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चाय की चौपाल तक उठ रहे चुनावी मुद्दे

locationरतलामPublished: Oct 14, 2018 12:31:32 pm

Submitted by:

Sourabh Pathak

चाय की चौपाल तक उठ रहे चुनावी मुद्दे

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चाय की चौपाल तक उठ रहे चुनावी मुद्दे

रतलाम। चुनावी की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे चुनावी सरगर्मी भी तेज होने लगी है। इसके चलते चुनाव की चर्चा अब घर के कीचन से लेकर चाय की चौपाल तक हो रही है। इसमें पेट्रोल-डीजल की कीमते बढऩे से बढ़ती मंहगाई से लेकर शहर के विकास तक के मुद्दे निकलकर सामने आने लगे है। कोई शहर के विकास को लेकर खुश है, तो कोई सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास करने की बात कहता नजर आ रहा है। इन्हीं मुद्दों से जुड़ी एक चर्चा शनिवार को कालिका माता परिसर में स्थिति चाय की होटल पर चलती नजर आई।
किसने क्या कहा
चौपाल पर बैठे नरेंद्र चर्तुवेदी का कहना था कि शहर में विकास तो हुआ लेकिन थोड़ी परेशानी भी बरकरार है। शहर की तस्वीर अब बदल रही है, लोगों को अपनी सोच और नजरीया भी बदलना चाहिए। जाति व आरक्षण से ऊपर उठकर बात होना चाहिए।
वहीं सुनील कपूर ने कहा कि सरकार जिसकी भी बने शहर का विकास होना चाहिए, बीते कुछ सालों में शहर ने तरक्की की है, लेकिन जो कुछ चीजे यहां रह गई है, उनकी कमी अगली जो सरकार बने उसे प्राथमिकता से पूरा करना चाहिए।
जबकि सुनील सोनी ने अपनी बात में कहा कि प्रदेश के चुनाव को राष्ट्रीय मुद्दों से हटकर लडऩा चाहिए। प्रदेश के लोगों को किन चीजों की जरूरत है और उन्हे क्या मिल रहा है, इस पर ध्यान देना चाहिए। वास्तविकता में क्या चाहिए, उनसे ये कोई नहीं पूछ रहा है।
राकेश नागर ने कहा कि जाति और आरक्षण के नाम पर चुनाव नहीं होना चाहिए। बीते कुछ समय से लोग इसे मुद्दा बना रहे लेकिन यह देश व प्रदेश के लिए खतरनाक है। कुछ लोग हमें आपस में लड़वाकर अपनी रोटियां सेकना चाह रहे है।
मुकेश परमार ने वर्तमान में पेट्रोल-डीजल की कीमतों का असर घर के बजट पर पडऩा बताया। हालाकि केंद्र और राज्य सरकार ने टैक्स में कमी कर थोड़ी राहत देने की कोशिश की थी लेकिन कीमते फिर से बढ़ रही है। इस पर नियंत्रण होना चाहिए।
जबकि जगदीश माली ने चुनाव की आचार संहिता लगने के बाद पुलिस-प्रशासन की सख्ती से व्यापारियों को परेशानी हो रही है, लेकिन सबसे अच्छा काम यह हुआ है कि आपराधिक किस्म के लोगों पर पुलिस सख्ती से कार्रवाई कर रही है, जिससे कि आमजन सुरक्षित है।
चुनावी चर्चा में शामिल सौरभ यादव ने कहा कि इस बार के चुनाव में सपाक्स और जयस जैसे संगठन कई सीटों पर असर डालेंगे। पार्टी विशेष से जुडे़ कई मतदाताआें को झुकाव इस बार इन संगठनों की और होने से समीकरण बदल भी सकते है।
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