधानसभा परिसीमन के बाद इसमें जावरा के नजदीकी और जावरा-रतलाम मार्ग के गांव लुहारी को भी शामिल कर लिया गया है तो इसका दूससा छोर आगर जिले की सीमा से लगे भीम गांव तक विस्तार है। जावरा से आलोट और आलोट से भीम की दूरी की बात की जाए तो जावरा से आलोट 50 किलोमीटर है तो कमोबेश इतनी ही दूरी पर आलोट से भीम गांव भी बसा है। ये तो सीधे रास्ते की दूरी है जबकि अंदरुनी क्षेत्रों में कई किमी क्षेत्र में गांव फैले हैं।
जावरा विधानसभा जावरा विधानसभा भी अपने आप में एक बड़ा क्षेत्र कवर करती है। विधानसभा का क्षेत्रफल सैलाना विधानसभा से लगे पिपलौदा और आंबा से लेकर दूसरी तरफ आलोट विधानसभा से सटे गांव गोंदीशंकर और गोंदी धर्मसी तक फैला हुआ है। खास बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में जावरा से आंबा की दूरी करीब 30 किलोमीटर है तो गोंदी धर्मसी और गोंदी शंकर की जावरा से दूरी 50 किलोमीटर से ज्यादा होती है। यही नहीं जावरा विधानसभा में पिपलौदा नगर पंचायत और जावरा नगर पालिका का क्षेत्र भी शामिल है। प्रत्याशियों को ग्रामीण क्षेत्र के साथ ही शहरी क्षेत्र में भी प्रचार के लिए दौड़ लगाना पड़ेगी।
सैलाना विधानसभा दो जनपदों सैलाना और बाजना के अंतर्गत यह विधासभा सीट जिले की सबसे लंबे क्षेत्रफल वाली विधानसभा है। इसमें तीन तहसीलें सैलाना के साथ ही बाजना और रावटी भी आती है। राजस्थान की सीमा पर सरवन के कुंडा गांव से लेकर झाबुआ जिले की सीमा से लगे रानीसिंह बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ से लगे पाटन गांव तक यह विधानसभा फैली हुई है। सैलाना से सरवन की दूरी 30 किलोमीटर है तो सैलाना से रानीसिंग और पाटन की दूरी 100 किलोमीटर से ज्यादा है। ऐसे में प्रत्याशियों के लिए नदी के किनारे के गांवों में होते हुए इतनी दूरी तक प्रचार करना सबसे बड़ी मुसीबत बना है।
रतलाम ग्रामीण विधानसभा जिले की अन्य विधानसभाओं के मुकाबले इस विधानसभा का क्षेत्रफल और एक स्थान से दूसरे स्थान की दूरी कम है। यह रतलाम तहसील को कवर करती विधानसभा है। जिला मुख्यालय से चारों तरफ फैली इस विधानसभा का क्षेत्रफल भी कम नहीं है। धार जिले के बदनावर की सीमा से लगे 35 किमी दूर जिले के गांव सुजलाना गांव से लेकर सैलाना रोड पर धामनोद गांव तक यह विधानसभा है। खाचरोद तहसील से लगे और नामली से सेमलिया होते हुए जिला मुख्यालय से ३० किमी दूर गांव भी इस विधानसभा में है। प्रत्याशी जिला मुख्यालय पर रहते हुए अलग-अलग दिशा में हर दिन प्रचार कर सकता है।
रतलाम शहर विधानसभा जिले के सबसे कम क्षेत्रफल में फैली रतलाम विधानसभा शहरी क्षेत्र की होने से बहुत ज्यादा विस्तार नहीं है। आठ से दस किलोमीटर की परिधि में फैली इस विधानसभा में 65 हजार से ज्यादा घरों तक पहुंच बनाना और वह भी केवल 10 दिनों के प्रचार में बड़ा मुश्किल है। शहरी क्षेत्र होने से गली, मोहल्लों में घुमकर प्रचार करना हर दिन मुश्किल से पांच से सात किमी की दूरी तक ही हो पाता है किंतु इस विधानसभा में शहरी क्षेत्र होने से घनत्व ज्यादा होने से हर गली तक पहुंच कर मतदाताओं से मिलना इन 10 दिनों में संभव नहीं होने से प्रत्याशियों को सुबह से शाम तक पूरे समय लगा रहना पड़ता है।