सैलाना महल के दरबार विक्रम सिंह राठौर ने बताया कि वह आने वाली पीढि़यों के लिए इतिहास को सहज के रखना चाहते हैं। जिसके चलते पैलेस का जीर्णोद्धार करवा रहें है। वहीं महल में पुरानी कलाकृति व संस्कृति को सहजने के लिए संग्रहालय का निर्माण करवा रहें हैं। जो कि आने वाले छह माह में बनकर तैयार हो जाएगा। जिसे तीन पाटर्स में विभाजित किया है। प्रथम भाग में महल के पुराने चांदी सोने के बर्तन, पालकी और पेटिंगस है। वहीं दूसरे भाग में हथियार व शिकार के दौरान हिरण, शेर की खाल और सींग है। वहीं तीसरे भाग में प्राचीन महल के महाराजा और महल सदस्यों के पुराने फोटो हैं। महल में केकटस गार्डन देखने आने वालों को सैलाना स्टेट के इतिहास के बारे में भी जानकारी मिलेगी। उन्होंने बताया कि उनके पिताजी दिग्विजय सिंह राठौर ने महल में केकटस गार्डन का निर्माण करवाया था। यहां पर करीब 1500 प्रजाति के केकटस है। जो कि देशभर में पहला एेसा केकटस गार्डन है। जिसका एशिया में दूसरा स्थान है।
सैलाना राज्य की स्थापना राजा जय सिंह ने रतलाम राज्य के संस्थापक महाराजा रतन सिंह के महान पोते की स्थापना की थी। 1716 में जय सिंह ने अपने पिता की हत्या के लिए अपने चाचा के खिलाफ बदला लिया, उन्होंने उन्हें सगोड में एक छेड़छाड़ की लड़ाई में मार डाला और रतलाम को अपने बड़े भाई के लिए सुरक्षित कर लिया। तब दोनों भाइयों ने राज्य को अपने बीच बांट दिया। जय सिंह की राजधानी शुरुआत में रायटी में थी। उन्होंने 1736 में अपनी नई राजधानी के रूप में सेलाना शहर का निर्माण किया। उन्होंने अपने जीवनकाल में 22 लड़ाई लड़ी, सैलाना को एक स्वतंत्र राज्य में बदल दिया।
सैलाना के केकटस गार्डन में जर्मनी, टेक्सास, मैक्सिको, चिली हिसत अनय कई देशों से आए केकटस के पौधे लगे हैं। पौधों को जीवित रखने के लिए विदेशों से पौधे मिट्टी सहित मंगवाए गए थे। आमतौर पर लोग कांटों से बचते है, लेकिन यहां आने वाले लोग इनकी खूबसूरती को देख उन्हें छूटने का प्रयास करते हैं। यहां पर फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। सैलाना दरबार विक्रम सिंह ने कहा कि यह पौधे बड़े संवेदनशील है। इन्हें लोग छूने का प्रयास करते और पत्तों पर नाम व कट लगाकर जाते है। जिससे पौधों में बैक्टिरिया फैल जाता है और वह नष्ट होने लगते है। सभी से सैलानियों से गुजारिश है कि वह एेसा न करें।