सूत्रों की माने तो राशन के फर्जीवाड़े से जुड़े इस मामले में खाद्य विभाग के अधिकारियों के साथ निगम के ठेकेदार का तालमेल जम गया था। इसके चलते सब जानकर भी जिला आपूर्ति अधिकारी आरसी जांगडे़ सहित उनके अन्य अधिकारी अनजान बने बैठे थे। वहीं निगम जब भी इस मामले में ठेकेदार व खाद्य विभाग को पत्र लिखता था, तो उसकी अनदेखी कर दी जाती थी। हालाकि इस पूरे घोटाले के बीच निगम ने भले ही स्वयं को बचाने के लिए इन दोनों से पत्राचार किया था, लेकिन उसके अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध ही थी, जिसके चलते पुलिस ने केस दर्ज किया है।
राशन दुकान संचालकों के खिलाफ केस दर्ज कराए जाने के बाद कलेक्टर ने आगे की कार्रवाई के संबंध में भी जांच दल के अधिकारी से चर्चा की थी। इसमें उनसे पुलिस द्वारा अब तक क्या कार्रवाई की गई, उसकी जानकारी भी जुटाई गई। साथ ही दोषियों को सजा दिलाने के साथ ही उनके द्वारा शासन को पहुंचाए गए करोड़ों रुपए के नुकसान की भरपाई भी उनसे ही करने के संबंध में निर्देशित किया गया है।
राशन घोटाले में अधिकारियों व ठेकेदार के खिलाफ कायमी होने के बाद से लेकर अब तक आगे की कार्रवाई ठंडी पड़ी हुई है। पुलिस अब तक दुकान संचालकों के साथ विक्रेताओं के नामों का पता नहीं लगा सकी है। वहीं प्रशासन का अमला संस्थाओं के जिन अध्यक्षों से जानकारी एकत्र करने की बात कह रहा है, वे स्वयं भी उसमें आरोपी बन सकते है, एेसे में उनके द्वारा दी गई जानकारी पर भी सीधे तौर पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।